ऑपरेशन सिंदूर में सेना के ‘अग्निअस्त्र’ से पस्त हुआ पाकिस्तान, 3000 अग्निवीरों ने तोड़ा इस्लामाबाद का हौसला

चार मुख्य भूमिकाओं में किया काम

3000 अग्निवीर ने दिखाया दम

3000 अग्निवीर ने दिखाया दम

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जब देश की सुरक्षा पर सीधी चोट हुई, तब भारत ने जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। इस सैन्य अभियान में एक खास बात थी इसमें शामिल थे वे युवा सैनिक, जिन्हें देश ने हाल ही में अग्निपथ योजना के तहत वर्दी पहनाई थी। करीब 3000 अग्निवीर, जिनकी औसत उम्र केवल 20 साल है, पहली बार एक असली युद्ध जैसे हालात में उतरे और उन्होंने वो किया जो किसी भी अनुभवी सैनिक से कम नहीं था।

इन अग्निवीरों ने भारतीय सेना की एयर डिफेंस यूनिट्स में तैनात होकर अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकी प्रणालियों को जिम्मेदारी से संभाला। जब पाकिस्तान ने भारत के सैन्य अड्डों, हवाई अड्डों और प्रमुख शहरों को निशाना बनाते हुए मिसाइल और ड्रोन से हमले किए, तब इन्हीं नवसैनिकों ने मोर्चा संभाला। उनकी प्रतिक्रिया न केवल तेज़ थी, बल्कि सटीक भी उन्होंने कई दुश्मन मिसाइलों और ड्रोन को आसमान में ही ध्वस्त कर दिया। यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी यह एक कसौटी भी थी। ये वही अग्निवीर थे जो पिछले दो सालों में ट्रेनिंग लेकर फील्ड में आए थे, और अब पहली बार असली खतरे के सामने खड़े थे।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि उन्होंने बेहद मुश्किल हालात में भी अपनी ट्रेनिंग का बेहतरीन इस्तेमाल किया। एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि इन युवाओं ने युद्ध जैसी स्थिति में अभूतपूर्व धैर्य, तकनीकी क्षमता और साहस दिखाया और ये सब उस उम्र में, जब ज़िंदगी सिर्फ़ सपनों से भरी होती है। कई एयर डिफेंस यूनिट्स में 150 से 200 अग्निवीर तैनात थे, जिन्होंने पाकिस्तानी हमलों को नाकाम किया। उन्होंने सिर्फ़ मिसाइलें और ड्रोन नहीं गिराए उन्होंने एक बड़ी बहस का जवाब भी दिया।

चार मुख्य भूमिकाओं में दिखाया अपना दम

ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 7 मई को हुई, जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ठोस और निर्णायक कदम उठाया। इसके बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच हालात युद्ध जैसे बन गए, जिसमें हवाई हमलों, मिसाइलों, ड्रोन, लंबी दूरी के हथियारों और भारी तोपों का इस्तेमाल हुआ। अंततः 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। इस पूरे ऑपरेशन में एक अहम भूमिका निभाई अग्निपथ योजना के तहत सेना में शामिल हुए युवाओं ने। तीन साल पहले शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य सेना को अधिक युवा और युद्ध के लिए तत्पर बनाए रखना था। यह योजना पारंपरिक भर्ती व्यवस्था से अलग है, जहां सैनिक 20 साल तक सेवा करते थे, जबकि अग्निपथ योजना के तहत सैनिकों को चार साल की सेवा का अवसर मिलता है, जिनमें से 25 प्रतिशत को 15 साल की नियमित सेवा के लिए चुना जाता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अग्निवीरों ने भारतीय सेना की स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणाली ‘आकाश’ को ऑपरेट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक अग्निवीरों ने इस अभियान में चार मुख्य भूमिकाओं में काम किया- गनर, फायर कंट्रोल ऑपरेटर, रेडियो ऑपरेटर और भारी सैन्य वाहनों के ड्राइवर के रूप में। उन्होंने कंधे पर रखकर चलने वाली मिसाइलों के साथ-साथ एल-70, ज़ेडयू-23-2बी, पेचोरा, शिल्का, ओएसए-एके, स्ट्रेला और तुंगुस्का जैसे जटिल और भारी हथियारों को संभाला। इसके अलावा, उन्होंने रडार, आकाश नोड्स और संचार नेटवर्क का संचालन भी बखूबी किया। जो अग्निवीर ड्राइवर थे, उन्होंने न केवल मिसाइलों को युद्धक्षेत्र तक पहुंचाया, बल्कि उन्हें तैनात करने के बाद सेंट्री की भूमिका भी निभाई।

अग्नीवर के लिए आरक्षित है नौकरियां

इन सैनिकों की उम्र 17.5 से 21 साल के बीच थी। पहले वर्ष में उन्हें 4.76 लाख रुपये और चौथे वर्ष में 6.92 लाख रुपये तक का वेतन मिलता है। चार साल की सेवा पूरी होने पर उन्हें 11.71 लाख रुपये की सेवा निधि प्रदान की जाती है। हालांकि, पारंपरिक सेवा के तहत मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं इन्हें नहीं मिलतीं। इस असमानता को संतुलित करने के लिए सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की हैं। हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों ने अपनी पुलिस में भी उनके लिए आरक्षण की घोषणा की है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस जैसी रक्षा क्षेत्र की प्रमुख संस्था ने भी अग्निवीरों के लिए 15 प्रतिशत तक नौकरियां आरक्षित करने का ऐलान किया है। ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीरों की भूमिका केवल सैन्य तकनीकी में दक्षता दिखाने तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने यह भी साबित किया कि कम उम्र और सीमित अनुभव के बावजूद, वे किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। उनके साहस, समर्पण और कार्यकुशलता ने यह संदेश दिया कि भारत की नई सैन्य नीति न केवल समय की मांग है, बल्कि देश की रक्षा के लिए एक दूरदर्शी कदम भी है।

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