सपनों से हकीकत तक: कैसे 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बदला भारत?

26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से लेकर आज तक भारत ने सपनों से हकीकत का सफर तय किया है।

PM Modi From 2014 To 2024

PM Modi From 2014 To 2024

एक दौर था जब विकास की गाड़ी की रफ्तार बैलगाड़ी सरीखी होती थी। ये बैलगाड़ी कई बार सुदूर और मुश्किल इलाकों तक पहुंच ही नहीं पाती थी।
मेरा भी हाल करीब-करीब ऐसा ही था, जब पास के कस्बे जाते तो सोचते कि दिल्ली-मुंबई, भोपाल और लखनऊ जैसे शहर तो इससे कहीं ज़्यादा आगे होंगे। स्कूल का सफर पूरा हुआ तो कॉलेज पहुंचा। अब विकास की समझ थोड़ी और गहरी होने लगी थी। सेकंड ईयर की पढ़ाई के दौरान ही देश में लोकसभा के चुनाव हुए और कांग्रेस के एक युग के बाद बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी। उन दिनों मैं स्नातक का छात्र था, आज पत्रकार हूं और इस नाते जब पलटकर इन 11 वर्षों के सफर को देखता हूं तो पाता हूं कि बीते  कुछ वर्षों में हमने तमाम दावों से दूर वास्तविकताओं को जिया है। आज इस बात की प्रासंगिकता इसलिए भी है क्योंकि आज से ही ठीक 11 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे। तब से लेकर अब तक हमने देखा कि देश में विकास की रफ्तार तेज हुई है। देश बदला है और इस बदलाव में गरीब, ग्रामीण और किसानों की भी सहभागिता रही।

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स्वास्थ्य और सम्मान के साथ मिला पानी

पहले हमारे गांवों, कस्बों में पानी की जद्दोजहद होती थी। अब जल जीवन मिशन जैसी योजना के जरिए गांव के हर घर में पानी आसानी से पहुंच गया है। महिलाएं भरे धुएं वाली रसोई में खाना बनाती थी। लेकिन जब प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना आई तो गांव-गांव गैस एजेंसी पहुंच गईं। पहले रसोई गैस सिलेंडर पाना जंग जीतने से कम नहीं था लेकिन अब शायद फोन के सिम खरीदने जितना आसान है। बैंक जाना तो दूर उस दौर में जब महिलाओं के पास बैंक खाते भी नहीं होते थे वो अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए परिवार पर निर्भर होती थी। उन्हें जन धन योजना से बैंक खाते भी मिल गए हैं। इन योजनाओं से हर महिला को बेहतर स्वास्थ्य और सम्मान का जीवन मिला है।

पलायन थमा, रोजगार बढ़ा

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के छोटे ऋण ने युवाओं के जीवन को बदला है। उन्हें अब शहरों में पलायन नहीं करना पड़ता। इसके साथ ही स्किल इंडिया मिशन और हाल ही में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने पारंपरिक कारीगरों और युवाओं को आधुनिक कौशल सिखाया है। ऐसे में अगर उनको शहरों में पलायन करना भी पड़ा तो अच्छा काम और वेतन उन्हें मिलने लगा है।

डिजिटल क्रांति से कैशलेस हुआ भारत

पहले हमें लगता था कि इंटरनेट सिर्फ शहर वालों के उपयोग की चीज है। अब गांव में भी हर कोई ऑनलाइन हो गया है। 2014 में जब प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू हुई, तब करोड़ों गरीब भारतीयों के पास बैंक खाता नहीं था। लेकिन आज जन धन खातों की संख्या 50 करोड़ से अधिक हो चुकी है। डिजिटल इंडिया ने गांव से लेकर कस्बों तक इंटरनेट की पहुंच बढ़ाई। UPI ने हर छोटी बड़ी दुकान को कैशलेस बना दिया।

अब गांव के चौपाल पर बैठे किसान अपने स्मार्टफोन से ही अपनी फसल का ब्योरा देख लेते हैं। पीएम किसान सम्मान निधि की किस्त उनके खाते में आ जाती है। सबसे खास और बड़ी बात ये कि इस पैसे को निकालने के लिए उन्हें बैंक भी नहीं जाना पड़ता है। डिजिटल इंडिया के दौर में बदले बैंकिंग प्रणाली ने उनके जीवन को UPI से आसान बना दिया है। यही कारण है कि अब योजनाओं का लाभ सीधे लोगों के खाते में पहुंच जाता है। बिचौलियों और भ्रष्टाचार पर लगाम लग गई है।

सम्मान और स्वास्थ्य की गारंटी

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने हर साल 6,000 सीधे किसानों के खाते में भेजे जाते हैं। ये पैसा बीज, खाद और परिवार के खर्चों के काम आता है। थोड़ा जीवन पटरी पर आए तो बीमारी विस्तार को रोक देती थी। हालांकि, आयुष्मान भारत योजना के तहत करोड़ों गरीब परिवारों को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिला। इससे उनका जीवन आसान हो गया।

सफाई को बनाया मिशन

स्वच्छ भारत मिशन ने शौचालय को गरीबी की पहचान से निकालकर स्वाभिमान की पहचान बना दिया। दस करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए। पहले जहां प्रशासन और स्थानीय सरकारों के लिए साफ-सफाई शायद वरीयता में सबसे निचले क्रम में होती थीं अब वो स्वच्छता अवार्ड के लिए कंपटीशन में उतर आई हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि न सिर्फ सफाई बेहतर हुई है। बल्कि, इससे बीमारियां भी कम हुई हैं। खुले में शौच से मुक्ति मिली है। हमारा गांव अब खुले में शौच मुक्त है।

सड़क और रेल परियोजनाओं का विस्तार

पहले जिन सड़कों पर चलना भी दूभर हुआ करता था। आज वहां से गाड़ियां फर्राटा भर रही हैं। सड़कों ने देश के कोने-कोने को जोड़ दिया है। इससे किसानों की फसलों का मंडी तक पहुंचना आसान हो गया है। छोटे कस्बों में भी व्यापार को बढ़ावा मिला है। वहीं रेलवे के आधुनिकीकरण ने सफर को आसान करने के साथ-साथ छोटे लोकल उत्पादों को बड़े शहरों के बाजार में पहुंचा दिया है। पिछले कुछ साल में 53,000 किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाकर गांवों को शहरों से जोड़ा गया है। भारतमाला और सागरमाला योजनाओं ने गांवों को शहरों से जोड़ा। रेलवे के आधुनिक स्टेशन अब सिर्फ ट्रेनों के ठहराव नहीं बल्कि नई सोच की झलक हैं।

कश्मीर घाटी को मिला सम्मान

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निरस्त होने के बाद शांति और विकास की नई कहानी लिखी जा रही है। कभी आतंकवाद और अशांति से जूझने वाला जम्मू-कश्मीर अब विकास की मुख्यधारा में लौट रहा है। धारा 370 और 35A के निरस्तीकरण के बाद से वहां पर्यटन बढ़ा है। लोगों को एक सामान्य जीवन जीने का अवसर मिल रहा है। स्थानीय युवा अब सरकारी नौकरियों और उद्यमशीलता की ओर देख रहे हैं जो पहले मुश्किल था।

मंदिरों से बढ़ रही अर्थव्यवस्था

राम मंदिर निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया। उज्जैन महाकाल कॉरिडोर भी बनकर तैयार हुआ है। इसके साथ ही कई कॉरिडोर पर काम चल रहा है। इससे न सिर्फ आध्यात्मिक पर्यटन बढ़ा है बल्कि अर्थव्यवस्था में भी सुधार आया है।

वैश्विक मंच पर बढ़ा भारत का मान

पिछले 11 साल में विदेश नीति में भारत की ताकत बढ़ी है। 2014 में जहां भारत को फ्रेजाइल-5 में गिना जाता था आज यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चाहे G20 की अध्यक्षता हो या रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलन साधना।  भारत की विदेश नीति अब सिर झुकाकर नहीं आंख में आंख डालकर चलती है। रक्षा के क्षेत्र में बढ़ते भारत के प्रभाव ने अर्थव्यवस्था के साथ ही हथियारों के बाजार में देश को बड़ा खिलाड़ी बनाया है। आज हम दुनिया के कई देशों को मेक इन इंडिया हथियार दे रहे हैं। प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती भूमिका ने देश का मान बढ़ाया है।

भारत का स्पेस प्रोग्राम

स्पेस प्रोग्राम में चंद्रयान-3 की सफलता और मंगल मिशन ने भारत को वैश्विक मंच पर गौरव दिलाया।  स्पेस प्रोग्राम में चंद्रयान-3 की सफलता और अब गगनयान की तैयारी भारत के वैज्ञानिक सोच का प्रमाण हैं। देश अब अंतरिक्ष में सिर्फ झांक नहीं रहा भागीदारी कर रहा है। भारत के रॉकेट अब कई देशों के उपग्रह को अंतरिक्ष में पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इससे न सिर्फ स्पेस प्रोग्राम बढ़ रहा है बल्कि देश की अर्थ व्यवस्था भी रफ्तार पकड़ रही है।

बढ़ाया महिलाओं का सम्मान

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में ही शुरू किया था। आज इसका असर आपको जमीन पर नजर आता ही होगा। देश में लिंगानुपात में सुधार और बालिकाओं के शिक्षा को बढ़ावा मिला है। वहीं तीन तलाक के खिलाफ कानून ने मुस्लिम महिलाओं को सम्मान और न्याय दिलाया है। जबकि, महिलाओं को मिली आरक्षण ने उन्हें देश के विकास का सिपाही बना दिया है।

समावेशी समाज का विकास

एक दौर था जब देश में गरीब सवर्ण के बारे में कोई सरकार बात ही नहीं करती थी। 11 साल में मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर भी आगे बढ़कर काम किया है। EWS आरक्षण ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण युवाओं को भी न्याय दिया। देश में अब गरीब सवर्ण को भी 10 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। इस पहल से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शिक्षा और रोजगार के अवसरों में बराबरी का मौका दिया है। इस फैसले ने समाज में समावेशिता बढ़ी है।ि

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