8 साल और 132 दिन पद पर रहकर, योगी आदित्यनाथ बने यूपी के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश की सियासत में नया इतिहास, लगातार दो बार सत्ता में लौटने वाले पहले मुख्यमंत्री

8 साल और 132 दिन पद पर रहकर, योगी आदित्यनाथ बने यूपी के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य की राजनीति में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने 8 साल और 132 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला और इससे पहले का रिकॉर्ड रखने वाले पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को पीछे छोड़ दिया।

योगी आदित्यनाथ ने पहली बार 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री का पद संभाला था, जब भाजपा ने यूपी में बड़ी जीत हासिल की थी। तब से वे राज्य के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने हैं। 2022 में वे यूपी के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से चुनाव जीतकर सरकार बनाई।

कई मुख्यमंत्री रहे उत्तर प्रदेश में

1950 में उत्तर प्रदेश बनने के बाद अब तक 21 मुख्यमंत्री अलग-अलग पार्टियों और विचारधाराओं से चुने गए हैं। सबसे पहले गोविंद बल्लभ पंत ने जनवरी 1950 से दिसंबर 1954 तक काम किया और प्रशासन की मजबूत नींव रखी। इसके बाद संपुर्णानंद ने करीब छह साल तक सबसे लंबा लगातार कार्यकाल पूरा किया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर सुचेता कृपलानी (भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री), हेमवती नंदन बहुगुणा, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, और मायावती जैसे कई नेता रहे। मायावती चार बार मुख्यमंत्री बनीं और वे भारत की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री भी हैं।

इन सभी में से केवल मायावती, अखिलेश यादव और संपुर्णानंद ने पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। 2022 में योगी आदित्यनाथ भी इस खास सूची में शामिल हो गए और अब वे सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं।

योगी की राजनीतिक यात्रा

5 जून 1972 को उत्तराखंड में जन्मे अजय मोहन सिंह बिष्ट, जिन्हें योगी आदित्यनाथ के नाम से जाना जाता है, जिन्होनें राजनीति में एक अनोखा सफर तय किया। 1998 में मात्र 26 साल की उम्र में वे गोरखपुर से लोकसभा सांसद बने। पांच बार सांसद रह चुके योगी हिंदुत्व और कानून व्यवस्था के कड़े समर्थक के रूप में पहचाने जाते हैं।

2014 में उन्होंने अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ की जगह गोरखनाथ मंदिर के महंत के रूप में पद संभाला। यह राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व का संगम उनके व्यक्तित्व की खास पहचान बन गया है।

कानून और पहचान पर आधारित शासन

पिछले आठ सालों में योगी आदित्यनाथ ने अपनी छवि एक सख्त और विकासशील नेता के रूप में बनाई है। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़क, बिजली, बिल्डिंग आदि), धार्मिक पर्यटन, उद्योगों में निवेश और कानून-व्यवस्था को सुधारने पर खास ध्यान दिया है।

‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) जैसी योजनाओं से हर जिले के खास उत्पाद को बढ़ावा मिला है, जिससे छोटे उद्योगों को फायदा हुआ है। ‘मिशन शक्ति’ के ज़रिए महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर काम हुआ है।

अपराधियों के खिलाफ उनकी सरकार ने सख्त कार्रवाई की है, कई अपराधियों को गिरफ्तार किया गया या मुठभेड़ में मारा गया। इस वजह से उन्हें देशभर में तारीफ भी मिली और कुछ आलोचना भी।

हाल ही में, उन्होंने गोरखपुर में 11 मंजिला पुलिस बैरक का उद्घाटन किया और बताया कि उनके कार्यकाल में 2.16 लाख से ज्यादा पुलिसवालों की भर्ती पारदर्शी (ईमानदार और साफ) तरीके से की गई है, जो उनकी कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की नीति को दिखाता है।

एक विरासत बनती जा रही है

योगी आदित्यनाथ का लंबा कार्यकाल उन्हें न सिर्फ बीजेपी में, बल्कि उत्तर प्रदेश के आज़ादी के बाद के इतिहास में भी एक खास जगह देता है। जैसे पहले पंत और संपूर्णानंद ने शासन की नींव रखी थी, और मायावती व मुलायम सिंह ने जाति और पहचान की राजनीति को आगे बढ़ाया, वैसे ही योगी एक नए दौर के नेता माने जा रहे हैं। उनका नेतृत्व साफ विचारों और मजबूत शासन पर आधारित है।

उनके समय में उत्तर प्रदेश राजनीतिक और आर्थिक रूप से आगे बढ़ रहा है। कई बड़ी विकास योजनाएं भी चल रही हैं। इस तरह की स्थिरता और विकास के साथ, योगी आदित्यनाथ की छवि यूपी के सबसे लंबे समय तक काम करने वाले और शायद सबसे बदलाव लाने वाले मुख्यमंत्री के रूप में बनती जा रही है।

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