देश में एक नया राजनीतिक बवाल उस समय खड़ा हो गया जब कांग्रेस विधायक साहब सिंह गुर्जर ने एक जनसभा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्यों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। गुर्जर ने उन्हें “हिजड़ा” कहकर संबोधित किया, जिसकी सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा विरोध जताया। इस बयान ने राज्य की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है।
गुर्जर का विवादित बयान
कांग्रेस के ‘न्याय सत्याग्रह’ प्रदर्शन के दौरान अशोकनगर में बोलते हुए ग्वालियर ग्रामीण से विधायक साहब सिंह गुर्जर ने कहा: “जो मर्द थे वो जंग में आए, जो हिजड़े थे वो संघ में गए।” इस सभा में दिग्विजय सिंह, उमंग सिंघार और जीतू पटवारी जैसे कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता मौजूद थे। यह बयान माइक पर दिया गया और इसका वीडियो तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे भारी विवाद उत्पन्न हुआ।
भाजपा का पलटवार, बयान को बताया ‘असंवैधानिक और घृणित’
गुर्जर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सहकारिता मंत्री और भाजपा नेता विश्वास सारंग ने कांग्रेस और गुर्जर की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा: “यह सिर्फ गुटबाज़ी नहीं है, बल्कि कांग्रेस की गिरती नैतिकता और संविधान के प्रति उसकी अवहेलना का प्रमाण है।”
भाजपा ने गुर्जर और कांग्रेस नेतृत्व से औपचारिक माफ़ी की मांग की है और साथ ही चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।
जीतू पटवारी पर एफआईआर के विरोध में हुआ प्रदर्शन
यह बयान उस समय आया जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में प्रदर्शन कर रही थी। यह मामला गजराज लोधी नामक व्यक्ति से जुड़ा है, जिसने पहले आरोप लगाया था कि एक भाजपा कार्यकर्ता ने उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और मानव मल खाने को मजबूर किया।
यह आरोप उस समय सामने आया जब लोधी ने 25 जून को ओरछा में पटवारी से मुलाकात की थी। लेकिन बाद में लोधी ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि जीतू पटवारी ने उस पर दबाव डालकर झूठी शिकायत दर्ज कराई थी। इस नए बयान के आधार पर मुंगावली पुलिस ने पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें दबाव बनाकर शिकायत कराने का आरोप है।
कांग्रेस ने दी ‘सामूहिक आत्मसमर्पण’ की चेतावनी
प्रदर्शन के दौरान पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने सरकार को चेतावनी दी कि: “अगर 7 जुलाई तक जीतू पटवारी पर से एफआईआर वापस नहीं ली गई, तो 8 जुलाई को हम मुंगावली थाने में सामूहिक आत्मसमर्पण करेंगे।” प्रदर्शन स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात था। कांग्रेस विधायकों के काफिलों को रोककर तलाशी ली गई, ताकि आंदोलन को नियंत्रण में रखा जा सके और स्थिति ना बिगड़े।
राजनीतिक नुकसान और कांग्रेस की चुप्पी
गुर्जर के विवादास्पद बयान का वीडियो अब भी सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को इससे गंभीर राजनीतिक नुकसान हो सकता है और उसे डैमेज कंट्रोल मोड में आना पड़ सकता है। हालांकि, इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक माफ़ी या स्पष्टीकरण जारी नहीं हुआ था।
यह बयान न केवल कांग्रेस की शीर्ष नेतृत्व के लिए परेशानी का कारण बना है, बल्कि भाजपा को चुनाव से पहले एक नया मुद्दा भी दे गया है। मध्य प्रदेश में पहले से ही तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल के बीच यह घटना एक और कड़वे अध्याय के रूप में दर्ज हो रही है।