आपातकाल के 50 साल पूरे, पीएम ने बताया ‘संविधान हत्या दिवस’; बोले- लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय

एक तारीख, जब संविधान चुप था और डर बोल रहा था – आपातकाल की पचासवीं बरसी

आपातकाल के 50 साल पूरे

आपातकाल के 50 साल पूरे, पीएम ने बताया 'संविधान हत्या दिवस'; बोले- लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय

आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

25 जून 2025 को भारत में आपातकाल की घोषणा को 50 वर्ष पूरे हो गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के “सबसे काले अध्यायों में से एक” करार दिया। उन्होंने लिखा कि भारत के नागरिक इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद करते हैं क्योंकि उस समय संविधान के मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया और राजनीतिक असहमति को दबाने के लिए हजारों नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेलों में डाल दिया गया। यह आपातकाल 21 महीने तक, यानी 21 मार्च 1977 तक लागू रहा।

पीएम मोदी ने लिखा कि वह समय भारतीय लोकतंत्र के लिए एक कठिन परीक्षा की घड़ी थी, लेकिन लाखों देशवासियों ने इसका बहादुरी से मुकाबला किया। उन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वालों को नमन करते हुए कहा कि ये लोग विभिन्न क्षेत्रों और विचारधाराओं से आते थे, लेकिन एकजुट होकर उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सामूहिक प्रयास ही था, जिसके कारण तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करनी पड़ी और चुनाव कराने पड़े, जिसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने लिखा कि यह उन मूल्यों की जीत थी, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया था।

पीएम मोदी ने यह भी बताया कि जब आपातकाल लगाया गया था, तब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक युवा प्रचारक थे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन उनके लिए एक बड़ा सीखने का अवसर था, जिसने लोकतंत्र की महत्ता और उसे बनाए रखने की जिम्मेदारी का एहसास कराया। इस दौरान उन्हें विभिन्न राजनीतिक विचारों से जुड़े लोगों से सीखने का अवसर भी मिला।

उन्होंने ‘The Emergency Diaries’ नामक पुस्तक का उल्लेख किया, जिसे ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में आपातकाल के अनुभवों को संकलित किया गया है और इसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं उस समय आपातकाल विरोधी आंदोलन में सक्रिय थे।

अन्य नेताओं ने भी इस अवसर पर आपातकाल की तीव्र आलोचना की। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि यह कोई सामान्य राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस आज भी उसी मानसिकता में जी रही है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आपातकाल देश की आत्मा को कुचलने का प्रयास था और यह कांग्रेस की तानाशाही और क्रूर सोच का प्रतीक है।

इस प्रकार, आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर देश के नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए दिए गए संघर्ष को याद किया और भविष्य में भी संविधान के मूल्यों को बनाए रखने का संकल्प दोहराया।

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