कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति, कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दायर की है। यह पहली बार है कि किसी जांच एजेंसी ने 56 वर्षीय वाड्रा के खिलाफ किसी आपराधिक मामले में अभियोजन शिकायत दायर की है। यह मामला हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब सेक्टर 83), गुरुग्राम में विवादित भूमि सौदे से जुड़ा है। चार्जशीट में कई अन्य व्यक्तियों और फर्मों के नाम भी शामिल हैं। सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि चार्जशीट वाड्रा और अन्य के खिलाफ स्थानीय अदालत में भारतीय मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दायर की गई है। केंद्रीय एजेंसी ने वाड्रा और उनकी कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की 43 संपत्तियां, जिनकी कीमत ₹37.6 करोड़ है, जब्त भी की थी।
एजेंसी ने इस मामले में वाड्रा को पहली बार 8 अप्रैल को बुलाया था। हालांकि, उस समय उन्होनें जांच में शामिल होने में असमर्थता जताई और दूसरी तारीख मांगी। जिसके बाद वाड्रा 15 अप्रैल को एजेंसी के सामने पेश हुए।
राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
वाड्रा ने पहले कहा था कि यह कार्रवाई “राजनीतिक प्रतिशोध” है, जिसका उद्देश्य उन्हें और उनके जेठ कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को चुप कराना है। यह मामला तब सार्वजनिक हुआ जब हरियाणा के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अक्टूबर 2012 में इस भूमि सौदे की म्यूटेशन (संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया) रद्द कर दी थी। खेमका, जिन्हें अब तक 57 बार स्थानांतरित किया जा चुका है, 34 वर्षों की सेवा के बाद 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
शिकोहपुर मामला क्या है?
यह मनी लॉन्ड्रिंग मामला गुरुग्राम के शिकोहपुर में फरवरी 2008 में हुए एक भूमि सौदे से जुड़ा है, जिसमें स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी, जिसकी निदेशक वाड्रा थे, ने ₹7.5 करोड़ में 3.5 एकड़ जमीन ऑनकारेश्वर प्रॉपर्टीज से खरीदी थी। उस समय भूपिंदर सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। चार साल बाद, सितंबर 2012 में, कंपनी ने यह जमीन रियल्टी दिग्गज डीएलएफ को ₹58 करोड़ में बेच दी।
यह सौदा अक्टूबर 2012 में विवादास्पद हो गया, जब हरियाणा के भूमि समेकन एवं अभिलेख महानिदेशक और रजिस्ट्रेशन के निरीक्षक-जनरल अशोक खेमका ने इस म्यूटेशन को रद्द कर दिया। उन्होंने इसे राज्य समेकन अधिनियम और संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ ने 2008 में तीन एकड़ प्लॉट ₹58 करोड़ में डीएलएफ को बेचने का समझौता किया था। बिक्री विलेख डीएलएफ के नाम दर्ज किया गया।