डेडलाइन खत्म फिर भी पाकिस्तान नहीं लौटी सीमा हैदर, अब जाएंगी जेल या मामला है कुछ और?

सीमा हैदर

सीमा हैदर (Image Source: dailyexcelsior)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। एक के बाद एक बड़े फैसले लेते हुए भारत सरकार ने न केवल सिंधु जल संधि को रद्द किया, वीज़ा प्रक्रियाएं रोकीं, बल्कि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के लिए अंतिम समय-सीमा भी तय कर दी। सरकारी निर्देशों के मुताबिक, 29 अप्रैल 2025 तक सभी पाक नागरिकों को भारत से वापस लौटना था। तय समय सीमा के भीतर देश न छोड़ने पर अब उन्हें कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है – जिसमें अधिकतम तीन साल की जेल और तीन लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है।

सरकारी सूत्रों की मानें तो अधिकांश पाक नागरिकों ने भारत सरकार के आदेश का पालन करते हुए वापसी कर ली है। हालांकि, कुछ अपवाद अब भी बाकी हैं। उन्हीं में से एक नाम है सीमा हैदर जो पहले भी अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और मीडिया में अपनी मौजूदगी के चलते चर्चा में रह चुकी हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या सीमा हैदर को जेल भेजा जाएगा? जवाब है ‘नहीं’। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि सीमा का मामला कानूनी पेचिदगियों और मानवीय आधारों पर अलग तरीके से देखा जा रहा है।

इस कारण से नहीं लौटीं सीमा 

सीमा हैदर आज भी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित अपने घर में मौजूद हैं, जबकि भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में रह रहे 118 पाकिस्तानी नागरिकों को चिन्हित कर एक-एक करके पाकिस्तान वापस भेज दिया। तो सवाल उठता है जब बाकी पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने को मजबूर किया गया, तो सीमा कैसे रह गईं? इसका जवाब कानूनी प्रक्रिया की उस बारीकी में छिपा है जिसे आम लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

दरअसल, 23 अप्रैल को भारत के विदेश सचिव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार द्वारा लिए गए पांच सख्त फैसलों की घोषणा की थी, जिनमें एक बड़ा फैसला यह था कि भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों के सभी 14 प्रकार के वीज़ा रद्द कर दिए जाएंगे और उन वीजा धारकों को तत्काल भारत छोड़ना होगा। लेकिन यही आदेश सीमा हैदर पर लागू नहीं होता क्योंकि उन्होंने भारत में प्रवेश ही वीज़ा के बिना, अवैध तरीके से किया था। यानी वे उन 14 कैटेगरी में आती ही नहीं हैं जिनके वीज़ा रद्द किए गए। परिणामस्वरूप, जिन पाकिस्तानी नागरिकों ने वैध वीज़ा लेकर भारत में कदम रखा था, उन पर तो कानूनी कार्रवाई हुई, लेकिन सीमा जैसे अवैध प्रवासी इस प्रक्रिया से बाहर रह गईं।

यही विडंबना हैकभी-कभी कानून की सीमाएं भी असमंजस की स्थिति पैदा कर देती हैं। सीमा का मामला अब उत्तर प्रदेश की अदालत में विचाराधीन है, और जब तक अदालत अपना फैसला नहीं सुनाती, तब तक उन्हें भारत से निकाला नहीं जा सकता। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति भवन में भारतीय नागरिकता के लिए भी आवेदन किया है, जो पहलगाम हमले से पहले का है। इस पर राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं आया है। जब तक नागरिकता पर फैसला लंबित है, तब तक भारत सरकार सी मा को कानूनी रूप से पाकिस्तान नहीं भेज सकती।

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