FATF रिपोर्ट: अमेज़न से खरीदा गया था पुलवामा हमले में इस्तेमाल हुआ विस्फोटक

FATF की रिपोर्ट में खुलासा -ई-कॉमर्स बन रहा है टेरर फाइनेंसिंग का नया जरिया

FATF रिपोर्ट: अमेज़न से खरीदा गया था पुलवामा हमले में इस्तेमाल हुआ विस्फोटक

दुनिया की सबसे बड़ी आतंकवादी फंडिंग निगरानी संस्था एफएटीएफ (Financial Action Task Force) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। संस्था ने कहा है कि आतंकवादी अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पेमेंट सेवाओं का इस्तेमाल फंड जुटाने, हथियार खरीदने और हमले को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं। भारत में हुए पुलवामा और गोरखनाथ मंदिर हमलों को रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर शामिल किया गया है।

पुलवामा हमले में Amazon से खरीदा गया विस्फोटक

एफएटीएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में इस्तेमाल किए गए एल्यूमिनियम पाउडर को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ऐमज़ॉन से खरीदा गया था। इस पाउडर का इस्तेमाल IED बम की ताकत बढ़ाने के लिए किया गया था। इस आत्मघाती हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। इस हमले के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का हाथ था।

गोरखनाथ मंदिर हमले में PayPal से फंडिंग

रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2022 में उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर में हुए हमले के आरोपी को PayPal के जरिए लगभग ₹6.69 लाख (लगभग $7,685) की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग मिली थी। आरोपी ने अपनी लोकेशन छिपाने के लिए VPN का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा उसे विदेशी खातों से भी लगभग ₹10,000 (लगभग $188) की रकम प्राप्त हुई थी। आरोपी ने आईएसआईएस समर्थकों को भी फंड भेजा था। PayPal ने संदिग्ध लेनदेन पर उसका अकाउंट सस्पेंड कर दिया।

फर्जी अकाउंट और नकली नाम से हो रही पेमेंट्स

एफएटीएफ ने यह भी कहा है कि ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म पर होने वाले लेनदेन में अक्सर नकली नाम, फर्जी अकाउंट और पर्सन टू पर्सन ट्रांसफर शामिल होते हैं, जिससे जांच एजेंसियों के लिए फंड के स्रोत और प्राप्तकर्ता का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ देशों की सरकारें आतंकवादी संगठनों को वित्तीय, लॉजिस्टिक और ट्रेनिंग सहायता प्रदान करती रही हैं। भारत ने पहले ही पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने और हथियार उपलब्ध कराने के आरोप लगाए हैं।

डिजिटल पेमेंट सिस्टम बना नया खतरा

एफएटीएफ ने बताया कि पिछले एक दशक में फिनटेक कंपनियों द्वारा ऑनलाइन पेमेंट सेवाओं में तेजी आई है, और आतंकवादी इन सेवाओं का इस्तेमाल तेज, सस्ते और ट्रैकिंग से बचने वाले लेनदेन के लिए कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादी केवल सामान खरीदने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामान बेचकर भी फंड जुटा रहे हैं। कम मूल्य वाले सामानों की बिक्री के जरिए होने वाला लाभ आतंकवादी गतिविधियों में खर्च किया जाता है।

ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग से आतंक फंडिंग

ट्रेड बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग के तहत एक व्यक्ति ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सामान खरीदता है और उसे दूसरे देश में अपने साथी को भेजता है। दूसरा साथी इसे बेचकर प्राप्त पैसे को आतंक के लिए उपयोग करता है। ये लेनदेन वैध दिखते हैं, लेकिन इनका असली मकसद फंड ट्रांसफर करना होता है।

कुछ आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल डोनेशन मांगने के लिए करते हैं। वे उसी प्लेटफॉर्म पर पेमेंट लिंक देकर फंड इकट्ठा करते हैं। इससे फंडिंग तेज होती है और जांच के लिए ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है क्योंकि प्रचार, फंडिंग और ट्रांसफर एक ही जगह होते हैं।

भारत ने फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की

एफएटीएफ ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम के दुरुपयोग को वैश्विक खतरा बताया है। भारत ने दोबारा कहा है कि पाकिस्तान जैसे देश जो आतंकवादी फंडिंग रोकने में विफल रहे हैं, उन्हें ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके।

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