शरद पवार VS अजित पवार: 40 साल बाद शुगर फैक्ट्री चुनाव में उतरे अजित ने दर्ज की बंपर जीत

अजित पवार को कुल 101 वोटों में से 91 मत मिले जबकि विपक्षी 'को-ऑपरेटिव रेस्क्यू पैनल' को सिर्फ 10 वोटों से संतोष करना पड़ा है

अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार (FILE PHOTO)

अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार (FILE PHOTO)

मालेगांव सहकारी शुगर फैक्ट्री चुनाव 2025 में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार ने क्लास-बी प्रतिनिधि सीट पर शानदार जीत दर्ज की है। अजित पवार को कुल 101 वोटों में से 91 मत मिले जबकि विपक्षी ‘को-ऑपरेटिव रेस्क्यू पैनल’ को सिर्फ 10 वोटों से संतोष करना पड़ा। अजित पवार की जीत के ऐलान के बाद फैक्ट्री के प्रशासकीय भवन परिसर में जश्न का माहौल बन गया। समर्थकों ने गुलाल उड़ाकर और ढोल-ताशों के साथ विजय का उत्सव मनाया। बताया जा रहा है कि क्लास-बी सीट पर इस बार रिकॉर्ड 99% मतदान हुआ था।

प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी शुगर फैक्ट्री की चुनावी जंग

इस चुनाव को सिर्फ बारामती की सीमा तक सीमित न मानकर इसे लोकसभा और विधानसभा चुनावों जितना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खुद अजित पवार ने मतदान से पहले कहा था, “इस चुनाव का महत्व लोकसभा और विधानसभा से भी ज़्यादा है, ये हमारी प्रतिष्ठा का सवाल है।”

मतगणना फैक्ट्री के प्रशासनिक और इंजीनियरिंग भवन के पार्किंग क्षेत्र में सुबह 9 बजे शुरू हुई। सबसे पहले क्लास बी श्रेणी की मतगणना की गई। इसके बाद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विमुक्त जाति, महिला आरक्षित सीट और मालेगांव, पंढारे, सांगवी, नीरवगज और बारामती प्रतिनिधियों की गिनती की जानी है

34 टेबलों पर मतगणना

मतगणना के लिए कुल 34 टेबल लगाई की गई हैं, जिनमें से टेबल नंबर 34 को विशेष रूप से क्लास बी वोटों की गिनती के लिए आरक्षित किया गया था। सुरक्षा के मद्देनज़र बारामती के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी डॉ. सुधर्शन राठौड़ ने बताया कि 250 पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया है, ताकि मतगणना में किसी प्रकार का व्यवधान ना आए

40 साल बाद शुगर मिल चुनाव में उतरे अजित पवार

गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब अजित पवार चार दशक बाद किसी शुगर मिल के चुनाव में सीधे तौर पर उम्मीदवार बने हैं। पिछली बार वे 1984 में छत्रपति को-ऑपरेटिव शुगर मिल के संचालक मंडल के सदस्य के रूप में चुने गए थे

टकराव में तीन प्रमुख पैनल, परिवारों की भूमिका अहम

इस चुनाव में अजित पवार के नेतृत्व वाले नीलकंठेश्वर पैनल, शरद पवार के ‘बलिराजा सहकार बचाव पैनल’ और चंद्रराव तावरे के ‘को-ऑपरेटिव रेस्क्यू पैनल’ के बीच मुख्य मुकाबला है। वहीं, कामकाजी किसानों की समिति और छोटे संगठनों की भूमिका भी निर्णायक मानी जा रही है। वोटिंग में तावरे, जगताप, गवड़े, काटे, देवकाटे, कोकरे, बुरुंगले, गोफाणे, आतोले, पोंडकुले, खलाटे, येळे, धवण, सस्ते, निम्बालकर और धुमाल जैसे प्रभावशाली परिवारों के वोटों को लेकर खास चर्चा है। सभी की नजर इस बात पर है कि क्या इन परिवारों ने एकजुट होकर पैनल वोटिंग की है या नहीं।

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