अमेरिका ने ईरान में तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स फोर्दो, नतांज और एस्फाहान पर बम और मिसाइल से हमले किए हैं जिसके बाद इज़रायल-ईरान संघर्ष के और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। अमेरिका के ईरान पर ये हमले भारतीय समय के अनुसार रविवार सुबह 4:30 बजे हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों की जानकारी अपने सोशल मीडिया एप ‘ट्रूथ’ पर दी जिसके बाद उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन भी दिया है। वहीं, इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस कदम को साहसिक और ऐतिहासिक बताया है। जबकि ईरान ने कहा है कि अमेरिका ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन किया है और अब उन्हें भी आत्मरक्षा का अधिकार है।
कहां-कहां हुए हमले?
पिछले कुछ समय में इज़रायल लगातार ईरान की कई परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है। कुछ जगहों पर इज़रायल कथित रूप से सफल भी हुआ था लेकिन वह ईरान की एक सबसे महत्वपूर्ण न्यूक्लियर साइट फोर्दो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट को नुकसान पहुंचाने में असफल रहा। यह साइट इतनी गहराई और सुरक्षा में स्थित है कि इसे निशाना बनाना बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ था। और अब अमेरिकी ने इस पर हमला कर दिया है। यह नतांज के बाद ईरान का दूसरा सबसे बड़ा यूरेनियम शुद्धिकरण संयंत्र एक पहाड़ी के भीतर स्थित है, जो सतह से करीब 295 फीट (लगभग 90 मीटर) गहराई में बना हुआ है। इस अत्यधिक सुरक्षित परमाणु साइट का नियंत्रण ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (AEOI) के पास है।
एस्फाहान
कैसे हुए ये हमले?
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला एक सुनियोजित और अत्याधुनिक सैन्य अभियान था, जिसे अमेरिका ने अंजाम दिया। अमेरिका के B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बॉम्बर्स ने मिसौरी से उड़ान भरकर लगभग 37 घंटे बिना रुके उड़ान भरी और हवा में कई बार ईंधन भरते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, छह B-2 बॉम्बर्स ने फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर 12 बंकर-बस्टर बम गिराए। इसके अलावा, अमेरिकी नेवी की पनडुब्बियों से नतांज और इस्फहान पर 30 टोमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं, जबकि एक अन्य B-2 बॉम्बर ने नतांज पर दो बंकर-बस्टर गिराए।
इन स्टेल्थ बॉम्बर्स में GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर नामक 30,000 पाउंड वजनी बम लगे थे, जो अत्यधिक सुरक्षायुक्त भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए विशेष रूप से बनाए गए हैं। यह बम केवल अमेरिका के पास मौजूद हैं और ईरान की सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर साइट्स को प्रभावी ढंग से तबाह करने में सक्षम माने जाते हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हमले में अमेरिका और इज़राइल के बीच पूरा तालमेल बना रहा। एक इज़रायली अधिकारी ने पुष्टि की कि हमलों में इज़राइल ने अमेरिका के साथ पूरी तरह से समन्वय किया था। इससे पहले ऐसी खबरें थीं कि अमेरिका ने अपने B-2 बॉम्बर्स को गुआम द्वीप भेजा है और तब से आशंका जताई जा रही थी कि इनका इस्तेमाल ईरान पर संभावित हमले में किया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?
ट्रंप ने रविवार की सुबह अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा पर हमलों की जानकारी दी थी। ट्रंप ने लिखा, “हमने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है, जिसमें फोर्दो, नतांज़ और एस्फाहान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। फोर्दो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। सभी विमान सुरक्षित रूप से अपने घर की ओर जा रहे हैं। हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई और सेना नहीं है जो ऐसा कर सकती थी। अब शांति का समय है! इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।”
इस पोस्ट के कुछ समय बाद ट्रंप ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। ट्रंप ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि बीते 40 साल से ईरान, अमेरिका के खिलाफ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई अमेरिकी इस नफरत का शिकार हुए हैं इसलिए उन्होंने तय किया है कि अब यह और नहीं चलेगा। ट्रंप ने कहा, “या तो शांति होगी या त्रासदी। अभी कई टारगेट बचे हैं। अगर शांति जल्दी नहीं आती है, तो हम और अधिक सटीक हमलों के साथ अन्य लक्ष्यों पर हमला करेंगे।” इसके साथ ही ट्रंप ने बताया कि जो टारगेट चुने गए थे, वह सबसे कठिन थे। ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान ने इजरायल के साथ अपना संघर्ष खत्म नहीं किया, तो वह अधिक सटीक हमले करेगा।
नेतन्याहू ने क्या कहा?
ईरान पर अमेरिकी एयर स्ट्राइक के बाद इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका को अपना सबसे करीबी और भरोसेमंद मित्र बताया है। हिब्रू भाषा में जारी वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने कहा कि जो अभियान इज़राइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने शुरू किया था, उसे अमेरिका ने निर्णायक अंजाम तक पहुंचाया।
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करते हुए कहा, “बधाई हो राष्ट्रपति ट्रंप। आपने ईरान की परमाणु सुविधाओं पर जो साहसी निर्णय लिया, वह न केवल इतिहास बदल देगा बल्कि ऑपरेशन ‘राइजिंग लॉयन’ को भी निर्णायक रूप देगा। अमेरिका ने आज रात जो कार्रवाई की, वह बेजोड़ है, ऐसा कोई अन्य देश नहीं कर सका। इतिहास गवाह रहेगा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया के सबसे खतरनाक शासन को दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों से वंचित करने का काम किया।”
नेतन्याहू ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले ही यह वादा किया था कि ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी किसी भी हाल में तबाह की जाएगी और अब वह वादा पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, “इस ऑपरेशन की शुरुआत में मैंने कहा था कि ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी को नष्ट किया जाएगा और वह अब हो चुका है। अमेरिका ने IDF द्वारा 13 जून को शुरू किए गए काम को अंजाम तक पहुंचा दिया।”
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिकी ऑपरेशन के पूरा होते ही उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को फोन करके बधाई दी। नेतन्याहू ने कहा, “हमारी बातचीत बेहद गर्मजोशी और भावनात्मक थी। ट्रंप ने न सिर्फ मुझे, बल्कि हमारी सेना और पूरे इज़रायली राष्ट्र को बधाई दी। वह स्वतंत्र विश्व के दृढ़ नेता हैं और इज़रायल के ऐसे मित्र हैं जैसा और कोई नहीं।”
ईरान ने क्या कहा?
ईरानी अधिकारियों ने अमेरिकी द्वारा किए गए हमलों की पुष्टि कर दी है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने अमेरिका पर एनपीटी के गंभीर उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और एनपीटी का गंभीर उल्लंघन किया है। आज सुबह की घटनाएं अपमानजनक हैं और इनके दीर्घकालिक परिणाम होंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को इस अत्यंत खतरनाक, अराजक और आपराधिक व्यवहार से चिंतित होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र चार्टर और इसके प्रावधानों के अनुसार आत्मरक्षा में वैध प्रतिक्रिया की अनुमति देते हुए, ईरान अपनी संप्रभुता, हित और लोगों की रक्षा के लिए सभी विकल्प सुरक्षित रखता है।”