एअर इंडिया विमान दुर्घटना: अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंसियां भारतीय जमीन पर जांच क्यों कर रही हैं?

एअर इंडिया क्रैश के बाद भारत में जांच क्यों कर रही हैं अमेरिकी और ब्रिटिश एजेंसियां?

अहमदाबाद में एअर इंडिया फलाइट क्रैश

Ahmedabad, Jun 14 (ANI): NSG, NDRF, Air Force, FSL, Fire rescue force, AAIB, DGCA, and CISF team members inspect the wreckage of the London-bound Air India flight which crashed on 12 June 2025, in Ahmedabad on Saturday. (ANI Video Grab)

15 जून को  एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त होना के बाद  पूरा देश हैरान रह गया और इस हादसे में फ्लाइट में सवार  241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। हादसे के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया । एम्बुलेंस, दमकल और पुलिस की टीमों ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य शुरु किया । हवाई अड्डों पर परिजन इकट्ठा होने लगे और मीडिया चैनलों ने लगातार कवरेज शुरू कर दी।

लेकिन इस त्रासदी से जुड़े एक पहलू ने आम लोगों को चौंका दिया। रविवार, यानी हादसे के तीन दिन बाद, कई विदेशी विमानन एजेंसियों के प्रतिनिधि भी अहमदाबाद पहुंचे और जांच में शामिल हो गए। इनमें अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और ब्रिटेन की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) शामिल थीं। यह देख कर लोगों के मन में सवाल उठा—भारत में हुई एक भारतीय विमान की दुर्घटना की जांच में विदेशी एजेंसियों की क्या भूमिका है?
इस सवाल का जवाब हमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों में मिलता है, खासकर 1944 के शिकागो कन्वेंशन और उसके अनुलग्नक 13 में, जो नागरिक विमान दुर्घटनाओं की जांच से जुड़ी वैश्विक प्रक्रिया को तय करता है।

 

कौन करता है विमान हादसे की जांच?

शिकागो कन्वेंशन के अनुसार, किसी भी विमान हादसे की मुख्य जांच की जिम्मेदारी उस देश की होती है जहां दुर्घटना हुई। इस मामले में वह देश भारत है, इसलिए जांच का नेतृत्व Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) कर रहा है, जो भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

लेकिन इसमें एक और पहलू जुड़ा हुआ है,  विमान से जुड़े अन्य देशों को भी जांच में शामिल होने का अधिकार होता है। उदाहरण के तौर पर:
पंजीकरण का देश: जहां विमान रजिस्टर्ड है (यह भारत है)
ऑपरेटर का देश: जिसने उड़ान चलाई (यह भी भारत है )
डिज़ाइन का देश: जहां विमान का डिज़ाइन तैयार हुआ (यह अमेरिका है – बोइंग कंपनी)
निर्माण का देश: जहां विमान बना (यह भी अमेरिका है)
इसलिए, अमेरिका को इस जांच में शामिल होने का कानूनी और तकनीकी अधिकार है।

 

अमेरिकी एजेंसियों की भूमिका

AI 171 एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर था, जिसे अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने डिजाइन और निर्मित किया था। इसके अलावा, इस विमान में जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी के अमेरिका द्वारा निर्मित इंजन लगे थे। इसलिए, विमान के डिज़ाइन और निर्माण से जुड़े देश के रूप में अमेरिका की जिम्मेदारी बनती है कि वह जांच में सहयोग करे और तकनीकी जानकारी साझा करे।
इसी वजह से NTSB और FAA के अधिकारी भारत पहुंचे। NTSB अमेरिका की सबसे प्रमुख दुर्घटना जांच एजेंसी है, जो सिविल विमान हादसों की गहराई से जांच करती है। FAA अमेरिका की सिविल एविएशन रेगुलेटरी बॉडी है, जो तकनीकी और नियामक पहलुओं में सहयोग करती है।
बोइंग कंपनी भी NTSB की मान्यता प्राप्त टीम के साथ अपने विशेषज्ञ भेज सकती है ताकि विमान की संरचना, इंजन और तकनीकी सिस्टम की जांच सही ढंग से की जा सके।

 

ब्रिटिश एजेंसियों की भागीदारी

ब्रिटेन की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) के अधिकारी भी जांच में शामिल हुए हैं। इसका कारण यह है कि इस विमान में 53 ब्रिटिश नागरिक सवार थे, जिनकी इस हादसे में मृत्यु हो गई। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, अगर किसी देश के नागरिक किसी विमान दुर्घटना में घायल होते हैं, तो वह देश भी जांच प्रक्रिया में भाग ले सकता है, ताकि अपने नागरिकों से जुड़ी जानकारी और न्याय की प्रक्रिया को सुनिश्चित कर सके।

जांच में विदेशी एजेंसियों को क्या अधिकार होते हैं?
शिकागो कन्वेंशन के तहत, जांच में शामिल सभी देशों की एजेंसियों को निम्न अधिकार दिए जाते हैं:
• दुर्घटना स्थल का दौरा करने का अधिकार
• मलबा और तकनीकी साक्ष्यों की जांच करने का अधिकार
• तकनीकी टीम या उप-समूह बनाने का अधिकार, जैसे इंजन जांच टीम, ब्लैक बॉक्स विश्लेषण टीम आदि
• आखिरी रिपोर्ट की एक प्रति प्राप्त करने का अधिकार
हालांकि, अंतिम रिपोर्ट तैयार करने की पूरी जिम्मेदारी ‘घटना के राज्य’, यानी भारत की है। यानी भारत ही यह तय करेगा कि रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष और सिफारिशें होंगी। विदेशी एजेंसियां सिर्फ सहयोग करती हैं, रिपोर्ट को नियंत्रित नहीं करतीं।

 

निष्कर्ष

एअर इंडिया की फ्लाइट AI 171 की दुखद दुर्घटना न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है। इस जांच में विदेशी एजेंसियों की भागीदारी इसलिए है क्योंकि विमान अमेरिकी कंपनी द्वारा बनाया गया था, और उसमें अन्य देशों के नागरिक सवार थे।
इस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि जांच निष्पक्ष, पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत हो। इससे न सिर्फ पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलता है, बल्कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने में भी मदद मिलती है।
यह वैश्विक हवाई सुरक्षा का एक अहम सिद्धांत है—जहां हादसा हो, वहां जांच हो, लेकिन हर संबंधित देश मिलकर सच्चाई तक पहुंचे।

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