मोदी का ‘मिशन सिंदूर’: कैंसर कारक केमिकल वाले सिंदूर की विदाई तय?; ‘ट्री मैन’ लांबा ने बताया- पौधे से कैसे बनता है सिंदूर?

हमारे मन से वर्षों से इच्छा थी कि कोई ज़िम्मेदार व्यक्ति सिंदूर के पौधे को लेकर बात करे: 'ट्री मैन' लांबा

PM मोदी ने लगाया सिंदूर का पौधा तो 'ट्री मैन' लांबा ने कही यह बात?

PM मोदी ने लगाया सिंदूर का पौधा तो 'ट्री मैन' लांबा ने कही यह बात?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (5 जून) को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अपने आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया है। पीएम मोदी को यह पौधा गुजरात के कच्छ क्षेत्र की महिलाओं ने दिया था। पीएम मोदी ने इसके ज़रिए ना केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की वीरता का संदेश दिया है बल्कि प्राकृतिक सिंदूर के इस्तेमाल का संदेश भी दिया है। देश में बड़े स्तर पर अभी तक केमिकल युक्त सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है और यह बेहद खतरनाक भी है। ऐसे में केमिकल सिंदूर के खतरे और प्राकृतिक सिंदूर की विशेषताओं, उसकी ज़रूरत को लेकर TFI ने ‘ट्री मैन ऑफ इंडिया’ नाम से मशहूर पर्यावरण कार्यकर्ता और श्री कल्पतरु संस्थान के संस्थापक विष्णु लांबा से बातचीत की है

केमिकल युक्त सिंदूर से कैंसर का खतरा: लांबा

विष्णु लांबा ने कहा है, “हमारी लंबे समय से कोशिश थी कि भारत केमिकल युक्त सिंदूर से मुक्त हो हम सब प्राकृतिक सिंदूर का इस्तेमाल करें। आज हम लोग बहुत खुश हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सिंदूर का पौधा लगाया है। हमारे मन से वर्षों से इच्छा थी कि कोई ज़िम्मेदार व्यक्ति सिंदूर के पौधे को लेकर बात करे।” लांबा ने आगे कहा, “हमारी माताएं-बहनें जो सिंदूर मांग में भरती हैं या जिस सिंदूर को हम देवी-देवातओं पर चढ़ाते हैं उसमें कई खतरनाक केमिकल हैं और इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें केमिकल युक्त सिंदूर से लोगों को गंभीर बीमारियां हुई हैं।”

श्री कल्पतरु संस्थान बीते कई वर्षों से सिंदूर के पौधे लगाने की दिशा में काम कर रही है। इसे लेकर लांबा ने कहा है, “हमारे पास लाखों की संख्या में सिंदूर के पौधे तैयार हैं, करीब 5-7 लाख बीज सिंदूर के मेरे पास रखें हैं। प्रधानमंत्री द्वारा सिंदूर का पौधा लगाए जाने के बाद हमारे इस अभियान को और गति मिलेगी।” साथ ही, लांबा ने पीएम मोदी की सिंदूर के पौधे लगाने की मुहिम में अपना सहयोग देने की इच्छा जताई है। लाबां ने बताया कि जयपुर स्थित उनकी नर्सरी पर सिंदूर के जितने भी पौधे थे वे सभी एक ही दिन में बिक गए हैं।

पौधे से कैसे बनता है सिंदूर?

सिंदूर के पौधे से मांग भरने या अन्य कामों में इस्तेमाल किए जाने लायक सिंदूर बनाने को लेकर भी लांबा ने जानकारी दी है। उनका कहना है कि सिंदूर का पौधा करीब-करीब अमरूद के पेड़ जितना बड़ा होता है और इसमें सिंदूर गुच्छों के रुप में आता है जिसमें बादाम के आकार की फली आती है। इस पौधे पर सर्दियों के दिनों में खूब सारे फूल आते हैं जो बाद में फल बन जाते हैं। इन फलों या बीजों में ही सिंदूर लगा रहता है। गीले फल से ही प्राकृतिक सिंदूर मिलता है। साथ ही, अगर बीज सूख जाता है तो उसे रगड़कर सिंदूर बनाया जाता है। लांबा ने उम्मीद जताई है कि पीएम मोदी की इस कोशिश के बाद बाज़ार में प्राकृतिक सिंदूर को लेकर काम और तेज़ी से किया जाएगा।

17 ‘मैन मेड फॉरेस्ट’ लगा रहे हैं लांबा

विष्णु लांबा और उनकी संस्था श्रीकल्पतरु संस्थान ने पिछले 30 वर्षों में 1 करोड़ से अधिक पौधे लगाए हैं और उनको संरक्षित किया है। वर्तमान में भी उनके द्वारा 17 अलग अलग स्थानों पर 17 ‘मैन मेड फॉरेस्ट’ लगाए गए हैं। इन सभी जंगलों की स्थापना भारत की 5000 वर्ष पुरानी पौधारोपण तकनीक के अनुसार हो रही है, जिसका कई धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है। इसके तहत स्थानीय और लंबी आयु की प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं ताकि वातावरण, मिट्टी और पारिस्थितिकी के अनुसार टिकाऊ जंगल बन सकें। अलग-अलग प्रजातियों के 4 पौधे लगाकर जिसमें ड्रिप इरिगेशन का सहारा लिया जाता है और सुरक्षा के लिए फेंसिग की जाती है।

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