‘शरिया के खिलाफ है शतरंज’, तालिबान के निशाने पर राजा, वजीर और प्यादे; अफगानिस्तान में लगा बैन

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने शतरंज को शरिया के खिलाफ बताते हुए इसे खेलने पर बैन लगा दिया है। इसे जुए को बढ़ावा देने वाला बताया गया है।

Taliban Ban Chess In Afghanistan

Taliban Ban Chess In Afghanistan

शतरंज की चालें जिंदगी की जंग में भी काम आती हैं। शतरंज को बुद्धि और रणनीति का खेल माना जाता है। सदियों से ये दिमागी कसरत का प्रतीक रहा है। हर चाल सोच-समझकर चली जाती है। माहिर लोग तो घंटों तक इस बिसात बिछाकर अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, अफगानिस्तान में अब चाल चलना भी गुनाह हो गया है। इस बार तालिबान राजा, वजीर और प्यादों की इस सदियों पुरानी बाजी को निशाना बनाया है। तालिबान ने इसे शरिया के खिलाफ मानते हुए अफगानानों खेलने पर बैन लगा दिया है। तालिबान का यह ताजा फरमान उनकी कट्टरता को दर्शाता है।

तालिबान सरकार ने पुष्टि की कि अफगानिस्तान में शतरंज अब प्रतिबंधित है। कारण? शतरंज जुए को बढ़ावा देता है और ये इस्लाम में हराम है। तालिबान की यह दलील वैसी ही है जैसी वे महिलाओं की शिक्षा, संगीत, फिल्मों और यहां तक कि मार्शल आर्ट्स जैसे खेलों पर पाबंदी लगाते वक्त देते आए हैं। उन्होंने पिछले साल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को हिंसब बताते हुए बैन कर दिया था।

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किस आधार पर लगा बैन

तालिबान प्रशासन ने अफगानिस्तान में शतरंज पर अगले आदेश तक रोक लगाने की घोषणा की। अफगानिस्तान के खेल निदेशालय ने रविवार को शतरंज के निलंबन की पुष्टि करते हुए कहा कि यह खेल शरिया कानून के अनुसार जुआ माना जाता है। निदेशालय के प्रवक्ता अटल मशवानी ने जोर देकर कहा कि जब तक इस धार्मिक चिंता का समाधान नहीं हो जाता तब तक अफगानिस्तान में शतरंज पर प्रतिबंध जारी रहेगा। उन्होंने साफ किया कि पिछले साल लागू हुए सदाचार और दुराचार निवारण कानून के अनुसार देश में जुआ गैरकानूनी है।

हैरानी में स्थानीय लोग

दूसरे मुस्लिम देशों में तो शतरंज खेला जाता है। ऐसे में अफगानिस्तान में इसके बैन से स्थानीय लोग भी हैरान हैं। एएफपी से काबुल के कई कैफे मालिक ने कहा कि अन्य देशों के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा रहे हैं। फिर अफगानिस्तान में ही इस पर रोक क्यों? मेरे कैफे में शतरंज सिर्फ मनोरंजन और दोस्तों के साथ समय बिताने का जरिया है। इसमें जुए का कोई सवाल ही नहीं उठता। अब इस प्रतिबंध से उनका व्यवसाय और युवाओं का मनोरंजन दोनों प्रभावित होंगे।

तालिबान की कट्टर सोच

2021 में सत्ता में आने के बाद से तालिबान ने मनोरंजन और खेलों पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं। महिलाओं को किसी भी खेल में भाग लेने से पूरी तरह रोक दिया गया है। पिछले साल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि तालिबान इसे ‘हिंसक’ और शरिया के खिलाफ मानता है। अब शतरंज पर रोक ने स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया है। क्योंकि यह एक ऐसा खेल है जो न तो हिंसक है और न ही किसी नैतिकता को चुनौती देता है। तालिबान का यह कदम साफ तौर पर उनकी कट्टर सोच और प्रगति के प्रति दुश्मनी को दर्शाता है।

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