पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने अपनी ताकत का परिचय कराया। इसके बाद देखा गया कि देश के भीतर और देश के बाहर कई लोग भारत के कदमों के खिलाफ गए। देश के बाहर कई लोग भारत की विशेष सुविधा लेते हुए भी अक्सर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं। ऐसे में भारत सरकार इनके प्रति अब कड़े रुख अख्तियार कर रही है। सरकार ने ऐसे लोगों के ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड रद्द करने शुरू कर दिए हैं। लंदन में रहने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल OCI कार्ड भी भारत विरोधी गतिविधियों के कारण रद्द किया गया है।
18 मई 2025 को निताशा कौल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने OCI कार्ड रद्द होने की जानकारी दी है। उन्होंने भारत सरकार के आधिकारिक पत्र का एक हिस्सा पोस्ट किया। इसमें कहा गया है कि कौल ने भारत विरोधी गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने भारत की संप्रभुता से संबंधित मुद्दों पर देश और संस्थानों को निशाना बनाया। आखिर OCI कार्ड क्या है जो इसके रद्द होने पर इतनी बड़ी खबर बन रही है? आइये जानें OCI कार्ड के नियम और सुविधाएं।
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ओसीआई कार्ड क्यों है खास?
OCI कार्ड 2005 से नागरिकता अधिनियम-1955 में संशोधन के जरिए शुरू किया गया था। इसका मकसद भारतीय मूल के उन व्यक्तियों को विशेष दर्जा देना था जो अब किसी अन्य देश की नागरिकता रखते हैं। ओसीआई कार्ड उन विदेशी नागरिकों के लिए भी होता है जिनकी शादी भारतीय नागरिक या ओसीआई कार्डधारक से हुई है। इस कार्ड के माध्यम से उन्हें भारत में बिना वीजा के असीमित प्रवास करने की इजाजत मिल जाती है।
OCI कार्ड के लिए पात्रता
- 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद किसी भी समय भारत के नागरिक थे।
- 26 जनवरी 1950 को भारत के नागरिक बनने के पात्र थे।
- 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बने क्षेत्रों से संबंधित थे।
- उपरोक्त नागरिकों के बच्चे, पोते या परपोते भी इसके लिए पात्र हैं।
- नाबालिग बच्चे जिनके दोनों माता-पिता या कोई एक भारत का नागरिक हो।
- OCI कार्डधारक के विदेशी मूल के पति/पत्नी
- पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिक और विदेशी सैन्य कर्मी OCI के लिए पात्र नहीं होते।
OCI कार्डधारकों के लाभ
OCI कार्डधारकों को भारत में असीमित प्रवेश के लिए वीजा दिया जाता है। उन्हें गैर-निवासी भारतीयों (NRI) की तरह ही कुछ वित्तीय, आर्थिक और शैक्षिक मामलों में अधिकार भी मिलते हैं। सबसे खास बात ये कि OCI कार्डधारक 5 साल तक नागरिकता अधिनियम-1955 की धारा 5(1)(g) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
OCI की सीमाएं
- OCI को दोहरी नागरिकता के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।
- राजनीतिक अधिकार जैसे मतदान का अधिकार नहीं मिलता है।
- OCI कार्डधारक संवैधानिक पदों के लिए अयोग्य होता है।
- केंद्र या राज्य सरकार की सार्वजनिक सेवा में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होते।
- हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा विशेष आदेशों के माध्यम से नामित विशिष्ट पदों पर नियुक्ति मिल सकती है।
पहले भी रोका गया था
फरवरी 2024 में कर्नाटक सरकार (कांग्रेस शासित)ने एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। तब भी कौल को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था। कुछ घंटों के बाद उनको वापस लंदन भेज दिया गया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया था कि कांग्रेस सरकार भारत की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचा रही है। वो ऐसे लोगों को बुला रही है जिन्होंने कश्मीर के विषय पर व्यापक रूप से लिखा और बोला है। इसमें उन्होंने भारत के रुख खा ध्यान नहीं रखा।
कौन हैं निताशा कौल?
निताशा कौल भारतीय मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। वो लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और क्रिटिकल इंटरडिसिप्लिनरी स्टडीज की प्रोफेसर हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और यूके के हल विश्वविद्यालय से मास्टर और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। वो दक्षिणपंथी राजनीति, भारत में हिंदुत्व और कश्मीर के इतिहास, राजनीति पर लिखती बोलती रही हैं।
- जन्म: 1976, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
- पारिवारिक पृष्ठभूमि: कश्मीरी पंडित (श्रीनगर से दिल्ली आकर बसे)
- शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, हल विश्वविद्यालय से मास्टर और पीएचडी
भारत विरोधी बयानबाजी का लंबा इतिहास
निताशा का भारत विरोधी बयानबाजी करने का लंबा इतिहास रहा है। मई 2024 में उन्होंने ईवीएम पर संदेह जताते हुए काल्पनिक कहानी बनाई थी। इससे ठीक पहले उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। इसी के आधार पर उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे से ही लंदन भेज दिया गया था। निताशा अलगाववादी समर्थक टिप्पणियों, सार्वजनिक मंचों पर कश्मीर पर भारत विरोधी रुख अपनाने की आदी हैं। वो लगातार स्टैंड विद कश्मीर, कश्मीर सॉलिडेरिटी मूवमेंट और इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही हैं।
- कौल व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस में पीएम मोदी के संबोधन को रद्द करने में सबसे आगे रहीं।
- जनरल बिपिन रावत को उन्होंने कश्मीरियों का दुश्मन बताकर उनकी मौत का मजाक उड़ाया था।
- अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका की हाउस कमेटी में प्रमुख गवाह बनकर गई थी।
दुनिया के कई देशों में दोहरी नागरिकता का चलन है। हालांकि, भारत किसी अन्य देश के नागरिक को या अपने नागरिक जो कही और की नागरिकता रखते हैं उन्हें मान्यता नहीं देता है। कुल मिलाकर उन्हें भारत की नागरिकता छोड़नी होती है। ऐसे ही लोगों की सुविधा के लिए साल 2003 में भारत सरकार ने पीआईओ कार्ड (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन) की शुरुआत की थी। इसे पासपोर्ट की तरह 10 साल के लिए जारी किया जाता था। इसके बाद साल 2006 में सरकार ने ओसीआई कार्ड देने का ऐलान किया। कुछ समय तक OCI कार्ड और PIO अलग-अलग रूप से चलते रहे। इसके बाद 2015 में सरकार ने केवल OCI कार्ड जारी रखने का फैसला लिया। भारत विरोधी गतिविधि होने पर सरकार इसे रद्द भी कर सकती है। निताशा पर भी इसी आधार पर एक्शन हुआ है।