नक्सलवाद के अंत का साल होगा 2025! 4 महीने में ही मारे गए 197 हार्डकोर नक्सली

नक्सलवाद के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर चला। आइये जानें इसका हालिस क्या रहा?

Naxalism Kurreguttalu

Naxalism Kurreguttalu

नक्सलवाद का नाम सुनते ही अक्सर बंदूक की आवाज, टीवी पर लाल पट्टी वाली ब्रेकिंग और अखबारों की सुर्खियां सामने आ जाती हैं। ये खबरें आमतौर पर स्थानीय लोगों की मौत, सुरक्षाकर्मियों पर हमले और विकास कार्यों में बाधा डालने से जुड़ी होती हैं। हालांकि, अब वक्त बदल गया है। देश से नक्सलवाद जल्द ही खत्म होने वाला है। यह दावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया है। उनके अनुसार, नक्सलवाद 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। सरकार ने देश से नक्सलवाद के खात्मे का पूरा खाका तैयार कर लिया है। इसका मतलब है कि अब नक्सलियों के सफाए की उलटी गिनती शुरू हो गई है। अमित शाह के दावे का अरस भी दिखने लगा है। सुरक्षाबलों ने अबतक के सबसे बड़े ऑपरेशन में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा के कुर्रेगुट्टालू पहाड़ (KGH) पर 31 नक्सलियों को मार गिराया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जिस कुर्रेगुट्टालू पहाड़ पर कभी लाल आतंक का राज था। वहां आज शान से तिरंगा लहरा रहा है। उन्होंने अपने वादे को दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम नक्सलवाद को जड़ से मिटाने के लिए संकल्पित हैं। 31 मार्च 2026 तक भारत का नक्सल मुक्त होना तय है। नक्सल विरोधी इस सबसे बड़े अभियान को हमारे सुरक्षा बलों ने मात्र 21 दिनों में पूरा किया और इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों में एक भी हानि नहीं हुई है।

नक्सलवाद का खात्मा तय

अमित शाह ने X पर अपनी एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि कुर्रेगुट्टालू पहाड़ PLGA बटालियन 1, DKSZC, TSC & CRC जैसी बड़ी नक्सल संस्थाओं का अनफाइंड हेडक्वाटर था। यहां नक्सल ट्रेनिंग के साथ-साथ रणनीति और हथियार भी बनाये जाते थे। नक्सल विरोधी इस सबसे बड़े अभियान को हमारे सुरक्षाबलों ने मात्र 21 दिनों में पूरा किया है। गृह मंत्री ने खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में भी अपनी बहादुरी और शौर्य से नक्सलियों का सामना करने वाले CRPF, STF और DRG के जवानों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पूरे देश को आप पर गर्व है।

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21 दिन का क्या हासिल रहा?

CRPF महानिदेशक ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह, पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम ने प्रेस वार्ता में ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसमें बताया गया कि सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों का अभेद्य गढ़ समझे जाने वाले कुर्रेगुट्टालू पहाड़ ऑपरेशन चलाया है। ये एक बड़ी कामयाबी है।

कुर्रेगुट्टालू पहाड़ जहां चला ऑपरेशन

KGH यानी कुर्रेगुट्टालू पहाड़ लगभग 60 किलोमीटर लंबा और 5 से लेकर 20 किलोमीटर तक चौड़ा दुष्कर पहाड़ी क्षेत्र है। इसकी भौगोलिक परिस्थिति बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण है। नक्सलियों ने पिछले ढाई वर्ष में इस क्षेत्र में अपना बेस तैयार किया था। यहां करीब 300-350 आर्म्ड काडर्स सहित PLGA बटालियन के टेक्निकल डिपार्टमेन्ट (टीडी यूनिट) और अन्य महत्वपूर्ण संगठनों के नक्सलियों ने शरण ले रखी थी। सुरक्षा बलों और एजेंसियों को इसकी पुख्ता सूचना मिलने के बाद ऑपरेशन शुरू किया गया।

कुर्रेगुट्टालू पहाड़ में नक्सल विरोधी अभियान विभिन्न खुफिया एजेंसियों से प्राप्त तकनीकी, मानवीय और जमीनी जानकारियों को इकट्ठा करने के बाद चलाया गया। इसके लिए कई एजेंसियों के साथ एक विशेष दल बनाया गया था। इस दल ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऑपरेशन की योजना बनाई। सूचनाओं को लगातार वास्तविक समय पर फील्ड में मौजूद ऑपरेशनल कमांडरों तक पहुंचाया गया। इससे सुरक्षा बलों को न केवल नक्सलियों बल्कि उनके ठिकानों और भंडारों का पता चला। इससे IED विस्फोटों से बचने में भी मदद मिली। यह अभियान अब तक का सबसे बड़ा, व्यापक नक्सल विरोधी अभियान है।

2014 से अब तक के आंकड़े

वर्ष 2024 में नक्सल विरोधी अभियान में प्राप्त सफलता को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2025 में भी सुरक्षाबलों द्वारा चलाए जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों के परिणामस्वरूप पिछले 11 साल में बड़ी सफलताएं मिली हैं।

21 दिनों तक लगातार चले इस ऐतिहासिक नक्सल विरोधी अभियान के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि कई वरिष्ठ नक्सली काडर या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हालांकि, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षाबल अभी तक सभी घायल या मारे गए नक्सलियों के शव बरामद नहीं कर पाए हैं। अभियान के दौरान विभिन्न आईईडी विस्फोटों में कोबरा, एसटीएफ और डीआरजी के कुल 18 जवान घायल हुए। सभी घायल जवान अब खतरे से बाहर हैं।

यहां दिन का तापमान 45 डिग्री से अधिक हो जाता है। इसी कारण अनेक जवान डिहाईड्रेशन के शिकार हुए। इसके बावजूद भी  मनोबल में कोई कमी नहीं आई और उन्होंने पूरे साहस के साथ नक्सलियों के विरूद्ध अभियान जारी रखा। इसका मकसद नक्सलियों की सशस्त्र क्षमता को कम करना, हथियारबंद दस्तों को न्यूट्रलाईज करना, दुर्गम इलाकों से नक्सलियों को हटाना और नक्सलियों के दुर्दांत संगठन PLGA बटालियन को छिन्न-भिन्न करना था। इसमें कामयाबी भी मिली। ऐसे में ये अभियान राज्य, केंद्र सरकार के साथ ही एजेंसियों और सुरक्षाबलों के कॉमन अप्रोच का बेहतरीन उदाहरण है।

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