मेरिट नहीं चापलूसी चलेगी- ऑपरेशन सिंदूर पर कैसे एक्सपोज हो गई कांग्रेस?

भाजपा ने कांग्रेस से मिले 3 नामों को जिस तरह रिजेक्ट किया और खुद योग्य नाम तलाशे, उसने कांग्रेस के अंदर खाने मचा दिया घमासान

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बारे में दुनिया के कई देशों के दौरे पर जाने के लिए प्रस्तावित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में नामों को लेकर कांग्रेस एक्सपोज हो गई। जिस पार्टी के पास तीन-तीन ऐसे नेता रहे, जो विदेश मंत्रालय की कमान संभाल चुके हैं, उन्हें दरकिनार कर पार्टी ने हल्के नाम भेजे, इससे यह संदेश गया कि यहां ‘मेरिट नहीं चापलूसी’ चलती है। भाजपा ने विरोधी पार्टी से मेरिट के आधार पर चेहरों का चयन कर बता दिया कि दोनों दलों की सोच और कार्य पद्धति में कितना बड़ा अंतर है?

भाजपा ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए कांग्रेस के चार प्रमुख नेताओं को शामिल किया। इसमें शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी रहे। शशि थरूर कभी संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव भी रह चुके हैं और वर्तमान में विदेश मामलों की संसदीय समिति के चेयरमैन भी हैं। बावजूद उसके उनका नाम कांग्रेस ने नहीं भेजा तो इससे पार्टी में आंतरिक राजनीति हावी होने का गलत संदेश गया। इसी तरह सलमान खुर्शीद देश के विदेश मंत्री रह चुके हैं।

आनंद शर्मा भी विदेश राज्य मंत्री रहे हैं और मनीष तिवारी भी मनमोहन सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे थे। पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वकील मनीष तिवारी प्रभावी तरीके से बात रखने के लिए जाने जाते हैं। इस प्रकार केंद्र ने कांग्रेस के कुल 4 में से तीन ऐसे नेताओं का चयन किया, जो विदेश मंत्रालय संभाल चुके हैं। जबकि कांग्रेस ने जो चार नाम सौंपे थे, उसमें आनंद शर्मा को छोड़कर अन्य नाम पैमाने पर खरे नहीं उतरते थे

क्यों रिजेक्ट हुए कांग्रेस के भेजे नाम

कांग्रेस ने गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन, रजा बरार और आनंद शर्मा के नाम केंद्र सरकार को भेजे थे। इसमें गौरव गोगोई और सैयद नसीर हुसैन का मामला विवादित पाया गया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की शिकायत के मुताबिक गौरव गोगोई अपनी पत्नी के साथ पाकिस्तान में बगैर सूचना के 15 दिन के दौरे पर गए थे। उनकी पत्नी पाकिस्तान के एनजीओ से वेतन भी लेती थीं। इस मामले में अब तक गौरव गोगोई ने ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया है। इस आधार पर गौरव गोगोई का नाम सरकार ने रिजेक्ट कर दिया। दूसरे सांसद सैयद नसीर हुसैन कर्नाटक से आते हैं। आरोप है कि इनकी जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे। रजा बरार भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की जरूरतों के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। सिर्फ आनंद शर्मा को नाम सरकार ने उपयुक्त पाया तो शामिल किया।

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