बिहार विधानसभा चुनाव: ‘M’ फैक्टर के जवाब में NDA का ‘MMM’ फैक्टर

यह रणनीति सामाजिक और सांस्कृतिक बिंदुओं को साधते हुए राजनीतिक संवाद को री-फ्रेम करने का प्रयास है

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए NDA ने ज़ोरदार तैयारी शुरू कर दी है

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए NDA ने ज़ोरदार तैयारी शुरू कर दी है

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। बिहार की चुनावी राजनीति में ‘M’ यानी मुस्लिम फैक्टर को अहम माना जाता है और तमाम राजनीतिक दल मुस्लिम समुदाय को अपने पाले में करने का प्रयास करने की कोशिश करते हैं। इस बार ‘M’ फैक्टर के जवाब में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (JDU) के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एक नए और सुनियोजित चुनावी मंत्र के साथ मैदान में उतर रहा है- ‘3M फॉर्मूला’ यानी महिला, मंदिर और मोदी। यह अभियान रणनीति, जिसे भाजपा के अंदरूनी सूत्र ‘MMM’ के नाम से संबोधित कर रहे हैं सामाजिक और सांस्कृतिक बिंदुओं को साधते हुए राजनीतिक संवाद को री-फ्रेम करने का प्रयास है। यह न केवल जातिगत समीकरणों को दरकिनार कर भावनात्मक एकजुटता का प्रयास है बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए भी एक फ्रेम तैयार करनी की कोशिश है।

महिलाएं: NDA का ‘साइलेंट वोटर बेस’ पर निर्णायक फोकस

BJP और JDU इस चुनाव में महिलाओं को ‘गेमचेंजर’ मान रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण बिहार की महिलाएं, जिन्होंने नीतीश कुमार के कार्यकाल में शराबबंदी, छात्रवृत्ति, साइकिल योजना, और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे कल्याणकारी प्रयासों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया है। उन्हें एक बार फिर चर्चा के केंद्र में लाया जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एनडीए सरकार सुरक्षा, शिक्षा, स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण पर आधारित कई नई योजनाओं की चरणबद्ध घोषणा करने जा रही है। ये योजनाएं जहां मोदी सरकार की नारी शक्ति की थीम को आगे बढ़ाएंगी, वहीं नीतीश कुमार की ‘सुशासन बाबू’ की छवि को मजबूत करेंगी

मंदिर: सांस्कृतिक गौरव की राजनीति

दूसरे स्तंभ के रूप में BJP सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और धार्मिक आस्था को पुनर्परिभाषित कर रही है। सीतामढ़ी में देवी सीता के नाम पर भव्य मंदिर निर्माण की घोषणा को उसी कथानक में रखा जा रहा है, जिस श्रृंखला में अयोध्या का राम मंदिर आता है।

यह पहल एक तरफ धार्मिक भावनाओं को पुनर्जीवित करती है, तो दूसरी तरफ मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक अस्मिता को राजनीति से जोड़ती है। BJP जानती है कि बिहार में मंदिर निर्माण न सिर्फ श्रद्धा का विषय है बल्कि वह स्थानीय गौरव और पहचान की राजनीति को भी प्रभावित करता है

मोदी फैक्टर: केंद्रीय नेतृत्व को क्षेत्रीय चुनाव में उतारने की रणनीति

तीसरा और सबसे निर्णायक स्तंभ है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। प्रधानमंत्री मोदी इस बार बिहार के सभी नौ प्रमंडलों में जनसभाएं करेंगे। अब तक वे मधुबनी, बिक्रमगंज और सीवान में जनसभाएं कर चुके हैं और अगस्त तक दस से अधिक और दौरे प्रस्तावित हैं। भाजपा चुनाव को ‘केंद्र बनाम राज्य’ की बजाय ‘नेतृत्व बनाम भ्रम’ के रूप में गढ़ने की कोशिश कर रही है। मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता और भरोसेमंद नेता की छवि को सामने रखकर NDA बिहार चुनाव को मोदी के विज़न पर जनमत संग्रह के तौर पर प्रस्तुत कर रहा है।

बिहार चुनाव 2025 सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं बल्कि एक प्रतीकात्मक लड़ाई बन गया है। एक तरफ भाजपा का MMM फॉर्मूला है जिसमें महिला सशक्तिकरण, मंदिर और मोदी को मुख्य मुद्दा बनाया गया है। वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी दल सामाजिक न्याय, सरकारी नौकरी और क्षेत्रीय अधिकारों पर जोर दे रहे हैं।

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