हाल के महीनों में अचानक हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की घटनाओं, खासकर युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में, बढ़ने की खबरों ने जनता में चिंता और बहस को जन्म दिया है। कुछ लोग इसे कोविड-19 वैक्सीन से जोड़ने की अफवाहें भी फैलाने लगे हैं। हालांकि, प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां और वैज्ञानिक अध्ययन कोविड वैक्सीन और अचानक हृदय संबंधित मौतों के बीच कोई संबंध नहीं मानते हैं और इसे पूरी तरह खारिज करते हैं।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) जैसी प्रमुख संस्थाओं ने देश भर में अचानक मौतों की व्यापक जांच की है। उनके निष्कर्ष स्पष्ट हैं: कोविड-19 वैक्सीन सुरक्षित है और इससे अचानक हृदय घटनाओं का जोखिम नहीं बढ़ता है। ICMR के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान द्वारा 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में किए गए एक बहु-केन्द्रीय केस-कंट्रोल अध्ययन में यह पाया गया कि 18-45 वर्ष के वयस्कों में वैक्सीनेशन से अचानक मौत का खतरा नहीं बढ़ता। इसी तरह, AIIMS द्वारा जारी प्रारंभिक रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई है कि हार्ट अटैक, आनुवंशिक कारण और जीवनशैली से जुड़े जोखिम ही मुख्य कारण हैं, न कि वैक्सीनेशन।
वास्तविक कारणों को समझना
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्वस्थ लगने वाले लोगों में अचानक हृदय से मौत के मामलों में वृद्धि कई कारकों के जटिल संयोजन के कारण होती है, जैसे:
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हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिक उत्परिवर्तन
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अस्वास्थ्यकर जीवनशैली (धूम्रपान, अत्यधिक शराब सेवन, मादक पदार्थों का उपयोग, अत्यधिक शारीरिक परिश्रम)
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पूर्व से मौजूद अनजान बीमारियां
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कोविड के बाद की जटिलताएं जैसे सूजन और रक्त के थक्के बनना
इन कारणों की प्रकृति महामारी से पहले भी समान थी, जैसा कि डेटा और विशेषज्ञ समीक्षा दर्शाती हैं।
स्वास्थ्य अधिकारी कहते हैं- वैक्सीन का कोई संबंध नहीं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में कोविड-19 वैक्सीन की सुरक्षा की पुनः पुष्टि की है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन और वास्तविक दुनिया के डेटा को उद्धृत किया गया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि “वैक्सीन को अचानक मौत से जोड़ने वाले दावे वैज्ञानिक दृष्टि से निराधार और खतरनाक हैं।”
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (जो कोविशील्ड विकसित करता है) सहित प्रमुख वैक्सीन निर्माता संस्थाओं ने भी वैक्सीन की सुरक्षा की पुष्टि की है और ICMR व AIIMS के निष्कर्षों के साथ सहमति जताई है।
गलत जानकारी का खतरा
सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी गलत जानकारी से होने वाले भय और टीकाकरण के प्रति हिचकिचाहट को लेकर चिंतित हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ऐसे झूठे दावे न केवल वर्तमान टीकाकरण प्रयासों को कमजोर करते हैं बल्कि भविष्य के स्वास्थ्य संकटों से निपटने की तैयारी को भी प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, “वैक्सीन ने लाखों जानें बचाई हैं। गलत सूचना भरोसा तोड़ती है और सार्वजनिक स्वास्थ्य में वर्षों की प्रगति को उलट सकती है।”
जहां वैक्सीन को अचानक मौत का कारण नहीं माना गया है, वहीं हृदय स्वास्थ्य पर नजर और गहराई से आनुवंशिक शोध जारी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे संवेदनशील जनसंख्या की पहचान और रोकथाम की रणनीतियां बेहतर बनेंगी, खासकर युवा वयस्कों के बीच जिनकी अचानक मौतें ज्यादा चर्चा में रहती हैं।
निष्कर्ष
अचानक हृदय मृत्यु को लेकर बढ़ती चिंता के बीच भारत की शीर्ष चिकित्सा संस्थाओं का स्पष्ट मत है: कोविड-19 वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। इसके बजाय, विशेषज्ञ हृदय स्वास्थ्य जागरूकता, जीवनशैली में सुधार, समय पर बीमारी की पहचान, और स्वास्थ्य-संबंधी सूचनाओं को सोच-समझकर स्वीकार करने पर जोर देते हैं।
सड़क पर जारी वैज्ञानिक जांच यह दिखाती है कि चिकित्सा समुदाय पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। फिलहाल सबूत एकदम साफ हैं,वैक्सीन सुरक्षित है, और असली लड़ाई गलत सूचना के खिलाफ है, न कि टीकाकरण के खिलाफ।