अंतरिक्ष से होने वाले हमले भी होंगे नाकाम, जानें कैसे काम करता है अमेरिकी ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम?

इज़राइली आयरन डोम से भी ज़्यादा घातक

‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम (AI द्वारा बनाया गया चित्र)

‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम (AI द्वारा बनाया गया चित्र)

8-9 मई की रात भारत की सीमाओं पर एक बड़ा सैन्य संकट खड़ा हुआ। पाकिस्तान ने एक समन्वित हवाई हमला किया, जिसमें ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और माइक्रो यूएवी जैसी हवाई युद्ध प्रणालियों का प्रयोग कर भारत के सीमावर्ती शहरों और सामरिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। यह हमला एक आक्रामक रणनीति का हिस्सा था, जिसके तहत भारतीय एयरबेस भी सीधे निशाने पर थे। लेकिन इस हमले के जवाब में भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उसने पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से झकझोर कर रख दिया। भारत का एयर डिफेंस नेटवर्क तुरंत सक्रिय हुआ और हमले को हवा में ही रोक दिया गया। इस जवाबी कार्रवाई में सबसे निर्णायक भूमिका निभाई स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल डिफेंस सिस्टम ‘आकाशतीर’ ने निभाई। भारत का आयरन डोम कहे जाने वाली आकाशतीर ने दुश्मन के इनबाउंड एयरबोर्न थ्रेट्स जिसमें मिसाइलें, ड्रोन, माइक्रो यूएवी और अन्य हवाई हथियार शामिल थे सभी को हवा में ही ध्वस्त कर दिया। इसकी 100 प्रतिशत इंटरसेप्शन रेट ने न सिर्फ सैन्य विश्लेषकों को प्रभावित किया, बल्कि यह भारतीय एयर डिफेंस की तकनीकी श्रेष्ठता और तैयारियों का स्पष्ट संकेत भी था।

ऐसे में चाहे युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच हो, रूस-यूक्रेन में चल रहा हो या फिर इज़राइल-हामास संघर्ष अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि आधुनिक युद्धों में ड्रोन और मिसाइलों के खिलाफ एक सक्षम और प्रतिक्रियाशील एयर डिफेंस सिस्टम की भूमिका निर्णायक होती है। हवा में ही दुश्मन के हथियारों को निष्क्रिय करना अब सिर्फ तकनीकी क्षमता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की बुनियादी आवश्यकता बन चुकी है। भारत का ‘आकाशतीर’ इसका सबसे ताजा और प्रभावशाली उदाहरण है, जिसने साबित कर दिया कि यदि डिफेंस सिस्टम समय पर, सटीक और स्वदेशी हो, तो वह पूरे युद्ध की दिशा बदल सकता है।

भारत की इस रणनीतिक सफलता के समानांतर, अमेरिका भी अब मिसाइल रक्षा को अगले चरण में ले जाने की तैयारी में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को “गोल्डन डोम” नामक एक नई मिसाइल डिफेंस प्रणाली की घोषणा की है, जिसे दुनिया की पहली पूर्ण रूप से स्पेस-बेस्ड डिफेंस शील्ड माना जा रहा है। अनुमानित 175 अरब डॉलर की लागत से विकसित हो रहा यह प्रोजेक्ट आगामी तीन वर्षों में पूरी तरह से ऑपरेशनल होगा। ट्रंप का दावा है कि यह प्रणाली अमेरिका की वायु और अंतरिक्ष सीमाओं को इतना अभेद्य बना देगी कि बैलेस्टिक, हाइपरसोनिक, और अंतरिक्ष से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें, इनबाउंड एयरबोर्न ड्रोन, माइक्रो यूएवी और अन्य हथियार भी इसके कवच को भेद नहीं सकेंगे।

 ऐसे काम करेगा ये फ्यूचर वेपन

गोल्डन डोम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है वे इसे अपने मौजूदा कार्यकाल के अंत तक, यानी 2029 तक, धरातल पर उतरा हुआ देखना चाहते हैं। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना की अनुमानित लागत 175 अरब डॉलर है, जिसमें से प्रारंभिक चरण के लिए 25 अरब डॉलर का बजट पहले ही प्रस्तावित किया जा चुका है। इस परियोजना को अमल में लाने के लिए अमेरिका की तीन शीर्ष रक्षा-तकनीकी कंपनियों को साथ लाया गया है: एलन मस्क की स्पेसएक्स जो स्पेस-लॉन्च टेक्नोलॉजी का नेतृत्व करेगी, पलांटिर जो एडवांस्ड डेटा एनालिटिक्स और कमांड सॉफ्टवेयर के लिए जिम्मेदार होगी, और एंडुरिल जो अगली पीढ़ी के ऑटोनॉमस डिफेंस ड्रोन और सेंसर सिस्टम्स विकसित करेगी।

गोल्डन डोम को अमेरिका का फ्यूचर वेपन सिस्टम कहा जा रहा है, जिसकी संरचना मल्टी-लेयर इंटरसेप्टर और 360 डिग्री थ्रेट डिटेक्शन पर आधारित होगी। इस प्रणाली की सबसे बड़ी ताकत यह होगी कि यह स्पेस-बेस्ड सेंसर नेटवर्क से लैस होगी, जो किसी भी दिशा से बढ़ने वाले हवाई या अंतरिक्ष खतरों को सैटेलाइट के माध्यम से पहले ही ट्रैक कर लेगी और गोल्डन डोम को सक्रिय रूप से रिएक्ट करने के लिए तैयार कर देगी। ‘पॉपुलर मैकेनिक्स’ पत्रिका के अनुसार, यह सिस्टम अमेरिका के चारों ओर एक अभेद्य निगरानी चक्र रचने के लिए 1000 से अधिक सैटेलाइट्स के नेटवर्क से जुड़ा होगा। तकनीकी दृष्टिकोण से यह प्रणाली शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज की मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने की पूरी क्षमता रखेगी।

जहां इज़राइल का आयरन डोम मुख्यतः शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स और मिसाइलों के लिए डिजाइन किया गया है और हमास के साथ संघर्ष में उसकी सीमाएं उजागर हो चुकी हैं, वहीं गोल्डन डोम को व्यापक परिदृश्य में डिजाइन किया गया है जो लंबी दूरी की मिसाइलों, एआई-संचालित ड्रोन और हाई-स्पीड थ्रेट्स को भी हवा में ही नष्ट कर सकेगा। इस परियोजना का एक और रणनीतिक पहलू यह है कि अमेरिका की मौजूदा डिफेंस प्रणाली, जैसे GMD और Aegis BMD को अपग्रेड कर उन्हें हाइपरसोनिक खतरों के विरुद्ध सक्षम बनाया जाएगा, और फिर इन प्रणालियों को गोल्डन डोम नेटवर्क में इंटीग्रेट किया जाएगा। यह इंटीग्रेटेड स्ट्रक्चर अमेरिका को किसी भी संभावित हमले के विरुद्ध एक तीव्र और बहुस्तरीय प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाएगा। यह न केवल खतरे का शीघ्रता से ट्रैकिंग और जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित करेगा, बल्कि अमेरिका की सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी को भी नई मजबूती देगा। साथ ही, यह सिस्टम अमेरिका के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे जैसे बिजली ग्रिड, सैन्य प्रतिष्ठान और संवेदनशील सरकारी भवनों की सुरक्षा में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम साबित होगा।

 

Exit mobile version