इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होगी। इसके लिए सभी इंतजाम लगभग पूरे कर लिए गए हैं। अब तक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। वहीं, रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाने वाले श्रद्धालुओं के लिए जम्मू में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी सोमवार से शुरू हो गया।
2 को जम्मू से रवाना होगा जत्था
अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन की ओर से स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए गए हैं। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 2 जुलाई को जम्मू के भगवतीनगर बेस कैंप से रवाना होगा। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त (38 दिन) तक पहलगाम रूट और बालटाल दोनों रूट से होगी। अनंतनाग जिले में पारंपरिक पहलगाम रूट 48 किमी लंबा है, जबकि गांदरबल जिले में बालटाल रूट की लंबाई 14 किमी है।
श्रद्धालुओं में उत्साह, आतंकियों का डर नहीं
इधर, अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। यात्रा के लिए जम्मू पहुंचे श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्हें आतंकियों का कोई डर नहीं है। रजिस्ट्रेशन कराने आए एक श्रद्धालु ने कहा कि हम इस यात्रा के लिए खासे उत्साहित हैं। उसने कहा कि पहलगाम हमले के बाद भी हमें कोई डर नहीं है। व्यवस्थाएं अच्छी हैं और प्रशासन हमारे साथ है। दूसरे श्रद्धालु ने कहा, ‘मुझे बाबा अमरनाथ पर भरोसा है। आतंकवादी जो चाहें करें, हम पर इसका कोई असर नहीं होगा। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे जम्मू-कश्मीर आएं ताकि हमारी सेना और सरकार यह कह सके कि हम पर आतंकियों की हरकतों का कोई असर नहीं हैं।’
50 हजार से अधिक जवान मुस्तैद
इधर, सुरक्षा को लेकर यात्रा रूट पर 50 हजार से ज्यादा जवान मुस्तैद किये गए हैं। पूरे जम्मू—कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे (NH-44) पर मल्टी स्टेज सिक्योरिटी की व्यवस्था की है। जानकारी हो कि अधिकतीर यात्री इसी रूट से जाते हैं।
डॉग स्क्वायड भी तैनात
हाईवे पर CRPF का K-9 दस्ता (डॉग स्क्वॉड) भी तैनात किया गया है। लैंडस्लाइड की प्री प्लानिंग के लिए सेना, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और जम्मू-कश्मीर स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स ने रविवार को हाईवे पर समरोली और तोल्डी नाला में जॉइंट मॉक ड्रिल की। संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तकनीकी इनपुट और चेहरा पहचानने के सिस्टम (FRS) के जरिए वेरीफिकेशन किया जाएगा। काफिले की सुरक्षा के लिए पहली बार जैमर भी लगाए जा रहे हैं। सशस्त्र बलों की 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी। लगभग 42 हजार से 58 हजार जवान तैनात होंगे।
पहलगाम रूट से लगते हैं तीन दिन
अमरनाथ यात्रा के पारंपरिक पहलगाम रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं। हालांकि, ये रास्ता आसान है। इस रूट में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। जानकारी हो कि चंदरवाड़ी से ही पैदल चढ़ाई शुरू होती है। तीन किलोमीटर की चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। यह सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी तक जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। यहां से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।
बालटाल रूट पर खड़ी चढ़ाई
अमरनाथ यात्रा के बालटाल रूट वैसे तो समय काफी कम लगता है। आपको जल्दी हो तो इस रूट से भी जा सकते हैं। क्योंकि, इस रूट में केवल 14 किलोमीटर की चढ़ाई होती है। लेकिन, यहां पर एकदम खड़ी चढ़ाई है। इस कारण बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।
यात्रा में इन बातों का रखें ध्यान
अमरनाथ यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा के दौरान ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बैग भी अपने साथ रखें।
3888 मीटर की ऊंचाई पर है गुफा
जानकारी हो कि अमरनाथ गुफा 3888 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां पर अमरनाथ शिवलिंग प्राकृतिक बर्फ से बनी संरचना है। इसे हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से लगभग 3888 मीटर की ऊंचाई पर है। यह गुफा उत्तरमुखी है। यहां आसपास के ग्लेशियरों से आने वाला पानी लगातार गुफा की छत से टपकता रहता है। इससे धीरे-धीरे शिवलिंग बन जाता है। यह वैज्ञानिक रूप से स्टेलेग्माइट कहलाता है।
बर्फ से निर्मित शिवलिंग