सुखोई पायलट की अगली उड़ान- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ओर: जानें एक्सिओम मिशन के ‘पायलट’ शुभांशु शुक्ला के बारे में सबकुछ

जानें क्या है मिशन एक्सिओम का उद्देश्य

शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला (Image Source: X)

भारतीय वायुसेना के जांबाज़ पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अब एक नई उड़ान की तैयारी कर ली है और इस बार मंज़िल धरती से सैकड़ों किलोमीटर ऊपर, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) है। एक्सिओम मिशन-4 के तहत वे 8 जून को चार देशों के प्रतिनिधित्व वाले अंतरिक्ष दल के साथ 14 दिन के मिशन पर रवाना होंगे। लेकिन उससे पहले, उन्होंने शनिवार को मिशन के अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अनिवार्य क्वारंटीन फेज़ में प्रवेश कर लिया है।

अंतरिक्ष में जाने से पहले क्वारंटीन कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि बेहद अहम सुरक्षा प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य है कि पूरा क्रू पूरी तरह स्वस्थ रहे और किसी भी तरह के संक्रमण से बचा रहे, ताकि अंतरिक्ष में मिशन के दौरान किसी स्वास्थ्य जोखिम की संभावना न हो।

शुभांशु शुक्ला का चयन इस ऐतिहासिक मिशन के लिए ISRO और NASA के बीच हुए विशेष सहयोग समझौते के तहत हुआ है। भारतीय वायुसेना में वे एक प्रशिक्षित सुखोई फाइटर पायलट के रूप में वर्षों से सेवा दे रहे हैं और अब वे अंतरिक्ष की ओर भारत का अगला कदम रखने जा रहे हैं। एक्सिओम मिशन में भारत की भागीदारी न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उस विश्वास और क्षमता का प्रमाण है जो भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर लेकर खड़ा है। ऐसे में आइए जानें उस शख्स की कहानी, जो कॉकपिट से निकल कर अब स्पेसशिप की कमान संभालने जा रहा है- ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो न सिर्फ एक पायलट हैं, बल्कि हर उस भारतीय के सपने का प्रतीक हैं जो आसमान से भी आगे सोचता है।

कॉकपिट से स्पेस स्टेशन तक 

भारतीय वायुसेना के जांबाज़ पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब देश की अगली ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हैं। एक्सिओम मिशन-4 के तहत वह 8 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरेंगे। मिशन से पहले वे और उनके तीन साथी अंतरिक्ष यात्री अनिवार्य क्वारंटीन फेज़ में प्रवेश कर चुके हैं, जो हर अंतरिक्ष मिशन से पहले एक जरूरी चरण होता है ताकि पूरे दल को संक्रमण से बचाया जा सके और सभी पूरी तरह स्वस्थ रह सकें।

बता दें कि शुभांशु शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई अलीगंज स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से हुई। बारहवीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एंट्रेंस एग्जाम पास किया और यहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री भी हासिल की। NDA भारत की उन प्रतिष्ठित संस्थाओं में से एक है, जहां थल सेना, नौसेना और वायुसेना के ऑफिसर कैडेट्स को प्रशिक्षण दिया जाता है। यह एकेडमिक डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से एफिलिएटेड होती है।

17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में एक फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए। एक अनुभवी टेस्ट पायलट के तौर पर उनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव है। उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे कई लड़ाकू और ट्रांसपोर्ट विमानों को उड़ाया है।

2019 में उन्हें भारत के गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयनित किया गया। इसके बाद उन्होंने 2019 से 2021 तक रूस के यूरी गागरिन कॉसमोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में बेसिक एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग पूरी की। वर्तमान में वे बेंगलुरु स्थित भारत के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी सेंटर में मिशन की फाइनल तैयारियों में जुटे हैं। नासा और इसरो के बीच हुए एक विशेष समझौते के तहत उन्हें एक्सिओम मिशन के लिए चुना गया है, जो भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और मील का पत्थर साबित होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला न सिर्फ भारतीय वायुसेना की शान हैं, बल्कि अब वो अंतरिक्ष में भारत की मौजूदगी का प्रतीक बनने जा रहे हैं।

क्या है मिशन एक्सिओम 

एक्सिओम मिशन एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जिसे अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा के सहयोग से अंजाम दिया जा रहा है। इस मिशन के तहत एस्ट्रोनॉट्स स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरेंगे। लॉन्च फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए किया जाएगा। मिशन की लॉन्च डेट मिशन तैयारियों और अंतिम स्वीकृति के अनुसार घोषित की जाएगी।

Ax-4 यानी एक्सिओम मिशन-4 का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान और नई तकनीकों का प्रदर्शन करना है। यह मिशन न केवल स्पेस ट्रैवल को प्राइवेट सेक्टर में बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भविष्य में एक व्यावसायिक अंतरिक्ष स्टेशन (Axiom Station) स्थापित करने की योजना का भी हिस्सा है।

इस मिशन के ज़रिए माइक्रोग्रैविटी में विविध वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें जैवविज्ञान, चिकित्सा और भौतिकी से जुड़े पहलुओं की जांच शामिल होगी। इसके साथ ही अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण और उनका प्रदर्शन भी किया जाएगा, ताकि भविष्य के मिशनों में उन्हें व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल किया जा सके। यह मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी उदाहरण है, जिसमें अलग-अलग देशों के अंतरिक्ष यात्री एक साझा मंच पर काम करते हुए वैज्ञानिक और शैक्षिक गतिविधियों के ज़रिए पृथ्वी पर जागरूकता और प्रेरणा का संचार करेंगे।

एक्सिओम स्पेस इससे पहले तीन सफल मिशन पूरे कर चुका है। पहला मिशन अप्रैल 2022 में लॉन्च हुआ था और इसमें 17 दिनों तक एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेस में काम किया। दूसरा मिशन मई 2023 में हुआ, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों ने आठ दिन स्पेस स्टेशन में बिताए। तीसरा मिशन जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया था और इसमें क्रू ने कुल 18 दिन अंतरिक्ष में काम किया। अब चौथा मिशन, जिसमें भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं।

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