बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए नवी मुंबई की एक महिला को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी ठहराते हुए एक सप्ताह की जेल की सज़ा सुनाई है। विनीता श्रीनंदन नामक एक महिला पर अदालत और जजों को ‘कुत्ता माफिया’ का हिस्सा बताने और अन्य आपत्तिजनक टिप्पणियां करने का आरोप था। साथ ही, महिला पर 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। विनीता श्रीनंदन नवी मुंबई की सीवुड्स हाउसिंग सोसाइटी की निवासी होने के साथ-साथ वहां की सांस्कृतिक निदेशक भी हैं। श्रीनंदन के वकील ने कोर्ट से निवेदन किया कि उन्हें इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का अवसर दिया जाए। इस अनुरोध पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा को 10 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है।
यह मामला सोसाइटी और कुत्तों को खिलाने वाले कुछ लोगों के बीच हुए विवाद से जुड़ा था। हाईकोर्ट ने सोसाइटी द्वारा कामवाली बाई को परिसर में घुसने से रोकने के फैसले को गलत ठहराया था, क्योंकि वह सोसाइटी में आवारा कुत्तों को खाना खिलाती थी। इसके बाद सोसाइटी में जजों को ‘कुत्ता माफिया’ का हिस्सा बताते हुए एक पत्र सोसाइटी में वितरित किया था। इस पत्र के एक पैरा में कहा गया था, “अब हमें यकीन हो गया है कि देश में एक बड़ा कुत्ता माफिया सक्रिय है, जिसके पास उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सूची है, जिनके विचार कुत्ते को खिलाने वाले के समान हैं।” इसके बाद कोर्ट ने श्रीनंदन और सीवुड्स हाउसिंग सोसाइटी को अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
इसके बाद श्रीनंदन और सोसाइटी दोनों ने कोर्ट से माफी मांगी लेकिन कोर्ट ने सिर्फ सोसाइटी की माफी स्वीकार की। सोसाइटी के एक निदेशक ने कहा कि पत्र को कभी भी बोर्ड द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था। वहीं, श्रीनंदन ने कहा कि उन्होंने अन्य निवासियों के दबाव में काम किया था। कोर्ट ने माना कि श्रीनंदन की माफी में ईमानदारी की कमी है। जस्टिस कुलकर्णी ने मामले की सुनवाई के दौरान करते हुए कहा, “यह विचार कहां से आया कि अदालतें ‘डॉग माफिया’ हैं? यह सोच किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति की नहीं हो सकती वह हमारे आदेशों को अवैध बता रही हैं। हम पर व्यक्तिगत आरोप लगा रही हैं कि हम अपने अवैध आदेश लागू करवाना चाहते हैं।” कोर्ट ने कहा कि आपराधिक अवमानना के मामलों में उनकी भूमिका सीमित होती है और उनका मुख्य उद्देश्य संस्था की गरिमा को बनाए रखना है।