जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज श्रीनगर में यूनिफाइड कमांड की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें आगामी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था और प्रदेश की वर्तमान सुरक्षा स्थिति की गहन समीक्षा की गई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में मुख्य सचिव, सेना के शीर्ष अधिकारी, पुलिस प्रमुख और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य केवल यात्रा की तैयारी तक सीमित नहीं था, बल्कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद उत्पन्न हालात का मूल्यांकन भी किया गया। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उपराज्यपाल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त किया जाए और किसी भी स्तर पर आतंकवाद को पनपने का अवसर न मिले।
सूत्रों ने बताया कि इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होने जा रही है, और इसके मद्देनज़र पूरे केंद्रशासित प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाने की दिशा में हर पहलू की समीक्षा की जा रही है। बैठक में यह भी तय किया गया कि सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल आपसी समन्वय के साथ इस यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित बनाएंगे। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब घाटी में एक बार फिर आतंकवाद के खात्मे को लेकर सरकार ने आक्रामक रुख अपनाया है, और यह साफ संकेत है कि इस बार सुरक्षा में किसी भी तरह की ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जाएगी।
जुलाई में शुरू होनी है अमरनाथ यात्रा
जुलाई में शुरू होने जा रही अमरनाथ यात्रा को लेकर प्रशासन अब किसी भी स्तर पर जोखिम लेने को तैयार नहीं है। श्रीनगर में हुई यूनिफाइड कमांड की बैठक सिर्फ एक रूटीन समीक्षा नहीं थी, बल्कि यह एक साफ संदेश था कि आतंकी हमलों और उनके नेटवर्क के खिलाफ अब निर्णायक कार्रवाई होगी। बैठक में पहलगाम आतंकी हमले के प्रभाव और ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर में बने सुरक्षा परिदृश्य पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को जड़ से खत्म करें, ताकि राज्य में शांति और स्थिरता को कोई चुनौती न दे सके। यह केवल आतंकियों को खत्म करने की बात नहीं थी, बल्कि उनकी फंडिंग, लॉजिस्टिक्स और लोकल सपोर्ट सिस्टम को भी पूरी तरह ध्वस्त करने का आह्वान था। इसी के साथ उपराज्यपाल ने प्रशासनिक मोर्चे पर भी एक बड़ा कदम उठाया है। अमरनाथ श्राइन बोर्ड और माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का पुनर्गठन करते हुए, विभिन्न क्षेत्रों से नौ प्रतिष्ठित व्यक्तियों को तीन वर्षों के लिए बोर्ड सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। यह निर्णय यह दर्शाता है कि सरकार आस्था, सुरक्षा और प्रशासनिक दक्षता तीनों को संतुलन में रखते हुए आगे बढ़ रही है।