मोदी का मास्टर स्ट्रोक: विपक्ष-सरकार हुए एकजुट, दुनिया को देंगे सशक्त भारत का संदेश

भारत का पक्ष वैश्विक स्तर पर मजबूत तरीक़े से रखने के लिए बनाए गए प्रतिनिधिमंडल में शामिल विपक्ष के नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक मास्टर स्ट्रोक ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर विपक्ष और सरकार एक ही सुर में बोलते नज़र आएं। भारत का पक्ष वैश्विक स्तर पर मजबूत तरीक़े से रखने के लिए जिन प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजने की योजना बनाई है, उनमें कई विपक्षी सांसदों को भी शामिल करके प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि राष्ट्रहित के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल एकजुट रहें। इस प्रतिनिधिमंडल में जिन नेताओं को शामिल किया गया है उनमें अनुभवी राजनेता, वरिष्ठ वकील और अंतरराष्ट्रीय कानून के जानकार हैं। यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोग वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखें।

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने एक खास कूटनीतिक योजना बनाई है जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को मिलाकर कई प्रतिनिधिमंडल बनाए गए हैं। इसमें सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सहयोग का एक अच्छा और दुर्लभ उदाहरण भी देखने को मिला है। ये प्रतिनिधिमंडल दुनिया के बड़े देशों की राजधानियों में जाएंगे और वहां की सरकारों को भारत-पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव की जानकारी देंगे। खास तौर पर वे बताएंगे कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कैसे जवाबी कार्रवाई की है। सूत्रों के अनुसार, यह पहल इस उद्देश्य से की गई है कि सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष मिलकर एक राष्ट्रीय स्वर में बात करें और पाकिस्तान के झूठे प्रचार को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब किया जा सके।

इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने वाले सांसदों में में रविशंकर प्रसाद, अनुराग ठाकुर, मनीष तिवारी, अमर सिंह, प्रियंका चतुर्वेदी, सस्मित पात्रा, सुप्रिया सुले, श्रीकांत शिंदे, शशि थरूर, डी पुरंदेश्वरी, सामिक भट्टाचार्य, असदुद्दीन ओवैसी, कनिमोझी, सुदीप बंदोपाध्याय, ईटी बशीर, जॉन ब्रिटास, बैजयंत पांडा, अपराजिता सारंगी और संजय झा शामिल हैं। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “7 ऑल-पार्टी प्रतिनिधिमंडल जल्द ही विश्व के प्रमुख देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के प्रति हमारी ज़ीरों टॉलरेंस नीति का साझा संदेश देंगे। राजनीति और मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकता का एक सशक्त उदाहरण है।

इस प्रयास का मकसद यह भी है कि दुनिया को भारत की लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष छवि दिखाई दे और पाकिस्तान द्वारा कश्मीर व आतंकवाद को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम को तोड़ा जा सके। भारत के भीतर भी इस कदम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विभिन्न राजनीतिक दल अब पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रक्षात्मक और रणनीतिक कार्रवाइयों पर सवाल उठाना बंद करें और सरकार के साथ एकजुट खड़े दिखाई दें। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भारत की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे।

सांसदों का यह प्रतिनिधिमंडल कई देशों की राजधानियों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों का दौरा करेगा। इस दौरे का मुख्य मकसद यह बताना होगा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चल रहा है। साथ ही, प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोग दुनिया को यह बताएंगे कि पाकिस्तान कैसे आतंकवाद को समर्थन देता है, खासकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के मामले में, जिससे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है। सांसद इन देशों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पूरी जानकारी भी देंगे। यह ऑपरेशन 7 मई को भारतीय सेना द्वारा चलाया गया था जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए गए थे।

इन दौरों का मकसद भारत की बात दुनिया के सामने मजबूती से रखना, खासकर संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) जैसे मंचों पर पाकिस्तान के झूठे दावों का जवाब देना होगा। पीएम मोदी ने सभी पार्टियों के सांसदों को मिलाकर जो प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला लिया है वह राष्ट्रवाद और कूटनीति का शानदार मिश्रण है। इससे सरकार और विपक्ष मिलकर एकजुट भारत की आवाज़ दुनिया तक पहुंचाएंगे और पाकिस्तान का झूठा प्रचार नाकाम करेंगे।

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