ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत के पराक्रम की बड़ाई अब करीब-करीब दुनिया का हर मीडिया संस्थान करने लगा है। सभी ने मान लिया कि पाकिस्तान में तबाही के भारत के दावे पूरे के पूरे सच हैं। हालांकि, देश के भीतर ही कई लोगों के ये बात हजम नहीं हो रही है। आतंक के खिलाफ इस जीत के बावजूद भी सियासी दल सरकार पर निशाना साधने के लिए मोर्चा बुलंद किए हुए हैं। इसमें सबसे आगे कांग्रेस और उससे राजकुमार राहुल गांधी हैं। वो कोशिश तो पूरी करते हैं लेकिन अक्सर अपनी ही बातों में फंस जाते हैं। इसके बाद उन्हें बचाने के लिए पार्टी को पूरी फौज लगानी पड़ती है।
हुआ कुछ यूं की राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 3 सवाल किए। इसका जवाब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दिया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी तरफ से भी सवाल दाग दिए। दुबे ने 1991 के समझौते को कटघरे में खड़ा करते हुए 1994 में इसके लागू होने तक जांच की मांग कर दी। बस फिर क्या इसके बाद कांग्रेस आर्मी किसी तरह से राहुल गांधी को बचाने के लिए कूद पड़ी है।
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निशिकांत दुबे ने विपक्ष से पूछे सवाल
पहलगाम हमले के बाद विपक्ष द्वारा सरकार का समर्थन करने के बाद विपक्ष के रुख में बदलाव पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि विपक्ष को समझ में नहीं आ रहा था कि पाकिस्तानी सीमा में घुसे बिना इतना बड़ा हमला कैसे संभव था। वे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत भी मांगते रहे। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ओर से उठाए गए सवालों पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है? कभी भाजपा को सेना पर सवाल उठाते देखा है? हम भी विपक्ष में रहे हैं। कुछ वर्षों को छोड़ दें तो कांग्रेस ने इस देश पर 60 साल तक राज किया। तब भी हमने कभी सेना पर सवाल नहीं उठाया। इस देश में सेना पर कभी सवाल नहीं उठाया जाता। हमें अपनी सेना पर गर्व है। इसके उलट सवाल उठाना कांग्रेस आदतन सवाल उठाती है। इसी कारण दुबे ने कांग्रेस से 3 सवाल पूछे हैं।
- पहला सवाल: 1991 का समझौता जो 1994 में कांग्रेस के समय में लागू हुआ। इसमें सेना के मूवमेंट की जानकारी 15 दिन पहले देने को लेकर करार किया गया था। क्या कांग्रेस का ये फैसला देशद्रोह नहीं है?
- दूसरा सवाल: यह है कि आर्मी कह रही है कि हमने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। विदेशी मीडिया में खबरें प्रकाशित हो रही हैं कि भारत जो कह रहा है वह सही है। इसके बाद भी कांग्रेस, प्रधानमंत्री से हिसाब पर हिसाब क्यों मांग रही है?
कांग्रेस के समझौतों की जांच होनी चाहिए
निशिकांत दुबे ने कहा कि मेरा कांग्रेस से सवाल है कि आपने समझौता किन परिस्थितियों में किया? कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम देखिए… कांग्रेस ने 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता किया। 1960 में सिंधु जल समझौता किया। आतंकवादी हमारे किसान मारते हैं और कांग्रेस उन्हें पानी पिलाती है। 1975 में शिमला समझौता किया गया। कांग्रेस ने 2012 में वीजा इतना फ्री कर दिया कि 40 हजार पाकिस्तानी यहीं के होकर रह गए। कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को बर्बाद और बेचने का काम किया। अब समय आ गया है कि इस समझौते की जांच की जाए कि किन परिस्थितियों में यह एग्रीमेंट हुआ।
बैकफुट पर कांग्रेस कर रही राहुल का बचाव
कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि अगर 1991 से किसी बात से परेशानी थी तो वे उसे पलट सकते थे। निशिकांत दुबे युद्ध, झड़प और छिटपुट घटनाओं के बीच का अंतर नहीं समझते। समझौते में यह नहीं लिखा है कि आतंकवादी हमले की स्थिति में हमें जवाबी कार्रवाई की सूचना देनी होगी। इसी लाइन पर कांग्रेस के एक और प्रवक्ता अतुल लोंढे पाटिल भी आ गए। उन्होंने कहा कि सीमा झड़पों को लेकर सहमति बनी थी कि ऐसी मुठभेड़ें नहीं होनी चाहिए। सभी सरकारों ने इसे बरकरार रखा है। इन घटनाओं को राष्ट्र पर हमला कैसे कह सकते हैं।
राहुल गांधी के सवालों का जवाब निशिकांत दुबे से मिलने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है। उसके नेता किसी तरह राजकुमार को बचाने के लिए आ गए हैं। उसके प्रवक्ता 1991 के समझौते पर उत्तर देने की जगह युद्ध, झड़प और छिटपुट घटनाओं में अंतर का ज्ञान दे रहे हैं। इससे साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस अपने सवाल में ही घिर गई है और अब बैकफुट पर पहुंच गई है। क्योंकि, उसके पास दुश्मन देश को सेना के मूवमेंट की जानकारी शेयर करने का समझौता करने के पीछे कोई आधार नहीं है। इसी कारण कांग्रेस प्रवक्ता राहुल गांधी को बचाने के लिए गोल मोल जवाब दे रहे हैं।