अजीत डोभाल और ईरान के सिक्योरिटी चीफ के बीच INSTC को लेकर हुई चर्चा, जानें क्यों अहम है INSTC और कैसे भारत की अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ़्तार

भारत की आर्थिक शक्ति का आधार

जानें क्यों अहम है INSTC

जानें क्यों अहम है INSTC

 

भारत और ईरान दो ऐतिहासिक सभ्यताएं अब भविष्य की रणनीति में एक साथ खड़े नज़र आ रहे हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रविवार को ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव डॉ. अली अकबर अहमदियान से टेलीफोन पर महत्वपूर्ण बातचीत की। इस संवाद ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच विश्वास को और मज़बूत किया है, बल्कि चाबहार पोर्ट और INSTC (इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर) जैसे अहम प्रोजेक्ट्स को एक नई दिशा देने का भी संकेत दिया है।

बातचीत के दौरान अजीत डोभाल ने ईरान की क्षेत्रीय भूमिका को सकारात्मक बताते हुए भारत की इस बात में गहरी दिलचस्पी जताई कि दोनों देश मिलकर इन रणनीतिक प्रोजेक्ट्स को और गति दें। उन्होंने ईरान के अब तक दिए सहयोग के लिए आभार भी व्यक्त किया। यह स्पष्ट है कि भारत अब केवल सीमाओं के भीतर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार मार्गों में भी अपनी जगह मज़बूत करना चाहता है। चाबहार और INSTC इस दिशा में भारत के लिए कूटनीति और व्यापार दोनों का प्रवेशद्वार बन सकते हैं। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है यह समझना कि INSTC भारत के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है, और यह आर्थिक दृष्टि से देश के लिए कितना बड़ा अवसर बन सकता है। तो आइये समझते हैं….

क्या है INSTC

अजीत डोभाल और ईरान के सिक्योरिटी चीफ के बीच INSTC को लेकर हुई चर्चा के बाद यह कॉरिडोर एक बार फिर चर्चा में है। इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) एक बार फिर वैश्विक चर्चाओं में है । यह 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-आयामी ट्रांजिट रूट है, जो भारतीय महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के ज़रिए कैस्पियन सागर से जोड़ता है और फिर रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक पहुंच बनाता है।

INSTC की नींव 12 सितंबर, 2000 को सेंट पीटर्सबर्ग में भारत, रूस और ईरान द्वारा रखी गई थी। यह समझौता यूरो-एशियन ट्रांसपोर्ट कॉन्फ्रेंस के दौरान हुआ था, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार और संपर्क को सुदृढ़ करना है। यह कॉरिडोर समुद्री, रेल और सड़क मार्गों को जोड़ता है, और भारत की वैकल्पिक भू-आर्थिक रणनीति में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

वर्तमान में INSTC के 13 सदस्य देश हैं – भारत, ईरान, रूस, अज़रबैजान, आर्मेनिया, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान और सीरिया। बुल्गारिया इस समूह में पर्यवेक्षक देश (Observer) के रूप में शामिल है।

इस कॉरिडोर में तीन प्रमुख मार्ग शामिल हैं —

सेंट्रल कॉरिडोर: यह मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से शुरू होता है और ईरान के बंदर-अब्बास पोर्ट तक पहुंचता है, जो स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ के पास स्थित है।
वेस्टर्न कॉरिडोर: यह ईरान और अज़रबैजान के रेलवे नेटवर्क को भारत के बंदरगाहों से समुद्री मार्ग के ज़रिए जोड़ता है।
ईस्टर्न कॉरिडोर: यह रूस को भारत से जोड़ता है, जिसमें कज़ाखस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश शामिल हैं।

इस मार्ग पर व्यापारिक गतिविधियां ईरान के नौशहर, अमीराबाद और बंदर-ए-अंज़ली जैसे पोर्ट्स से होती हुई रूस के ओल्या और एस्ट्राखान पोर्ट्स तक जाती हैं। INSTC को पारंपरिक सूएज़ नहर मार्ग के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। Geopolitical Monitor की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कॉरिडोर मालवाहन समय को लगभग 40% तक घटा सकता है और भाड़ा लागत में 30% की कमी ला सकता है जो भारत जैसे उभरते हुए वैश्विक व्यापारिक शक्ति के लिए एक आर्थिक गेमचेंजर साबित हो सकता है। इसलिए जब अजीत डोभाल और ईरानी सुरक्षा प्रमुख के बीच इस कॉरिडोर को लेकर बातचीत होती है, तो वह केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर एक निर्णायक कदम होती है। INSTC भारत को एशिया, यूरोप और मध्य एशिया से जोड़ने वाला एक वैकल्पिक और विश्वसनीय रास्ता बन सकता है जो ना सिर्फ भूराजनीतिक दबावों से मुक्त है, बल्कि नई आर्थिक दिशा भी तय कर सकता है।

INSTC में भारत की भूमिका

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के प्रति भारत की गंभीरता कोई नई नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में इस प्रोजेक्ट को जो नया बल मिला है, वह इसे भारत की भू-राजनीतिक रणनीति का एक केंद्रीय स्तंभ बना देता है।

The Print की रिपोर्ट के अनुसार, INSTC की क्षमता को परखने के लिए भारत की ओर से दो महत्वपूर्ण ड्राई रन आयोजित किए गए एक 2014 में और दूसरा 2017 में। 2014 की ड्राई रन भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संचालित की गई थी, जिसमें माल को मुंबई से ईरान के बंदर-अब्बास बंदरगाह तक समुद्र मार्ग से, फिर तेहरान से बंदर-अंज़ली तक रेल मार्ग से, और उसके बाद वहां से रूस के एस्ट्राखान बंदरगाह तक समुद्री मार्ग से पहुँचाया गया।

फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FFFAI) के पूर्व अध्यक्ष शंकर शिंदे, जिन्होंने भारत की ओर से इस पहल का नेतृत्व किया था, ने स्पष्ट रूप से कहा कि INSTC लागत और समय दोनों के मामले में सूएज़ मार्ग से बेहतर है। हालांकि, जब 2019 में ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाए गए, तो भारतीय कंपनियों ने INSTC के प्रयोग को लेकर सतर्कता अपनाई। लेकिन जब रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध लगे, तो भारत और रूस के बीच व्यापार में तेजी आई और INSTC को लेकर रुचि फिर से जागृत हुई। 2023 में, भारत ने ईरान और आर्मेनिया के साथ मिलकर INSTC को नई गति देने का निर्णय लिया।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत INSTC को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के मध्य एशिया में बढ़ते प्रभाव के जवाब में एक रणनीतिक संतुलन के रूप में देखता है। INSTC के एक अहम हिस्से के रूप में भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में व्यापक निवेश किया है, जो भारत की मध्य एशियाई रणनीति में एक जीवंत संपर्क केंद्र बन चुका है। मई 2024 में भारत और ईरान के बीच एक ऐतिहासिक समझौते के तहत भारतीय पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) और ईरान की पोर्ट एंड मेरीटाइम ऑर्गनाइज़ेशन के बीच 10 साल की चाबहार ऑपरेटिंग डील पर हस्ताक्षर हुए। इस डील के तहत IPGL करीब 120 मिलियन डॉलर का सीधा निवेश करेगा, जबकि 250 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश कर्ज के रूप में जुटाया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्यों पर आधारित है:
पारगमन समय में कमी: गलियारा भारत, ईरान और रूस के बीच माल परिवहन के समय को काफी हद तक कम करने का लक्ष्य रखता है।

व्यापार में वृद्धि: INSTC सदस्य देशों के बीच अधिक कुशल परिवहन मार्ग प्रदान करके व्यापार को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

आर्थिक विकास: माल की त्वरित आवाजाही के माध्यम से, गलियारा भाग लेने वाले देशों में आर्थिक विकास और प्रगति में योगदान देता है।

कनेक्टिविटी: INSTC दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और यूरोप के देशों के बीच कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देता है।

भारत के लिए INSTC का महत्व 

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मध्य एशिया और यूरेशियन बाजारों तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करता है। यह गलियारा भारत की पारंपरिक समुद्री मार्गों पर निर्भरता को कम करता है और व्यापार एवं आर्थिक सहयोग के नए अवसर खोलता है। INSTC भारत को मध्य एशिया के ऊर्जा-समृद्ध क्षेत्रों, जैसे कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान, तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, यह एकल आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता को कम करता है। गलियारा माल की तेज और लागत-प्रभावी आवाजाही को सुगम बनाता है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

यह भारतीय व्यवसायों को निर्यात और आयात के लिए छोटा और अधिक कुशल मार्ग प्रदान करता है, जिससे बाजार पहुंच का विस्तार होता है। INSTC भारत को यूरोप से जोड़ता है और व्यापार के लिए एक स्थलीय मार्ग प्रदान करता है, जिससे दोनों क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ती है। यह कनेक्टिविटी आर्थिक संबंधों को मजबूत करती है, निवेश को प्रोत्साहित करती है और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है। इसके अलावा, INSTC भाग लेने वाले देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे राजनयिक और आर्थिक संबंध मजबूत होते हैं। यह परिवहन और व्यापार से संबंधित मुद्दों पर संवाद और सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और विकास में योगदान देता है।

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