सिंधु जल समझौता: बाप-दादा तक क्यों पहुंची उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की जुबानी जंग?

सिंधु जल समझौता स्थगन के बाद जम्मू-कश्मीर के CM ने एक परियोजना का जिक्र किया। इससे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बीच जुबानी जंग बाप दादा तक पहुंच गई।

Omar Abdullah and Mehbooba Mufti

Omar Abdullah and Mehbooba Mufti

जम्मू-कश्मीर की सियासी सरजमीं एक बार फिर शब्दों की जंग का अखाड़ा बन गई है। इसके बाद घाटी की सियासत में फिर तल्खियां उभर आई हैं। एक ओर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वुलर झील और तुलबुल परियोजना को लेकर बयान दिया। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच सोशल मीडिया पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली। इसमें निजी कटाक्ष और राजनीतिक व्यंग्य भी हुई। इतना ही नहीं दोनों की लड़ाई बाप-दादा तक पहुंच गई।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बीच सोशल मीडिया पर तीखी नोकझोंक हो गई। सिंधु जलसंधि निलंबन के मद्देनजर वुलर झील पर तुलबुल नेविगेशन बैराज परियोजना को शुरू करने की बात हुई तो PDP अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री भारत-पाकिस्तान तनाव के समय भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया। जबकि, CM ने उन्हें सीमापार से संबंधित बता दिया।

उमर अब्दुल्ला की पोस्ट से शुरू हुई तकरार

गुरुवार को उमर अब्दुल्ला ने X पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा ‘तुलबुल नेविगेशन बैराज 1980 के दशक में शुरू हुआ था। हालांकि, सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का हवाला देकर पाकिस्तान के दबाव में इसे रोकना पड़ा। अब जब सिंधु जल समझौता अस्थायी रूप से निलंबित हो गया है। ऐसे में हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे?’ अपनी पोस्ट में उन्होंने जोड़ा कि यह परियोजना झेलम नदी को नौवहन के लिए उपयोगी बनाने और निचले इलाकों में बिजली उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी।

महबूबा मुफ्ती ने उमर के इस बयान को खतरनाक रूप से उकसावे वाला बताया। उन्होंने X पर लिखा ‘जब भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्ध के कगार से वापस लौटे हैं और जम्मू-कश्मीर ने इसकी सबसे ज्यादा कीमत चुकाई है। ऐसे बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक भी हैं। हमारे लोग शांति चाहते हैं। पानी जैसी मूलभूत चीज को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय मसला बनने का जोखिम भी पैदा होता है।

तुलबुल परियोजना का इतिहास

सीमा पार की दिल लगी और बाप-दादा तक गई बात

महबूबा की टिप्पणी पर उमर ने तीखा जवाब दिया। उन्होंने लिखा ‘दुख की बात है कि सस्ती लोकप्रियता और सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने की अंधी चाहत में आप यह स्वीकार नहीं कर रही हैं कि सिंधु जल समझौता जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है। एक अन्यायपूर्ण संधि का विरोध करना युद्ध भड़काना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक गलती को सुधारना है।’

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महबूबा ने उमर अब्दुल्ला के दादा और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा ‘समय बताएगा कि कौन किसे खुश करने की कोशिश कर रहा है। याद रखना चाहिए कि आपके दादा शेख साहब ने सत्ता खोने के बाद दो दशक तक पाकिस्तान के साथ विलय की वकालत की थी। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने अचानक भारत के साथ खड़े होने का फैसला किया।’ महबूबा ने दावा किया कि उनकी पार्टी पीडीपी ने हमेशा अपने सिद्धांतों और वादों को निभाया है।

उमर अब्दुल्ला ने की क्लोजिंग

उमर अबदुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद पर तंज कसते हुए जवाब दिया। उन्होंने लिखा ‘क्या यही आपका सबसे अच्छा जवाब है? उस शख्स पर सस्ते वार करना जिसे आप खुद कश्मीर का सबसे बड़ा नेता कह चुकी हैं। मैं इस बातचीत को उस कीचड़ में नहीं ले जाऊंगा, जहां आप जाना चाहती हैं। मैं मुफ्ती साहब और ‘उत्तर ध्रुव-दक्षिण ध्रुव’ को इसमें नहीं घसीटूंगा। आप जिसके हित चाहें, उनके लिए काम करें, मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों की वकालत करता रहूंगा। अब मैं कुछ असल काम करता हूं, आप पोस्ट करते रहें।’

क्या है उत्तर-दक्षिण ध्रुव?

भारत की राजनीति में उत्तर-दक्षिण ध्रुव उस दौर को कहा जाता है जब जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। उमर अब्दुल्ला की ओर से इस बात का जिक्र करते हुए पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार को निशाने पर लिया। ये सरकार बनने के समय मुफ्ती सईद ने बयान दिया था। उन्होंने उन्होंने दोनों दलों को वैचारिक रूप से विपरीत बताया था। इसी के बाद से इसके लिए उत्तर-दक्षिण ध्रुव टर्म को उपयोग होने लगा था।

पीडीपी नेता CM को घेरने आए

पीडीपी के प्रमुख नेता और विधायक वहीद पारा भी इस बहस में कूद पड़े। उन्होंने उमर अब्दुल्ला पर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम प्रयासों को तोड़ने का आरोप लगाया। वहीद ने X पर लिखा ‘यह उस मुख्यमंत्री की बात है, जिन्होंने अपने बयानों से युद्ध विराम को तोड़ने की कोशिश की है। सीमा पार गोलाबारी में नागरिकों की मौत देखी और जिनके पिता ने पहलगाम हमले के लिए स्थानीय लोगों को जिम्मेदार ठहराया। जबकि भारत सरकार ने असल दोषियों की पहचान की थी। अब वे एक पूर्व मुख्यमंत्री पर सीमा पार लोगों को खुश करने का आरोप लगा रहे हैं। उनका मकसद हर शांति चाहने वाले कश्मीरी को राष्ट्र-विरोधी करार देना है, ताकि कश्मीर दिल्ली से अलग-थलग रहे।’

पृष्ठभूमि और सियासी रुख

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस दोनों ने तनाव कम करने की वकालत की थी। हालांकि, पीडीपी ने भारत और पाकिस्तान दोनों से शांति की अपील की थी। जबकि, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि इसके लिए जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। पीडीपी ने यह भी आरोप लगाया कि उमर ने सत्ता में बने रहने के लिए केंद्र सरकार के सामने झुक गए हैं। इस सियासी तकरार ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर की नाजुक स्थिति को उजागर किया है, जहां पानी, शांति और सियासत का मसला आपस में गूंथ गया है।

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