ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को किया जाएगा बेहतर

ड्रोन निगरानी और हमले की क्षमता में तेजी से सुधार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ की ड्रोन क्षमताओं को दोगुना करने की योजना

आजकल ड्रोन तकनीकी बहुत तेजी से बढ़ रही है और अब ये सिर्फ निगरानी या जासूसी के लिए ही नहीं, सीधे लड़ाई में भी इस्तेमाल हो रहे हैं। दुनिया के कई इलाकों में, जैसे मध्य पूर्व, अफगानिस्तान और खासकर यूक्रेन-रूस की जंग में, ड्रोन का बड़ा इस्तेमाल हो रहा है।

यूक्रेन ने इस जंग में ड्रोन के नए और बढ़िया तरीके अपनाए  जैसे यूक्रेन ने रूस के खिलाफ जंग में छोटे और सस्ते ड्रोन का बड़ा इस्तेमाल किया है।  ये ड्रोन जल्दी-जल्दी दुश्मन के इलाके की तस्वीरें और वीडियो भेजते हैं, जिससे यूक्रेन को रूसी फौज की हरकतें समझ में आती हैं। इसके अलावा, यूक्रेन ने ड्रोन को हथियारों से लैस भी किया है, यानी इन ड्रोन पर छोटे हथियार या बम लगाए जाते हैं, ताकि बिना ज्यादा जवानों को खतरा दिए दुश्मन पर हमला किया जा सके।

यूक्रेन कई ड्रोन को एक साथ जोड़कर काम करता है, जिसमें एक ड्रोन दुश्मन की पोजीशन बताता है और दूसरा उसी जगह हमला करता है। साथ ही, ड्रोन को इस तरह उड़ाया जाता है कि वे दुश्मन के रडार और मिसाइल से बचकर आसानी से अंदर घुसकर जानकारी लाएं या हमला करें। कभी-कभी यूक्रेन ड्रोन भेजकर दुश्मन को गुमराह भी करता है ताकि असली हमला कहीं और हो सके। इस तरह ड्रोन की मदद से यूक्रेन ने अपनी जंग की रणनीतियों को और ताकतवर बनाया है, जिससे वे रूसी फौज की चालों को पकड़ने और रोकने में कामयाब रहे।

बीएसएफ की ड्रोन शक्ति बढ़ाने की नई योजना

भारत-पाकिस्तान जैसी संवेदनशील सीमाओं पर अपनी तकनीकी ताकत बढ़ाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक बड़ी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत बीएसएफ उन्नत ड्रोन सिस्टम, ड्रोन-रोधी तकनीकों और यूएवी से जुड़ी कई ज़रूरी चीज़ों को बड़े पैमाने पर खरीद रहा है। यह रणनीतिक कदम ऑपरेशन सिंदूर के बाद लिया गया है, जब बीएसएफ ने अपने कामकाज का गहराई से मूल्यांकन किया।

इस समीक्षा में यह ज़रूरी पाया गया कि ड्रोन निगरानी और युद्ध क्षमताओं को तुरंत बेहतर किया जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने बीएसएफ के ड्रोन सिस्टम को और मज़बूत करने के लिए हरी झंडी दे दी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदली स्थिति को देखते हुए बीएसएफ अपनी रणनीति में बदलाव की तैयारी कर रहा है।

इन सीमा चौकियों पर ड्रोन को तैनात किया जाएगा

यह ड्रोन स्क्वाड्रन भारत-पाकिस्तान सीमा पर 2,000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबे इलाके में फैली कुछ विशिष्ट सीमा चौकियों पर तैनात किया जाएगा। ये चौकियां उत्तर में जम्मू से लेकर पश्चिम में पंजाब, राजस्थान और गुजरात तक फैली हुई हैं। स्क्वाड्रन में विभिन्न प्रकार के छोटे और बड़े निगरानी, हमलावर ड्रोन शामिल होंगे, जिन्हें युद्ध जैसी किसी भी स्थिति या ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के दौरान तैनात किया जा सकेगा।

टीमों में जवानों को दी जा रही ट्रैनिंग

प्रत्येक चयनित सीमा चौकी पर लगभग दो से तीन जवानों की एक छोटी टीम तैनात की जाएगी। इन जवानों को ड्रोन चलाने और उससे जुड़े उपकरणों के संचालन के लिए टीमों में ट्रैनिंग दी जा रही है।  पहले स्क्वाड्रन के लिए कुछ ड्रोन और आवश्यक उपकरण खरीदे जा रहे हैं। इसके साथ ही, सीमा पर मौजूद बंकरों की छत और दीवारों को मजबूत धातु की चादरों से ढंका जा रहा है ताकि ड्रोन हमलों से सुरक्षा की जा सके।

ड्रोन हमलों से बचाव के लिए उठाए जा रहे विशेष कदम

भले ही ड्रोन-रोधी सिस्टम अभी भी बीएसएफ की प्राथमिकता हैं, खासकर जब सीमा पार से विस्फोटक या अवैध सामान ले जाने वाले ड्रोनों की घटनाएं बढ़ रही हैं,  लेकिन बल की योजना इससे कहीं ज्यादा व्यापक है।
एक अधिकारी ने बताया कि बीएसएफ अब पूरे ड्रोन सिस्टम को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है। इसमें ऐसे निगरानी और टोही ड्रोन शामिल होंगे जो कठिन इलाकों, जंगलों और नदी क्षेत्रों में रियल टाइम निगरानी कर सकें। इसके अलावा, ऐसे लड़ाकू और सामरिक ड्रोन लाए जा रहे हैं जो ज़रूरत के समय पेलोड (जैसे हथियार या उपकरण) ले जा सकें या सटीक हमले कर सकें।
साथ ही, दुश्मन के ड्रोनों को पहचानने, रोकने या गिराने के लिए जैमर, रडार, काइनेटिक इंटरसेप्टर और RF-आधारित तकनीकों जैसे एंटी-ड्रोन सिस्टम पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।

AI-संचालित प्लेटफ़ॉर्म

बीएसएफ अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से एक ड्रोन एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म विकसित कर रहा है। यह प्लेटफॉर्म ड्रोन कैमरों की फीड का इस्तेमाल कर अपने आप लक्ष्य पहचान सकेगा, पैटर्न का विश्लेषण कर सकेगा और भविष्य की गतिविधियों का अनुमान लगा सकेगा।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अगले युद्ध या घुसपैठ में ज़मीन पर मौजूद जवानों के साथ-साथ आसमान में तैनात ड्रोनों की भी अहम भूमिका होगी। हमें हर हाल में तैयार रहना होगा।”

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