‘बायोपायरेसी पर लगेगी रोक’: भारत ने AI और पारंपरिक चिकित्सा के संगम से बनाई TKDL, कैसे बदलेगा चिकित्सा का भविष्य?

इस पहल का मकसद सदियों पुरानी चिकित्सा परंपराओं को डिजिटल रूप में सहेजना, उनकी वैज्ञानिक आधार पर पहचान बनाना है

TKDL परियोजना आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों पर केंद्रित है

TKDL परियोजना आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों पर केंद्रित है

भारत ने चिकित्सा विज्ञान में एक ऐसा कदम उठाया है, जो इतिहास में दर्ज हो गया है। दरअसल, भारत ने अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से जोड़ा है और ऐसा करने वाला वो दुनिया का पहला देश बन गया है। यह बदलाव सरकार की एक दूरदर्शी पहल ‘पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी’ (Traditional Knowledge Digital Library – TKDL) के उन्नत रूप के जरिए हकीकत बना है। इसका मकसद साफ है कि हमारी सदियों पुरानी चिकित्सा परंपराओं को डिजिटल रूप में सहेजना, उनकी वैज्ञानिक आधार पर पहचान बनाना और दुनिया को दिखाना कि भारत का पारंपरिक ज्ञान आज भी कितना प्रासंगिक और प्रभावशाली है।

भारत की पारंपरिक चिकित्सा विरासत को नया डिजिटल जीवन

TKDL परियोजना आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी प्राचीन चिकित्सा प्रणालियों पर केंद्रित है, जिनकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि इसकी चिकित्सा ज्ञान संपदा भी अमूल्य है। वर्षों तक यह ज्ञान ताड़पत्रों, हस्तलिखित पांडुलिपियों और मौखिक परंपराओं के माध्यम से सुरक्षित था और इसे आधुनिक शोधकर्ताओं के लिए इसे समझना या उपयोग में लाना अत्यंत कठिन हो गया था। लेकिन अब, AI और मशीन लर्निंग की सहायता से इस अमूल्य ज्ञान को संरचित डिजिटल स्वरूप में रूपांतरित किया जा रहा है, जिसे कई भाषाओं में अनुवादित कर वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।

इस पहल का महत्व

1. सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

हजारों वर्षों से भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान पांडुलिपियों, ग्रंथों और लोककथाओं में संजोया गया था। इनका स्वरूप इतना नाज़ुक था कि यह ज्ञान लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका था। TKDL के माध्यम से इस ज्ञान का डिजिटलीकरण कर इसे सुरक्षित किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी इस धरोहर से लाभान्वित हो सकें।

2. बायोपायरेसी पर रोकथाम

विदेशी कंपनियों द्वारा भारत की पारंपरिक औषधियों को अपनी खोज बताकर पेटेंट कराने के कई प्रयास दशकों से होते रहे हैं। TKDL अब वैश्विक पेटेंट कार्यालयों को यह प्रमाणित करने में सक्षम बनाता है कि यह ज्ञान पहले से भारत में उपलब्ध है। इस तरह बायोपायरेसी को रोका जा रहा है और भारत की बौद्धिक संपदा की रक्षा सुनिश्चित हो रही है।

3. आधुनिक अनुसंधान को गति

AI की शक्ति के माध्यम से लाखों सूत्रों और औषधीय संयोजनों का विश्लेषण कर वैज्ञानिक यह जान पा रहे हैं कि कौन-से पारंपरिक नुस्खे आज की बीमारियों पर कारगर हो सकते हैं। इससे नई औषधियों का विकास, आधुनिक चिकित्सा के साथ समन्वय और वैकल्पिक स्वास्थ्य प्रणाली को नया वैज्ञानिक आधार मिल रहा है।

AI कैसे निभा रहा है क्रांतिकारी भूमिका

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक उपयोग के लायक बनाने में प्रमुख भूमिका निभा रही है। इसके कुछ मुख्य पहलू हैं:

• अनुवाद और संरचना:

AI की सहायता से संस्कृत, तमिल, फारसी और अन्य भाषाओं के प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद अंग्रेज़ी सहित कई वैश्विक भाषाओं में किया जा रहा है। साथ ही, इस ज्ञान को संरचित, खोज योग्य डिजिटल स्वरूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

• पैटर्न की पहचान:

AI जड़ी-बूटियों और औषधीय संयोजनों के उपयोग में आए दोहरावों और परिणामों की पहचान कर पद्धतियों को वैज्ञानिक प्रमाणों से जोड़ रहा है।

• आधुनिक विज्ञान से एकीकरण:

AI उन पारंपरिक उपायों को आधुनिक बीमारियों, जैसे मधुमेह, हृदयरोग और लाइफस्टाइल डिज़ीज़ से जोड़ने में मदद कर रहा है, जिससे नई उपचार पद्धतियाँ विकसित हो रही हैं।

आयुर्जीनोमिक्स: आयुर्वेद और जेनेटिक्स का मेल

TKDL की सबसे रोमांचक और वैज्ञानिक दिशा ‘आयुर्जीनोमिक्स’ है, यह एक उभरता हुआ शोध क्षेत्र है, जिसमें आयुर्वेद के ‘प्रकृति’ (वात, पित्त, कफ) सिद्धांत को आधुनिक जेनेटिक्स के साथ मिलाया जा रहा है।

इस सिद्धांत के अनुसार, हर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक संरचना अलग होती है और उसके अनुसार इलाज होना चाहिए। जब वैज्ञानिक इस पारंपरिक वर्गीकरण को डीएनए प्रोफाइल के साथ जोड़ते हैं, तो व्यक्ति के लिए विशिष्ट, व्यक्तिगत स्वास्थ्य योजना बनाई जा सकती है। इसमें AI बेहद अहम है क्योंकि यह जटिल पारंपरिक और जेनेटिक डेटा को एकीकृत कर चिकित्सा निर्णयों को निर्देशित करता है।

वैश्विक मान्यता और WHO की प्रशंसा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने TKDL पहल को वैश्विक स्तर पर एक आदर्श मॉडल करार दिया है। अपने तकनीकी रिपोर्ट “Mapping the Application of Artificial Intelligence in Traditional Medicine” में WHO ने भारत की डिजिटल लाइब्रेरी को “वैश्विक मानक” कहा है। यह साबित करता है कि कैसे तकनीक और परंपरा का समावेश करके पारंपरिक चिकित्सा को प्रासंगिक और प्रभावी बनाया जा सकता है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म जो TKDL के साथ जुड़े हैं

TKDL के साथ-साथ कई अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म भी पारंपरिक चिकित्सा को आधुनिकता से जोड़ने के काम में जुटे हैं:

इन प्लेटफॉर्म्स से चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को पारंपरिक चिकित्सा तक सुलभ और प्रमाणिक पहुंच मिल रही है।

भविष्य की राह: विश्व के लिए भारत बना आदर्श

भारत का यह प्रयास केवल एक राष्ट्रीय पहल नहीं, बल्कि वैश्विक नवाचार का एक सशक्त उदाहरण है। जैसे-जैसे अन्य देश भी अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को संरक्षित करने और डिजिटल बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, भारत उन्हें एक सफल मॉडल प्रदान कर रहा है—जहां परंपरा को सम्मान, विज्ञान को समर्थन और तकनीक को नेतृत्व मिला है

सरकार का लक्ष्य इस डिजिटल प्रयास को और विस्तारित करना है ताकि पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली न केवल प्रमाण आधारित बने, बल्कि वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य और व्यवहारिक भी हो। TKDL और इसके साथ जुड़ी AI तकनीकें भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को एक नया वैज्ञानिक आधार दे रही हैं। यह पहल न केवल भारत की सांस्कृतिक संपदा की रक्षा कर रही है, बल्कि नवाचार को प्रेरित कर रही है और लाखों लोगों के लिए व्यक्तिगत, भरोसेमंद और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बना रही है- न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में।

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