‘The Wire’ हुआ सस्पेंड: पहलगाम हमले के पीड़ितों के बयान से की थी छेड़छाड़ -प्रोपेगेंडा फैलाने का रहा है इतिहास

जानें क्या है पूरी खबर

The Wire Suspended

The Wire Suspended

आज सुबह The Wire ने ट्वीट किया कि उसकी वेबसाइट को भारत में एक्सेस नहीं किया जा पा रहा है। इसके पीछे सरकार के आदेश का हवाला दिया गया, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत लिया गया था। पर असल में यह सिर्फ एक वेबसाइट ब्लॉक करने की घटना नहीं है, बल्कि यह उस एजेंडे को कुचलने की कार्रवाई है जो पत्रकारिता की आड़ में वामपंथी विचारधारा और प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए सैकड़ों बार उजागर हो चुका है।

जब भी The Wire का नाम आता है, तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लिए ‘कुत्ता’ जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने जैसी उसकी घिनौनी मानसिकता की गंध हवा में फैलने लगती है। The Wire कभी नहीं छिपाता कि यह अपनी पत्रकारिता के नाम पर एक खास विचारधारा का प्रचार करता है, जिसे जनता ने बार-बार नकारा है। पहलगाम में आतंकवादियों के बचाव की कोशिश करते हुए, The Wire ने पीड़ितों के बयानों से छेड़छाड़ तक कर दी, ताकि अपनी रिपोर्ट को अपने एजेंडे के मुताबिक ढाला जा सके। पर जैसे ही जनता ने सोशल मीडिया पर इसका कड़ा विरोध किया, तो बिना किसी माफी के, The Wire ने चुपके से खबर में बदलाव किया। यह सब बताता है कि यह संस्थान सच से ज्यादा प्रोपेगेंडा फैलाने में रुचि रखता है।

पीड़ितों के बयान से छेड़छाड़ 

वामपंथी एजेंडे को फैलाने वाला न्यूज पोर्टल ‘The Wire’ इस्लामी कट्टरपंथियों को बचाने के लिए अपनी पत्रकारिता का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ता, लेकिन 22 अप्रैल को इसने अपनी नीचता की एक और गहरी मिसाल पेश की। पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित और प्रत्यक्षदर्शी के बयान को छेड़छाड़ कर The Wire ने पूरी तरह से झूठ फैलाने की कोशिश की, ताकि आतंकियों को सुरक्षा कवच मिल सके।

कश्मीर के पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले में 20 से ज्यादा पर्यटकों की निर्दयता से हत्या की गई, जिसमें आतंकियों ने पीड़ितों से उनका धर्म पूछा और मुस्लिम न होने पर उन्हें बेरहमी से मार डाला। इस हमले से जुड़े वीडियो और रिपोर्ट्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिनमें साफ तौर पर दिखाया गया कि आतंकियों ने पीड़ितों की पहचान जाँची, उनका धर्म पूछा और फिर प्वाइंट ब्लैंक पर गोली मार दी।

Controversial Post (image Source: X)

The Wire की रिपोर्ट, जो जहाँगीर अली द्वारा लिखी गई थी, ने इस सबूत को नकारते हुए वहीं दावों की झूठी फायरिंग की कि एक महिला ने कहा कि उसके पति को मुस्लिम होने के कारण गोली मारी गई। यह रिपोर्ट पब्लिश करने के बाद जब सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया आई, तो The Wire ने चुपके से अपनी गलती सुधार ली। लेकिन यह घटना इस तथ्य को पूरी तरह से बेनकाब कर देती है कि ‘The Wire’ इस्लामी आतंकवादियों को बचाने के लिए हमेशा अपना नैरेटिव गढ़ता है, और यदि अपराधी मुस्लिम होते हैं, तो इसे चालाकी से छुपा लिया जाता है।

यह नई करतूत नहीं है, बल्कि ‘The Wire’ का एक पुराना पैटर्न है, जिसमें हमेशा हिंदुओं को निशाना बनाया जाता है और इस्लामी कट्टरपंथ को ढकने की कोशिश की जाती है। चाहे वह कश्मीर में आतंकी हमलों को जायज ठहराना हो या भारत विरोधी नैरेटिव फैलाना हो, ‘The Wire’ ने हमेशा अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया है, जो अब एक बुरी तरह से बेनकाब हो चुका है।

उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को कहा ‘कुत्ता’

The Wire ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को ‘कुत्ता’ कहा तो यह न केवल एक संवैधानिक पद की गरिमा को अपमानित करने वाली भाषा है, बल्कि लोकतंत्र और संस्थाओं की निरंतर अवमानना का परिचायक भी है। यह वही The Wire है जो सिद्धार्थ वरदराजन के नेतृत्व में वामपंथी एजेंडे के तहत संविधान और लोकतंत्र को अपनी सुविधानुसार मोड़ने की कोशिश करता रहा है। क्या यही वही पोर्टल है जिसने कभी सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कभी ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल किया था, जिनका निशाना तब सरकार थी?

Controversial Post (image Source: X)

कभी जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर हमला बोला था, तब The Wire ने उनके खिलाफ क्या किसी भी तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया? नहीं, बल्कि उन्होंने उन जजों की आलोचना के बजाय उनका पक्ष लिया। यहाँ पर साफ दिखाई देता है कि The Wire अपनी वामपंथी मानसिकता के तहत कभी भी किसी भी संवैधानिक पद को लेकर निराधार हमले करने से पीछे नहीं हटता।

जब उप-राष्ट्रपति ने अपनी चिंताओं को सार्वजनिक किया, तो क्या उस पर बात करते समय उन्होंने जो सवाल उठाए, वह सच नहीं थे? सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रुमा लाल और पूर्व मुख्य न्यायाधीश JS वर्मा ने बार-बार न्यायपालिका में पारदर्शिता की आवश्यकता को उठाया। प्रणब मुखर्जी, जो खुद एक संविधान के जानकार थे, ने हमेशा न्यायपालिका के संतुलित और आत्म-संयमित होने की वकालत की। क्या इन वरिष्ठ व्यक्तित्वों को भी The Wire से गालियाँ मिलेंगी?

इतिहास में कई मौकों पर The Wire ने संविधान और न्यायपालिका के बारे में अलग-अलग विचारों को नकारा है, और आज जब न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात की जा रही है, तब यही पोर्टल उन सभी मुद्दों को भूल जाता है जिनमें एक उप-राष्ट्रपति ने या तमाम नेताओं ने न्यायपालिका के फैसलों को चुनौती दी। The Wire की यह नीति आज भी झूठ और द्वेष फैलाने के एजेंडे को ही बढ़ावा देती है।

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