भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष में मध्यस्थता को लेकर किए गए दावे पर प्रतिक्रिया दी है। पहलगाम में हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों के हमले के बाद भारत की आतंकवाद पर कड़ी चोट के चलते भारत-पाक के हालिया संघर्ष की शुरुआत हुई थी। इसके तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें ध्वस्त कर दिया। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन्स और मिसाइलों से हमले करने शुरू कर दिए लेकिन उसकी एक ना चली और भारत के ‘अभेद्य’ एयर डिफेंस सिस्टम ने इन्हें नष्ट कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे लेकर कहा था कि अमेरिका ने ट्रेड का दवाब बनाकर यह मध्यस्थता कराई थी और अब एस जयशंकर ने इस दावे को खारिज कर दिया है और उन्होंने सीज़फायर की असल कहानी भी बताई है।
कैसे हुआ सीज़फायर?
एस जयशंकर ने नीदरलैंड्स में NOS मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है, “आतंकी हमले के बाद यह अनिवार्य था कि हम इसका जवाब देते, क्योंकि ऐसे मामले में शांत रहना विकल्प नहीं था। सरकार का साफ मानना था कि अगर ऐसा कोई हमला होगा तो हम जवाब देंगे। हमने 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद पाकिस्तान की सेना ने भारत पर हमला किया और हमने उसका माकूल जवाब दिया और ऐसा 4 दिनों तक चलता रहा।
उन्होंने कहा, “इसके बाद 10 मई को भारत ने पाकिस्तान के 8 एयरबेस को निशाना बनाया और उन्हें ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया कि उनका इस्तेमाल ना हो पाए। हमने रन-वे और कमांड सेंटर को निशाना बनाया। मुझे लगता है कि इसने पाकिस्तान की सेना को मजबूर कर दिया कि हम एक-दूसरे पर हमला ना करें। हालांकि, हमने स्पष्ट कर दिया है कि अगर 22 अप्रैल जैसा हमला होगा तो हम आतंकियों को मारेंगे और अगर आतंकी पाकिस्तान में होंगे तो हमें उन्हें वहीं जाकर मारेंगे।”
जयशंकर ने कहा, “भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत के लिए हॉट लाइन की व्यवस्था है। 10 मई को पाकिस्तान की सेना ने संदेश दिया कि वे संघर्ष को रोकने के लिए तैयार हैं और इसके हमने जवाब दिया।”
‘अगर पाकिस्तानी फायरिंग रोकना चाहते हैं…’
इस बातचीत में अमेरिका की भूमिका को लेकर जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका को विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उनसे बात की थी और अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी। उन्होंने कहा, “अमेरिका का अपना पक्ष था और वे भारत-पाकिस्तान दोनों से बातचीत कर रहे थे। ऐसा करने वाला अमेरिका अकेला देश नहीं था कई अन्य देश भी ऐसा कर रहे थे जिनमें खाड़ी देश भी शामिल हैं। जब दो देश संघर्ष में उलझे हों तो दुनिया भर के देश ऐसे स्थिति में मदद करने की कोशिश करते हैं।”
जयशंकर ने कहा, “सैन्य संघर्ष विराम को लेकर बातचीत सीधे भारत-पाकिस्तान के बीच हुई थी। जिस भी देश ने हमसे बात की उससे हम एक बात स्पष्ट कर दी थी कि अगर पाकिस्तानी फायरिंग को रोकना चाहते हैं कि उन्हें हमें बताना होगा, हम सीधे उनसे सुनना चाहते हैं। पाकिस्तान के जनरल को हमारे जनरल से सीधे बताना होगा और ऐसा ही हुआ।”