मुंबई की मस्जिदों में लाउडस्पीकर की जगह ‘डिजिटल अज़ान’

‘Online Azan’ ऐप से नमाजियों तक अज़ान की लाइव पहुंच

मुंबई की मस्जिदों में लाउडस्पीकर की जगह 'डिजिटल अज़ान'

मुंबई में हाल ही में मस्जिदों पर लाउडस्पीकर के उपयोग पर रोक लगने के बाद, धार्मिक आयोजनों के एक अहम हिस्से अज़ान की आवाज सुनने वालों के लिए अब एक नया डिजिटल विकल्प सामने आया है। तमिलनाडु की तिरुनेलवेली स्थित आईटी टीम द्वारा विकसित “Online Azan” नामक एप्लिकेशन के ज़रिए यह पहल शुरू की गई है। यह ऐप एंड्रॉइड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर मुफ्त उपलब्ध है। उपयोगकर्ता को बस ऐप डाउनलोड करना है, अपना इलाका चुनना है और नजदीकी मस्जिद को सेलेक्ट करना है। जैसे ही उस मस्जिद में अज़ान होती है, फोन पर लाइव ऑडियो स्ट्रीम और नोटिफिकेशन के ज़रिए सूचित किया जाता है। इस तरह उन नमाजियों तक भी अज़ान पहुंच रही है, जो लाउडस्पीकर बंद रहने की स्थिति में अज़ान सुनने से वंचित हो रहे थे।

कहां से शुरु हुआ बदलाव – छह मस्जिदों की सूची

मुंबई में अब तक कम से कम छह मस्जिदों ने इस ऐप को अपनाया है:

इन छह मस्जिदों में से कई ने अपने माइक बंद कर दिए थे, लेकिन अज़ान की आवाज़ जारी रखने के लिए उन्होंने इस डिजिटल ऐप का सहारा लिया।

बीजेपी नेता और कानूनी दबाव की भूमिका

बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने मुंबई में लाउडस्पीकर के अवैध इस्तेमाल के खिलाफ अभियान चलाया, जिससे प्रशासन के हस्तक्षेप का मार्ग साफ हुआ। इसके फ़ायदे यह शोर नियंत्रण नियम लागू कर सके, जैसे कि दिन में अधिकतम 55 डेसिबल और रात को 45 डेसिबल की सीमा तय करना। अगर ये सीमाएँ पार होती हैं, तो ₹5,000 का जुर्माना और स्पीकर ज़ब्त होने तक की कार्रवाई संभव है। इस सख्ती के चलते कई मस्जिदों ने स्वयं ही लाउडस्पीकर बंद कर दिए या कम आवाज़ में अज़ान शुरू कर दी।

ट्रस्टी फहद पठान ने कहा: “नमाज जरूरी है, लाउडस्पीकर नहीं।” इस बयान ने साफ संकेत दिया कि तकनीकी माध्यमों को अपनाकर धार्मिक कर्तव्य और कानूनी प्रतिबद्धता दोनों को संतुलित किया जा सकता है।

 Digital Azan ऐप की तकनीकी विशेषताएं

“Online Azan” ऐप तमिलनाडु के आईटी पेशेवरों की टीम द्वारा विकसित और दो वर्षों से सक्रिय है, जहाँ यह लगभग 250 मस्जिदों से जुड़ा हुआ है। ऐप की मुख्य विशेषताएं:

माहिम जुमा मस्जिद के आसपास स्थित लगभग 500 उपयोगकर्ताओं ने ऐप सिर्फ तीन दिनों में डाउनलोड कर लिया।

सोनू निगम की टिप्पणी और विवाद

इस वाद-विवाद में मशहूर गायक सोनू निगम भी शामिल हो गए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि मस्जिदों में अज़ान की आवाज़ से उन्हें परेशानी होती है और यह “गुंडागर्दी” है। उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी भी धार्मिक स्थल, मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारे पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के खिलाफ हैं। बाद में सोनू ने स्पष्ट किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और इनका ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ स्टैंड है, न कि किसी धर्म के खिलाफ।

इस बयान से विवाद ज़रूर हुआ, लेकिन उच्च न्यायालय ने भी कहा कि अज़ान इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन वह लाउडस्पीकर के माध्यम से अनिवार्य नहीं है।

सोनू निगम की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया मिली-जुली थी: कुछ लोग उनकी बात से सहमत थे तो कुछ ने इसे धार्मिक असहिष्णुता कहा। इन प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि यह सिर्फ महाराष्ट्र का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश में धार्मिक शोर उत्सर्जन पर बहस का विषय बन चुकी है।

निष्कर्ष: समाधान या नया विवाद?

“Online Azan” ऐप एक स्मार्ट, शांत और सामर्थ्यपूर्ण समाधान प्रस्तुत करता है, धार्मिक कर्तव्यों को निभाने का तरीका बदल रहा है और कानूनी आदर्शों को समर्थन देता है। लेकिन जैसे-जैसे यह तकनीक फैलती जाएगी, सवाल भी सामने आएंगे- क्या यह धर्म के साथ नई समझदारी है,  क्या डिजिटल अज़ान को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए ?

 

 

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