केंद्र के निर्देश पर ओडिशा में घुसपैठ पर बड़ी कार्रवाई, शुरू हुई अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की प्रक्रिया

पृथ्वीराज हरिचंदन, ओडिशा के कानून मंत्री

पृथ्वीराज हरिचंदन, ओडिशा के कानून मंत्री (Image Source: Google)

देश की सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और जनसंख्या संरचना को लेकर केंद्र सरकार ने अब निर्णायक रुख अपना लिया है। गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे उन संदिग्ध लोगों की पहचान करें जो बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से भारत में घुसे हैं और खुद को भारतीय नागरिक बताकर वर्षों से यहां रह रहे हैं। मंत्रालय ने इन मामलों की जांच और दस्तावेज़ सत्यापन के लिए सिर्फ 30 दिन का समय निर्धारित किया है। तय अवधि के भीतर नागरिकता प्रमाणित न होने की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों को देश से निष्कासित किया जाएगा।

इस निर्देश के तहत ओडिशा सरकार ने भी राज्य में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन के लिए एक बड़ा और सुनियोजित अभियान शुरू करने की घोषणा की है। यह केवल एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं, बल्कि एक व्यापक और सामरिक कदम है, जो राज्य की आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। इस अभियान की ज़िम्मेदारी राज्य की क्राइम ब्रांच की स्पेशल टास्क फोर्स को सौंपी गई है, जिसे पहचान, दस्तावेज़ सत्यापन और कानूनी प्रक्रिया को पूरी सख्ती के साथ लागू करने का अधिकार दिया गया है।

सरकार ने अपनाया सख्त रुख

राज्य के विधि मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने सोमवार को स्पष्ट रूप से बताया कि अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ राज्य सरकार का रुख अब केवल नीतिगत स्तर पर नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरने वाला ठोस अभियान बन चुका है। उन्होंने बताया कि अभियान की योजना पूरी तरह तैयार है और सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समन्वय का कार्य तेज़ गति से चल रहा है। यह केवल सरकार का रुख नहीं, बल्कि एक निर्णायक प्रशासनिक कार्रवाई है जिसे पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

मंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में साफ किया कि बिना वैध दस्तावेजों के अब कोई भी विदेशी नागरिक ओडिशा में नहीं रह पाएगा। राज्य सरकार ने इस मामले में सख्ती से निपटने का निर्णय लिया है और हर जिले में पहचान की प्रक्रिया एक सुव्यवस्थित ढांचे के तहत पूरी की जाएगी। तकनीकी विभागों और प्रशासनिक एजेंसियों के साथ प्राथमिक चर्चा हो चुकी है, ताकि किसी भी स्तर पर बांग्लादेशी नागरिकों की सरकारी परियोजनाओं में संलिप्तता को रोका जा सके। इंजीनियरिंग और निर्माण एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे किसी भी अवैध नागरिक को नौकरी पर न रखें। सभी एजेंसियों को अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों की पूरी जानकारी सरकार को सौंपनी होगी।

इस राज्यव्यापी अभियान की अगुवाई ओडिशा क्राइम ब्रांच की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) करेगी, जो जिला प्रशासन, तटीय सुरक्षा बलों और अन्य विभागीय एजेंसियों के साथ मिलकर समन्वय में कार्य करेगी। बालेश्वर, भद्रक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, पुरी और गंजाम जैसे तटीय ज़िलों को प्राथमिकता के साथ चिन्हित किया गया है, जहां हाल के वर्षों में अवैध बांग्लादेशी बस्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इन ज़िलों में स्थानीय प्रशासन और जिलाधिकारियों को एसटीएफ के साथ पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें मानव संसाधन, लॉजिस्टिक सहायता और निगरानी व्यवस्थाओं को शामिल किया गया है ताकि पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया समयबद्ध ढंग से पूरी की जा सके।

एसटीएफ के डीआईजी पिनाक मिश्रा ने बताया कि अभियान की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए, खासकर इसकी पश्चिम बंगाल से लगती सीमा और पश्चिम बंगाल की बांग्लादेश से निकटता, यह इलाका लगातार अवैध घुसपैठ के खतरे का सामना करता रहा है। चाहे घुसपैठ जल मार्ग से हो या सड़क मार्ग से, हर प्रवेश बिंदु पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को समय रहते रोका जा सके।

सरकारी अधिकारियों ने यह भी कहा है कि अवैध घुसपैठ केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर आंतरिक सुरक्षा चुनौती है। इससे न केवल सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा रहता है, बल्कि यह राज्य की संरचनात्मक और प्रशासनिक स्थिरता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यह कदम ओडिशा सरकार की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि राज्य अब अवैध प्रवासियों के लिए सुरक्षित आश्रयगृह नहीं बनने दिया जाएगा।

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