कथित कोटे को लेकर शुरू हुआ बांग्लादेश का आंदोलन पहले हिंदुओं के खिलाफ कट्टर विचारों का हमला बना रहा। अब अपनी विरासत को मिटाने पर आ गया है। शेख हसीना को देश से निकालने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ तो दुनिया को देश में शांति की उम्मीद जागी। हालांकि, वहां कुछ बदलता हुआ नजर नहीं आ रहा है। बल्कि, संस्कृति संपन्न देश अब जिहहादिस्तान बनता नजर आ रहा है। सदियों पुरानी सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत कट्टरपंथियों के निशाने पर है। पहले राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की अस्मिता पर हमला हुआ और अब नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास, कचहरीबाड़ी को उन्मादी भीड़ ने रौंद डाला है। ऐसा लग रहा है जैसे मोहम्मद यूनुस के राज ही बांग्लादेश की जड़ों को कुचलने की इजाजत दे रहा है।
सिराजगंज जिले के कचहरीबाड़ी में बना नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास पर हमला बताता है कि बांग्लादेश अपनी बंग्ला अस्मिता को मिटाने में जिहादी सोच के हाथों मोहरा बन गया है। ये दुखद इस लिए भी है कि टैगोर ही वो इंसान हैं जिन्होंने राष्ट्रगान लिखा है। उन्होंने ने ही बंग्ला संस्कृति को दुनियाभर में फैलाया और क्रांति की अलख जगाई।
विवाद के बाद जांच का दिखावा
बताया जा रहा है कि एक विजिटर अपने परिवार के साथ रवींद्र स्मारक संग्रहालय पहुंचा था। यहां मोटरसाइकिल पार्किंग शुल्क को लेकर उसका वहां तैनात कुछ कर्मचारियों के साथ बहस हो गई। उसके बाद तनाव बढ़ा तो कर्मचारियों ने विजिटर को कमरे में बंद कर पिटाई कर दी। इसके बाद स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने स्मारक पर हमला कर दिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भीड़ में जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठनों के लोग भी शामिल थे। उन्होंने हमला करते समय टैगोर विरोधी नारे लगाए भी लगाए।
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यह हमला बांग्ला अस्मिता, धर्मनिरपेक्षता और रवींद्रनाथ की वैश्विक पहचान पर भी एक सीधा हमला है। इसी कारण दिखावे में पुरातत्व विभाग अलर्ट हो गया है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी गई है। बताया जा रहा है कि उन्हें 5 दिन में रिपोर्ट देने का फरमान दिया गया है। इससे पहले अस्थाई रूप से परिसर को बंद कर दिया गाय है। स्मारक के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने बताया कि अब संग्रहालय की निगरानी सरकार करेगी।
कोई नई बात नहीं है
कचहरीबाड़ी वह स्थान है जहां टैगोर ने अपनी कालजयी रचनाएं जैसे गोरा, घरे-बाइरे और नष्ट नीड़ लिखी थीं। यह टैगोर परिवार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। इसे देश का आजादी के बाद संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया था। हालांकि, यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के दौरान कट्टरपंथी ताकतों ने इसे निशाना बना लिया। वहां के लिए ये कोई नई बात नहीं है क्योंकि, इससे पहले भी बंगबंधु के स्मारकों को निशाना बनाया गया था। सरकार ने उनके शहीद उपाधि को भी खत्म कर दिया था।
जिहादी बना बांग्लादेश
बांग्लादेश में अजीब विडंबना है। यहां मोहम्मद यूनुस सरकार के राज में देश अपनी ही सांस्कृतिक पहचान को मिटाने पर तुला हुआ है। पहले राष्ट्रपिता मुजीबुर रहमान की पहचान पर हमला हुआ। उसके बाद अब नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर पर भीड़ ने हमला कर दिया। ये घटना केवल संग्रहालय पर हमला नहीं है। यह दिखाता है कि कैसे पिछले कुछ समय में जिहादी बना बांग्लादेश अपनी पहचान मिटाने पर लगा हुआ है। ऐसा लगता है मानो बांग्लादेश में विचारों की जगह भीड़तंत्र लेने लगा है और वो अपनी ही सभ्यता को मिटा देना चाहता है।