‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की आतंकियों पर कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान जब भारतीय सेना के ठिकानों को निशाना नहीं बना सका तो उसने पंजाब के अमृतसर में स्थित सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने की कोशिश की थी। भारतीय सेना ने सोमवार (19 मई) को बताया है कि भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने का प्रयास किया था। हालांकि, भारत के मज़बूत एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के इन हमलों को नाकाम कर दिया था। सेना ने एक वीडियो जारी कर पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन के मलबे को दिखाया है, जिसे भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही निशाना बनाकर नष्ट कर दिया था।
15 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल कार्तिक सी. शेषाद्रि ने पाकिस्तान के इस हमले को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया, “‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था और इनमें से 7 को पूरी तरह तबाह कर दिया था। उ हमने इस ऑपरेशन के बाद तुरंत पाकिस्तानी सेना को जानकारी दी कि हमने सैन्य या आम नागरिकों के ठिकानों को निशाना नहीं बनाया था।” शेषाद्रि ने आगे कहा, “हमें पता था कि पाकिस्तान की सेना के पास कोई वैध या सही लक्ष्य नहीं है, इसलिए हमने पहले ही अंदाज़ा लगा लिया था कि वे भारतीय सैन्य ठिकानों, आम नागरिकों और धार्मिक स्थलों को निशाना बना सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख जगह स्वर्ण मंदिर थी।”
शेषाद्रि ने कहा, “हमें पुख्ता इंटेलिजेंस मिली थी कि स्वर्ण मंदिर पाकिस्तान के निशाने पर है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा के लिए आधुनिक एयर डिफेंस हथियारों को तैनात किया, जिससे वहां एक मजबूत सुरक्षा घेरा बना दिया गया। 8 मई की सुबह, जब अंधेरा था, पाकिस्तान ने एक बड़ा हवाई हमला किया जिसमें उन्होंने ड्रोन और लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल किया। लेकिन हम पूरी तरह तैयार थे। हमारे बहादुर और सतर्क वायु रक्षा सैनिकों ने पाकिस्तान की इस घिनौनी साजिश को नाकाम कर दिया और स्वर्ण मंदिर की ओर भेजे गए सभी ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया। इस तरह हमारे पवित्र स्वर्ण मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आने दी गई।”
#WATCH | Amritsar, Punjab: Major General Kartik C Seshadri, GOC, 15 Infantry Division says “…Knowing that Pak Army does not have any legitimate targets, we anticipated that they will target Indian military installations, civilian targets including religious places. Of these,… https://t.co/y9gECbSao1 pic.twitter.com/5X8Gwi5RRW
— ANI (@ANI) May 19, 2025
पुंछ में भी पाकिस्तान ने गुरुद्वारे को बनाया निशाना
सिखों के धार्मिक स्थलों को निशाने बनाने का यह अकेला मामला नहीं है। जम्मू-कश्मीर में भी जब पाकिस्तान की सेना सीमा पर भारतीय सेना का मुकाबला नहीं कर सकी तो पुंछ के ‘श्री गुरु सिंह सभा साहिब’ गुरुद्वारा को उन्होंने निशाना बनाया था। पाकिस्तान की सेना ने जानबूझकर पुंछ स्थित गुरुद्वारे पर तोपों से हमला किया, जिसमें रागी अमरीक सिंह, अमरजीत सिंह और रंजीत सिंह की मौत हो गई थी।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी इस मामले को लेकर पाकिस्तान की सेना पर निशाना साधा था। मिसरी ने 8 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सिख समुदाय को निशाना बनाकर हमला किया। पूंछ में एक गुरुद्वारे पर हमला किया गया और सिख समुदाय के लोग हमले की चपेट में आ गए। इस हमले में तीन लोगों की जान चली गई।
निशाने पर क्यों सिख?
लंबे समय से सिख ना केवल पाकिस्तान के निशान पर हैं बल्कि कई सौ वर्षों से इस्लामिक चरमपंथी उन्हें अपने सबसे बड़े दुश्मन की तरह देखते हैं। सिखों ने मुगलकालीन इस्लामी शासकों के समय से ही अपनी आस्था और धर्म को बचाने के लिए संघर्ष किया है। सिखों के पांचवें गुरु अर्जन सिंह की मुगल सम्राट जहांगीर ने 1606 में हत्या करा दी क्योंकि वे सिख धर्म नहीं छोड़ रहे थे। सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर को 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई, क्योंकि उन्होंने अपना धर्म त्यागने से इनकार कर दिया था। और उन्हें फांसी देने वाला मुगल आक्रांता औरंगजेब था। उनके साथियों तक को क्रूर यातनाएं दी गईं।
वहीं, गुरु गोबिंद सिंह के दो बड़े पुत्र, साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह, चमकौर की युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हुए। वहीं, उनके छोटे पुत्र, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह ने जब इस्लाम धर्म अपनाने से इंकार किया, तो सरहिंद के मुगल गवर्नर वज़ीर खान ने उन्हें ज़िंदा दीवार में चुनवा देने का क्रूर आदेश दिया था। सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा की स्थापना की और सिख समुदाय को एक योद्धा समुदाय में बदल दिया ताकि मुगल अत्याचारों का सामना किया जा सके। खालसा की स्थापना का अर्थ यही था कि सिख अब न्याय नहीं सहेंगे।
मौजूदा समय की बात करें तो बंटवारे के दौरान भी पश्चिमी पाकिस्तान में सबसे अधिक निशाने पर सिख समुदाय ही रहा। सिखों की बहुलता वाले पंजाब प्रांत के दो टुकड़े कर दिए गए और बड़ी संख्या में सिख अपनी ज़मीन छोड़ने को मजबूर हुए। जो नहीं छोड़ पाए उन्हें मारा, पीटा गया और उनकी हत्याएं तक की गईं, महिलाओं के साथ अत्याचार किए गए। सिखों पर पाकिस्तान में बार-बार और लगातार हमले होते रहे हैं जो यह बताते हैं कि इस समुदाय के लिए पाकिस्तान में जीना ही कितना दुश्वार हैं।
सिखों के उत्पीड़न और अत्याचार का आलम यह है कि सिखों की जो आबादी पाकिस्तान में लाखों में हुआ करती थी वो घटकर करीब 15,000 रह गई है। पाकिस्तान की 2023 की जनगणना के मुताबिक, देश में सिखों की कुल आबादी 15,998 है। पाकिस्तान में सिखों की जनसंख्या में पिछले दो दशकों में भारी गिरावट देखी गई है। इसका मुख्य कारण उनके विशिष्ट धार्मिक पहचान के कारण इस्लामी संगठनों द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन और लक्षित हमलों की बढ़ती घटनाएं हैं। ‘एशियन लाइट इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में ‘शरिया कानून’ लागू करने की बढ़ती मांगों के बीच सिख समुदाय के खिलाफ अत्याचारों में तेज़ी आई है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि सिखों के लिए पाकिस्तान में ज़िंदा रहना भी एक चुनौती बन चुका है। हत्या, अपहरण और जबरन मतांतरण जैसी घटनाएं सिखों के रोज़मर्रा के जीवन में डर का स्थायी भाव भर चुकी हैं।
पाकिस्तान में सिख समुदाय एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। धार्मिक असहिष्णुता, जबरन धर्मांतरण और कट्टरपंथी संगठनों की बढ़ती सक्रियता के चलते सिखों की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। सिखों की विशिष्ट धार्मिक पहचान, जैसे पगड़ी और कृपाण, उन्हें आसानी से पहचानने योग्य बनाती है, जिससे वे आतंकवादी संगठनों और इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर आ जाते हैं। सिख लड़कियों के जबरन धर्मांतरण और निकाह के मामलों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। पाकिस्तान में कुछ कट्टरपंथी सिखों को भारत के प्रति सहानुभूति रखने वाला मानते हैं, जिससे उनके खिलाफ शक और भेदभाव और भी बढ़ जाता है।
पाकिस्तान द्वारा भारत में सिखों के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने के पीछे केवल सामरिक या राजनीतिक उद्देश्य ही नहीं बल्कि एक गहरी और पुरानी सिख-विरोधी मानसिकता है। इतिहास गवाह है कि सिख समुदाय ने हमेशा धार्मिक स्वतंत्रता, न्याय और अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाई है। इसी कारण, कुछ कट्टरपंथी मानसिकता के लोगों में सिखों के प्रति एक विरोध की भावना सदियों से बनी हुई है। इसके अलावा, भारत में सांप्रदायिक सौहार्द और विशेषकर हिंदू-सिख एकता को तोड़ना भी एक बड़ा उद्देश्य हो सकता है। पाकिस्तान के कुछ रणनीतिक और वैचारिक समूह यह भली-भांति जानते हैं कि यदि भारत के भीतर हिंदू और सिख समुदायों के बीच अविश्वास या विभाजन की भावना पैदा कर दी जाए, तो उससे भारत की आंतरिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। इसलिए वे सिखों के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि भारत में सिख सुरक्षित नहीं हैं, और इस प्रकार उन्हें मुख्यधारा से अलग-थलग किया जा सकता है।