चीन ने शुरू किया वैश्विक सप्लाई चेन संकट; जानिए कैसे यह भारत को सुपरपावर बना सकता है

सप्लाई चेन संकट में भारत की बढ़ती ताकत और रणनीति

चीन ने शुरू किया वैश्विक सप्लाई चेन संकट; जानिए कैसे यह भारत को सुपरपावर बना सकता है

चीन ने हाल ही में रेयर-अर्थ (rare earth) तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिए, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन में बड़ी कमजोरियाँ सामने आईं। लेकिन, जैसा कि डॉ. अश्वनी महाजन, PGDAV कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और नीति विश्लेषक बताते हैं, यह संकट भारत के लिए एक सुनहरा अवसर भी है:

डॉ. महाजन के अनुसार, इतिहास में आर्थिक ब्लॉक/दबाव अक्सर नवाचार, विकेंद्रीकरण और विविधीकरण को बढ़ावा देते रहे हैं। चीन ने कई दुर्लभ तत्वों पर लाइसेंसिंग के नियम कड़े किए (जैसे सैमैरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डाइस्प्रोसियम, ल्यूटिशियम, स्कैंडीयम, यट्रियम), जिससे इन धातुओं के मैग्नेट्स का निर्यात मई 2025 में साल-दर-साल 74% गिर गया। हालांकि चीन ने नागरिक उपयोग की कुछ राहत दी, लेकिन सैन्य व उन्नत ग्रेड वाले तत्व अभी भी सख्त नियंत्रण में हैं। यह रणनीतिक दबाव का हिस्सा माना जा सकता है।

डॉ. महाजन कहते हैं कि यह स्थिति साबित करती है कि “स्वच्छ वैश्वीकरण” केवल एक भ्रम है, जब एक देश किसी महत्वपूर्ण कड़ी पर कंट्रोल रखता है। इस समझ के चलते दुनिया तेजी से अधिक भरोसेमंद सप्लाई चैन बनाने की दिशा में बढ़ रही है।

भारत का रणनीतिक जवाब

डॉ. महाजन का सुझाव है कि भारत इस मौके का पूरा लाभ उठाए:

1. कच्चे खनिजों में विविधता:

2. घरेलू खनन तेज़ करें:

3. राष्ट्रीय स्टॉकपाइल बनाएँ:

4. बैटरी रीसाइक्लिंग बढ़ाएँ:

5. रेड मैग्नेट और घटक निर्माण बढ़ाएँ:

चीन की हावी स्थिति कमजोर हो रही

डॉ. महाजन का मानना है कि इस कदम से चीन की स्थिति अगले कुछ समय में कमजोर होगी। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम पहले ही दुर्लभ खनिजों में अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं। शोधकर्ता भी फेराइट मैग्नेट जैसी विकल्पों और बैटरी रीसाइक्लिंग में तेजी ला रहे हैं।

2010 में चीन ने जापान को रेयर-अर्थ भेजना बंद कर दिया था, जिससे उनकी कीमतें बहुत तेजी से और चौंकाने वाली तरह से बढ़ गईं। और जापान ने WTO में चीन को चुनौती दी। 2014 में WTO ने उनका समर्थन किया। ऐसी घटनाएँ साबित करती हैं कि नियंत्रण राजनीति में सफल नहीं होती।

भारत का सुनहरा अवसर

डॉ. महाजन मानते हैं कि भारत यदि  और मूल्यवर्धित विनिर्माणमें निवेश करे, तो क्रिटिक्ल मिन्ररल्स में एक ग्लोबल हब बन सकता है। इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को बढ़ावा चाहिए, साथ-साथ तकनीकी साझेदारियों से मदद मिलेगी।

चूंकि दुनिया EVs, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रानिक्स के लिए इन सामग्रियों की मांग तेजी से बढ़ रही है, भारत को अपनी आपूर्ति निर्भरताओं को खत्म करने और आत्म-निर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ना होगा।

चुनौती से नेतृत्व की ओर

अंततः, डॉ. महाजन के अनुसार आर्थिक दबाव अक्सर नवाचार और मजबूत विश्व व्यवस्था को जन्म देता है। चीन का यह कदम सिर्फ एक संकट नहीं है, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए एक रणनीतिक मौका है,  जिससे हम अपनी आत्मनिर्भरता, रणनीतिक स्वतंत्रता को मजबूत कर सकते हैं और नेतृत्व के एक नए दौर की शुरुआत कर सकते हैं।

वैश्विक व्यापार को सुरक्षा और सहयोग पर आधारित होना चाहिए, दबाव पर नहीं। भारत इस नए स्वरूप वाली दुनिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है, अगर इस क्षण का सही उपयोग किया जाए।

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