अमेरिका की नीतियों का असर अब केवल कूटनीतिक दस्तावेजों में नहीं, बल्कि आम लोगों की ज़िंदगियों पर सीधा दिखाई देने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस्लामिक आतंकवाद के प्रति दिखाई जा रही नरमी, जिहादी संगठनों से प्रतिबंध हटाने की पहल और पूर्व आतंकियों को सरकारी पदों पर जगह देने जैसे फैसले अब खुद अमेरिका के लिए मुसीबत का कारण बनते जा रहे हैं। जहां एक ओर ट्रम्प प्रशासन द्वारा इसे सुधारवादी सोच के तौर पर पेश किया जा रहा था वहीं अब यही नीतियां देश के भीतर खून-खराबे और असुरक्षा की वजह बनती दिख रही हैं।
हाल ही में कैलिफोर्निया के एक अस्पताल के बाहर खड़ी कार में जबरदस्त बम धमाका हुआ। इस घटना में एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। यह सिर्फ एक हादसा नहीं था फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने इसे साफ तौर पर एक्ट ऑफ़ टेररिज्म कहा था। इस हमले की टीस अभी कम भी नहीं हुई थी कि बुधवार की शाम अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डी.सी. की सड़कों पर एक और भयावह वारदात सामने आई। शहर के प्रतिष्ठित कैपिटल यहूदी संग्रहालय के सामने दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतकों में एक पुरुष और एक महिला शामिल हैं, जिनकी पहचान इजरायली दूतावास के कर्मचारियों के रूप में की गई है। यह हमला उस समय हुआ जब संग्रहालय के पास अमेरिकी यहूदी समिति द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था। फिलहाल घटना की पुष्टि अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने की है जिन्होंने कहा है “हम इस नीच अपराधी को न्याय के कटघरे में लाएंगे।”
घटना की पुष्टि करते हुए अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने इसे ‘एक जघन्य अपराध’ बताते हुए कहा है कि, “हम इस नीच अपराधी को न्याय के कठघरे में खड़ा करेंगे।” वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने एक दाढ़ी वाले संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया है, जिससे पूछताछ की जा रही है।
लगाए गए ‘फ्री फिलिस्तीन’ के नारे
इस हमले के पीछे केवल हथियार नहीं, बल्कि एक वैचारिक संदेश भी था, जिसे हमलावरों ने स्पष्ट रूप से प्रकट किया। वॉशिंगटन डीसी के पुलिस चीफ के मुताबिक, जिन संदिग्धों ने गोलीबारी की, वे “फिलिस्तीन को आज़ाद करो” और “फ्री-फ्री पैलिस्टाइन” के नारे लगा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। इस प्रकार की नारेबाज़ी ने हमले को एक राजनैतिक और सांप्रदायिक रंग दे दिया, जो इसे सिर्फ एक आपराधिक घटना से आगे ले जाकर अंतरराष्ट्रीय तनाव की प्रतिध्वनि बना देती है।
घटना की गंभीरता को भांपते हुए अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी तुरंत मौके पर पहुंचीं। उनके साथ वाशिंगटन में यूएस अटॉर्नी और पूर्व जज जीनिन पिरो भी मौजूद थीं। न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार, दोनों अधिकारियों ने इस हमले को एक गंभीर अपराध बताया और जांच की प्रक्रिया तत्काल शुरू कर दी। हालांकि, बुधवार देर रात तक पुलिस ने इस हमले के पीछे के सटीक उद्देश्य के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक नहीं की।
इजरायल के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत डैनी डैनन ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “यहूदी-विरोधी आतंकवाद का एक घृणित कृत्य” बताया। उन्होंने X पर एक बयान में लिखा, “हमें विश्वास है कि अमेरिकी अधिकारी इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ा कदम उठाएंगे। इजरायल अपने नागरिकों और प्रतिनिधियों की सुरक्षा के लिए दृढ़ता से काम करता रहेगा – दुनिया में कहीं भी।” बता दें कि कैपिटल ज्यूइश म्यूजियम जहां इस घटना को अंजाम दिया गया वह न केवल यहूदी इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्यों की भी पहचान रखता है। इस प्रकार, यह हमला न केवल इजरायली या यहूदी समुदाय के लिए, बल्कि अमेरिका की आंतरिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए भी एक गहरी चुनौती के रूप में सामने आया है।