‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ट्रेडमार्क के लिए दुनिया भर में मची होड़, भारत के बाद अमेरिका और यूके में भी दर्ज हुए आवेदन

भारत में रिलायंस ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के ट्रेडमार्क के लिए आवेदन दिया था लेकिन बाद में वापस ले लिया था

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आंतकी ठिकानों को निशाना बनाकर एयर स्ट्राइक कीं। आतंक के खिलाफ भारत के इन जवाबी हमलों में 100 से अधिक आंतकी मारे गए। भारत की इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था। 6-7 मई की दरमियानी रात हुई इस कार्रवाई से पाकिस्तान बौखला गया और उसने भारत पर हमला करने की कोशिशें की जिनका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया था।

अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक बार फिर चर्चा में है और इस बार यह किसी सैन्य कार्रवाई को लेकर नहीं बल्कि ट्रेडमार्क को लेकर चर्चा में है। भारत के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन में इस नाम के ट्रेडमार्क को लेकर कई आवेदन दाखिल किए गए हैं। ये आवेदन मीडिया, प्रसारण (ब्रॉडकास्टिंग) और एंटरटेनमेंट जैसे कई क्षेत्रों में उपयोग के लिए किए गए हैं।

भारत में 14 से अधिक आवेदन

‘बार ऐंड बेंच’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से कम से कम 14 ट्रेडमार्क आवेदन दर्ज किए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द के लिए कई ट्रेडमार्क आवेदन दायर करने को चुनौती दी गई है। भारत में रिलायंस ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के ट्रेडमार्क के लिए आवेदन दिया था। हालांकि, बाद में रिलायंस ने अपना आवेदन वापस ले लिया था

USA में ‘इंटेंट टू यूज़’ के तहत दर्ज हुआ आवेदन

अमेरिका में ‘OPERATION SINDOOR’ नाम से ट्रेडमार्क का आवेदन 9 मई 2025 को रोहित बहारानी नामक न्यूयॉर्क निवासी व्यक्ति ने किया है। यह आवेदन इंटरनेशनल क्लास 041 में दर्ज किया गया है, जो मनोरंजन सेवाओं और उनके लाइसेंसिंग से संबंधित है। इस क्लास में यह वर्णित किया गया है कि यह एक ट्रेडमार्क किया गया एंटरटेनमेंट टाइटल होगा, जिसे प्रोडक्शन कंपनियों, स्ट्रीमिंग सर्विसेज़ या डिस्ट्रीब्यूटर्स को बेचने या लाइसेंस देने के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

यह आवेदन ‘Intent to use’ आधार पर दाखिल किया गया है, यानी अभी इस नाम का व्यावसायिक उपयोग शुरू नहीं हुआ है लेकिन भविष्य में इसके उपयोग की मंशा है। यह आवेदन फिलहाल यूनाइटेड स्टेट्स पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस (USPTO) में परीक्षा की प्रतीक्षा में है, जो यूएस क्लासेस 100, 101, और 107 के अंतर्गत आता है।

UK में भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ट्रेडमार्क के लिए आवेदन

यूनाइटेड किंगडम की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस (UKIPO) ने 8 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के लिए एक अलग ट्रेडमार्क आवेदन दर्ज किया है। यह आवेदन इंग्लैंड के डेवोन निवासी विकास महाजन द्वारा दायर किया गया। आवेदन क्लास 35, 38 और 41 को कवर करता है, जिनमें विज्ञापन, टेलीकम्युनिकेशन और शिक्षा से संबंधित सेवाएं शामिल हैं।

UK और USA में  ट्रेडमार्क से क्या होगा?

यदि यूनाइटेड किंगडम या अमेरिका में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ट्रेडमार्क के रूप में रजिस्टर किया जाता है, तो संबंधित वर्गों (क्लासेस) के तहत ट्रेडमार्क मालिकों को उन देशों की सीमा में कई विशिष्ट अधिकार (Exclusive Rights) प्राप्त होंगे। जिनमें बिना अनुमति उपयोग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई (Enforcement), व्यावसायिक लाइसेंसिंग (Commercial Licensing) और उल्लंघन के मामलों में मुकदमा दायर करना (Infringement Action) शामिल हैं।

हालांकि, इन देशों में प्राप्त अधिकार क्षेत्रीय (Territorial) होते हैं और वे भारत में स्वतः लागू नहीं होते जब तक कि भारत में अलग से आवेदन न किया जाए या मैड्रिड प्रोटोकॉल के तहत अंतरराष्ट्रीय रजिस्ट्रेशन ना कराया जाए। भारत, अमेरिका और UK तीनों मैड्रिड प्रोटोकॉल के सदस्य हैं और यह प्रोटोकॉल ट्रेडमार्क मालिकों को एक ही अंतरराष्ट्रीय आवेदन के माध्यम से कई सदस्य देशों में सुरक्षा प्राप्त करने की सुविधा देता है। इसके बाद अगर किसी पक्ष ने यूके या अमेरिका में ट्रेडमार्क रजिस्टर कराया है तो वह मैड्रिड सिस्टम का उपयोग कर भारत में संरक्षण मांग सकता है और यदि उसका अंतरराष्ट्रीय पंजीकरण भारत की जांच प्रक्रिया के दौरान मान्यता प्राप्त हो, तो भारतीय आवेदन का विरोध कर सकता है।

भारत में ‘Operation Sindoor’ जैसे सैन्य अभियानों के नाम स्वतः ही बौद्धिक संपदा के तहत सरकार द्वारा संरक्षित नहीं किए जाते। रक्षा मंत्रालय आमतौर पर इन नामों का पंजीकरण या व्यावसायिक उपयोग नहीं करता है और ये किसी विशिष्ट कानूनी आईपी फ्रेमवर्क के अंतर्गत सुरक्षित नहीं होते। इसलिए, जब तक सरकार सीधे तौर पर हस्तक्षेप नहीं करती, ऐसे नाम निजी व्यक्तियों या संगठनों द्वारा ट्रेडमार्क के रूप में दर्ज किए जा सकते हैं। हालांकि, ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 के तहत रजिस्ट्री के पास यह अधिकार होता है कि वह ऐसे ट्रेडमार्क को अस्वीकार कर सके जो भ्रामक, आपत्तिजनक या सार्वजनिक नीति के विरुद्ध हों।

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