मोहम्मद सादिक, शोएब मुल्ला, समीउल्ला समेत सभी 7 गैंगरेप के आरोपी जमानत पर छूटे; बेल मिलते ही निकाली विजय यात्रा

पहचान की पुष्टि में असमर्थ रही पीड़िता

कर्नाटक गैंगरेप केस

कर्नाटक गैंगरेप केस

करीब 16 महीने पहले कर्नाटक के हावेरी ज़िले में एक होटल रूम में ठहरे अंतरधार्मिक जोड़े पर कई लोगों ने हमला किया। आरोप है कि महिला को जबरन कमरे से खींचकर पास के जंगल में ले जाया गया और वहां उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया।

अब साल 2025 में, उन्हीं आरोपियों में से सात को ज़मानत मिलते ही उन्होंने ज़िले के अक्की आलूर कस्बे में मोटरसाइकिलों और कारों के काफिले के साथ, लाउडस्पीकरों और नारेबाज़ी के बीच एक “विजय यात्रा” निकाली। इस दौरान के वीडियो में आरोपी मुस्कुराते हुए, जीत के चिन्ह दिखाते नज़र आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो ने जन आक्रोश भड़का दिया है।

हाल ही में हावेरी सेशन्स कोर्ट ने सात मुख्य आरोपियों आफताब चंदनकट्टी, मदर साब मंडक्की, समीउल्ला लालनावर, मोहम्मद सादिक अगासीमणि, शोएब मुल्ला, तौसीफ छोटी और रियाज़ सविकेरी को ज़मानत दी थी। इन सभी को 26 वर्षीय पीड़िता के सामूहिक बलात्कार के मामले में गिरफ़्तारी के बाद कई महीनों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था। पीड़िता, जो एक अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखती हैं, एक 40 वर्षीय कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (KSRTC) ड्राइवर के साथ लंबे समय से रिश्ते में थीं। 8 जनवरी 2024 को दोनों ने हंगल के एक निजी होटल में कमरा बुक किया था। पुलिस जांच में सामने आया कि महिला को वहीं से जबरन उठाकर पास के जंगल में ले जाकर सामूहिक बलात्कार किया गया।

सोशल मीडिया पर ये वीडियो वायरल होने के साथ ही एक नई बहस टूल पकड़ रही है। जिसने एक बार फिर न्याय प्रणाली, समाज में स्त्रियों की सुरक्षा और बेल सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या आरोपी बेल के नाम पर जश्न मनाएंगे और पीड़िता फिर से दोबारा सज़ा भुगतेगी?

कमज़ोर पड़ा अभियोजन पक्ष का पक्ष

गैंगरेप के आरोप में मामला तब दर्ज किया गया जब पीड़िता ने एक विस्तृत बयान दर्ज कराया और शुरुआती तौर पर आरोपियों की पहचान की प्रक्रिया में उन्हें पहचाना। हालांकि, आगे की अदालती कार्यवाही के दौरान पीड़िता आरोपियों की पहचान की पुष्टि नहीं कर सकी, जिससे अभियोजन पक्ष का केस कमजोर हो गया।

इस केस की शुरुआत मूल रूप से “नैतिक पहरेदारी” (moral policing) के एक मामले के रूप में हुई थी। चूंकि पीड़िता और उसका साथी एक अंतरधार्मिक जोड़ा था और एक निजी होटल के कमरे में साथ थे, स्थानीय पुलिस ने पहले इसी आधार पर मामला दर्ज किया था। लेकिन 11 जनवरी को जब महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने औपचारिक बयान दर्ज कराया, तभी पुलिस ने इस केस में गैंगरेप की धाराएं जोड़ीं।

इस मामले में कुल 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें सात मुख्य आरोपी थे। शेष बारह पर या तो अपराध को अंजाम देने में मदद करने या पीड़िता के साथ मारपीट करने का आरोप था। इन बारह आरोपियों को लगभग दस महीने पहले ही ज़मानत मिल गई थी, जबकि सात मुख्य आरोपियों की ज़मानत कई बार खारिज की गई जब तक कि हाल ही में कोर्ट ने उन्हें राहत नहीं दी।

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