वक्फ की रखवाली में संविधान की हत्या करने पर क्यों आमादा हैं ममता सरकार, जानें बंगाल में हो रहे प्रदर्शन के पीछे का ‘खेला’

ममता बनर्जी हालात संभालें, या इस्तीफा दें-अमित मालवीय

संविधान की हत्या करने पर क्यों आमदा हैं ममता सरकार

संविधान की हत्या करने पर क्यों आमदा हैं ममता सरकार

संसद से लेकर सड़कों तक हो रहे भारी विरोध के बीच आखिरकार देश में नया वक्फ कानून बन गया है। इस दौरान मुस्लिम तुष्टिकरण की भूमि पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाली पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया। वो अलग बात रही कि वे इस बिल को कानून बनने से रोक नहीं सकीं। इस विरोध का सबसे मुखर रूप बंगाल में देखने को मिल रहा है , जहां बिल के संसद से पारित होते ही आन्दोलनजीवी सड़कों को जाम करने लगे। हालात इतने खस्ता हो गए कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद मंगलवार को सुलग उठा। भीड़ ने सड़कों पर उतरकर ‘संविधान को नहीं मानते, न ही मानेंगे’ जैसे भड़काऊ नारे लगाए। वहीं आज(10/ 04/ 2025) उसी बंगाल में कोलकाता में वक्फ बिल के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद का विशाल प्रदर्शन देखने को मिला है। ऐसे में जहां राज्य सरकार का दायित्व होना चाहिए कि वो स्थिति को नियंत्रण में रखे, वहीं मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति में अंधी हो चुकी ममता सरकार जो कल तक कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा पर संविधान की हत्या का आरोप लगाती थी अब खुद संविधान की बर्बर हत्या करने में लगी हुई है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो अपने राज्य की मुसलमान आबादी से यह तक कह दिया है कि वह इसे बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। ममता बनर्जी का यह विवादित बयान तब सामने आया जब राज्य में इस्लामिक संगठनों द्वारा जगह-जगह उग्र प्रदर्शन किए जा रहे थे। सड़कों पर भीड़, भड़काऊ नारे और कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते दृश्य साफ थे ऐसे माहौल में मुख्यमंत्री का यह कहना कि “वह अपने राज्य में वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगी”, क्या राज्य प्रायोजित अराजकता को और हवा देने जैसा नहीं है? संसद में बना कानून कैसे लागू नहीं करेंगी ममता? क्या यह संविधान के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र नहीं है? मुस्लिम तुष्टिकरण का इससे सटीक उदाहरण और क्या हो सकता है? वो भी तब, जबकि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों में राज्य सरकार (सरकार द्वारा नामित अधिकारी या कलेक्टर स्तर के अधिकारी) को ही अथॉरिटी बनाया गया है।

सिर्फ TMC सुप्रीमो ही नहीं, भाजपा आईटी सेल प्रमुख ने बृहस्पतिवार को एक वीडियो शेयर करते हुए ममता सरकार के मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इस्लामिक संगठनों द्वारा किए जा रहे उग्र प्रदर्शनों को और भड़काया, जिससे कोलकाता की वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। हावड़ा ब्रिज और मौलाली जैसे प्रमुख क्षेत्र, जो शहर की जीवनरेखा माने जाते हैं, पूरी तरह ठप हो गए हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं, अमित मालवीय के ट्वीट से यह गंभीर सवाल भी खड़ा होता है कि इन उग्र, संविधान विरोधी प्रदर्शनों को आखिर समर्थन कौन दे रहा है? और कौन हैं वो शक्तियां जो पर्दे के पीछे से इन आंदोलनों को वित्तीय सहायता देकर देश की संवैधानिक व्यवस्था को चुनौती दे रही हैं?

 

भाजपा का आरोप 

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बृहस्पतिवार को अपने X हैंडल से एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, “कोलकाता की वर्तमान स्थिति बेहद चिंताजनक है। हावड़ा ब्रिज और मौलाली जैसे शहर के मुख्य केंद्र पूरी तरह से ठप हो गए हैं। इसका कारण टीएमसी मंत्री सिद्दीकुल्लाह चौधरी द्वारा भड़काए गए इस्लामिक समूहों के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “जहां एक ओर आम नागरिकों पर कार्रवाई करने में पुलिस जरा भी नहीं हिचकती, वहीं अब पुलिस राजनीतिक समीकरणों के कारण इन उग्र प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई से बच रही है -जो टीएमसी की वोट बैंक राजनीति का सीधा नतीजा है। सिद्दीकुल्लाह चौधरी पहले भी यह विवादित दावा कर चुके हैं कि दक्षिण कोलकाता, राजभवन और धर्मतल्ला जैसे क्षेत्र वक्फ की संपत्ति के अंतर्गत आते हैं।”

वहीं, मुर्शिदाबाद, नदिया और हुगली में व्यापक हिंसा और जान-माल के नुकसान के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन प्रदर्शनकारियों को बचाने में ज्यादा रुचि दिखा रही हैं- संभवतः अपने राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए। अगर वाकई वक्फ का दावा इतना ही सही है, तो क्यों नहीं ममता बनर्जी और उनका परिवार अपनी संपत्ति – और जो छुपी हुई संपत्तियाँ हैं -उन्हें वक्फ बोर्ड को सौंप कर उदाहरण पेश करें?”

‘संविधान नहीं मानेंगे’ के लगे थे नारे

वक्फ एक्ट के विरोध में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने सड़कों पर उतरकर हिंसा और अराजकता का तांडव मचाया। भीड़ ने ‘संविधान नहीं मानेंगे’ जैसे आपत्तिजनक और राष्ट्रविरोधी नारे लगाए, पुलिस पर पत्थरों से हमला किया और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन को पूरे इलाके की इंटरनेट कनेक्टिविटी सस्पेंड करनी पड़ी है। मुर्शिदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट राजर्षि मित्रा ने मंगलवार शाम को रघुनाथगंज और सुती पुलिस थाना क्षेत्र में BNS की धारा 163 लागू कर दी, जो अगले 48 घंटों तक प्रभावी रहेगी।

मुर्शिदाबाद में हिंसक प्रदर्शन

रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोकीं, सड़कों पर अराजकता फैलाई और माहौल को पूरी तरह से हिंसक बना डाला। सूचना प्रवाह को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं यह सब किसी लोकतांत्रिक राज्य में हो रहा है, जहां एक संवैधानिक संशोधन का विरोध इस्लामिक संगठनों के हथियारों और आगजनी से हो रहा है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस शर्मनाक स्थिति पर तीखा हमला करते हुए ट्वीट किया “या तो ममता बनर्जी हालात संभालें, या इस्तीफा दें।”

यही नहीं इस घटना के बाद ममता सरकार पर भी कई सवाल उठते हैं जैसे पश्चिम बंगाल में दंगाइयों और ‘संविधान नहीं मानेंगे’ जैसे नारे लगाने वाले देशद्रोहियों पर क्या एक्शन हुआ? कितनों की गिरफ्तारी हुई? क्या हर हिंसा के लिए हिंदुओं को ही कुसूरवार ठहराने वाली ममता बनर्जी से उम्मीद की जा सकती है कि वो इस्लामिस्ट बलवाइयों पर एक्शन लेंगी?

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