आखिर क्यों रद्द हुआ नितिशा कौल का OCI कार्ड? जानिए ‘भारत विरोधी’ कश्मीरी पंडित की पूरी करतूत

भारत सरकार ने ब्रिटिश नागरिक कश्मीरी पंडित नितिशा कौल का OCI कार्ड कैंसिल कर दिया है। आइये जानें आखिर क्या है उनकी करतूत?

Nitasha Kaul Profile

आखिर क्यों रद्द हुआ नितिशा कौल का IOC कार्ड?

नितिशा कौल आजकल खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। वो कश्मीरी पंडित का तमगा लेकर कुछ भी करने को आतुर रहती हैं। हालांकि, भारत सरकार ने उनपर एक्शन लेते हुए उनका OCI कार्ड रद्द कर दिया है। क्योंकि, नितिशा ने न केवल अपनी पहचान का गलत लाभ लिया है। बल्कि, इसकी सह में भारत के खिलाफ जहर फैलाने का भी काम किया है। OCI कार्ड रद्द होने पर भले ही वो अधिकारों का रोना रो रही हैं लेकिन उन्हें ये याद रखना चाहिए की अधिकारों के साथ जिम्मेदारियां भी आती हैं। खैर नितिशा को इससे क्या? उन्होंने तो अपने पहचान और ज्ञान दोनों को भारत के विरोध में झोंक दिया।

पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पहले अपनी ताकत दिखाई। अब देश के खिलाफ काम करने वालों पर एक्शन ले रही है। इसी कड़ी में नितिशा कौल का OCI कार्ड रद्द किया गया है। आइये जानें लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल आखिर हैं कौन और उनके खिलाफ क्यों लिया गया ये फैसला?

निताशा कौल प्रोफाइल?

निताशा कौल का जन्म 1976 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। मूल रूप से वो कश्मीरी पंडित हैं। उनके परिजन श्रीनगर से दिल्ली आकर बस गए थे। इसी कारण दिल्ली विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक किया। आगे की पढ़ाई के लिए लंदन पहुंच गईं। वहां उन्होंने यूके के हल विश्वविद्यालय से मास्टर और पीएचडी की डिग्री हासिल की और इसके बाद वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं। भारत के खिलाफ बोलने की उनकी आदत पुरानी रही है। कश्मीरी पंडित होने के साय में उन्होंने हमेशा भारत और कश्मीर के प्रति बड़काऊ बातें कही हैं। आइये जानें उनका इतिहास

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जानिए निताशा कौल के करतूत

कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर पर्दा

कश्मीरी पंडित होने के बावजूद भी कौल ने 1990 में कश्मीर घाटी से पंडितों के इस्लामिस्ट-नेतृत्व वाले जातीय सफाए को स्वीकार करने से इनकार किया है। उन्होंने लगातार इसे राज्य का विफलता बताने की कोशिश की है। कौन ने हमेशा से ही कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम को हिंदुत्व की राजनीति का मुद्दा बताया है।

वैश्विक मंचों पर भारत के खिलाफ बात

निताशा कौल भारत के खिलाफ बोलने की आदी हैं। साल 2019 में उन्होंने अमेरिकी हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के सामने गवाही दी थी। उस समय उन्होंने कश्मीर को भारत का कब्जा कहकर संबोधित किया था। इतना ही नहीं उन्होंने भारत सरकार पर कश्मीरियों का अपमान और तिरस्कार करने का आरोप लगाया था। उनके इस बयान को भारत विरोधी ताकतों जैसे ISI ने अपने हित में उपयोग किया।

भारत-विरोधी लोगों से संबंध

कौल ने स्टैंड विद कश्मीर और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल जैसे समूहों के साथ संबंध बनाए हैं। ये दोनों ही राष्ट्र-विरोधी, अक्सर अलगाववादी, आख्यानों को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। उनके साथ इन मंचों पर बार-बार जुड़ाव को मात्र असहमति नहीं, बल्कि एक सोची-समझी तोड़फोड़ की रणनीति माना जाता है।

भारतीय सेना का अपमान

जनरल बिपिन रावत की असामयिक मृत्यु के बाद कौल ने सार्वजनिक रूप से उनका अपमान किया था। उन्होंने जनरल बिपिन रावत को कश्मीरियों का दुश्मन कहा था। उनके इस बयान की व्यापक निंदा हुई। उनका ये बयान उनकी भारतीय सैन्य संस्थानों के प्रति घृणा उजागर करता है।

चुनावी को लेकर गलत सूचना

निताशा कौल ने भारतीय चुनावों के बारे में गलत जानकारी फैलाई। उन्होंने बिना किसी सबूत के ईवीएम पर सवाल खड़े किए। ऐसे आरोप विदेशी प्रोपेगंडा मशीनों को भारतीय लोकतंत्र की छवि बिगाड़ने में मदद करते हैं। इनका उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र में वैश्विक विश्वास को कम करना है।

झूठे साहित्यिक दावे

इतना ही नहीं निताशा कौल झूठे दावे करने में भी माहिर हैं। उन्होंने खुद का अंग्रेजी में उपन्यास लिखने वाली पहली कश्मीरी महिला के रूप में प्रचार किया। जबकि नैयरा सहगल उनसे दशकों पहले यह उपलब्धि प्राप्त कर चुकी हैं। यह गलत बयानी ऐतिहासिक सच्चाई को दबाने के साथ उनके आचरण को पेश करता है। वो अपने प्रचार के लिए कुछ भी कर सकती हैं।

नितिशा कौल का भारत-विरोधी बयानबाजी का एक लंबा इतिहास रहा है। वह लगातार भारत के खिलाफ अपना मोर्चा खोलती रही हैं। मई 2024 में उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाए। इससे पहले उनके खिलाफ एक लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। इस कारण उनको बेंगलुरु हवाई अड्डे से लंदन वापस भेज दिया गया था। नितिशा अलगाववादी समर्थक टिप्पणियां करने और सार्वजनिक मंचों पर कश्मीर को लेकर भारत-विरोधी रुख अपनाने की आदी हैं। उन्हें समझना होगा कि भारत वसुधैव कुटुंबकम के रास्ते पर चलने वाला शांतिप्रिय देश हैं लेकिन जब आत्म सम्मान और रक्षा की बात आएगी तो हर कदम उठाए जाएंगे।

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