अहमदाबाद हादसे में मृत पायलटों को बदनाम करने पर- FIP का बड़ा कदम, WSJ और रॉयटर्स को कानूनी नोटिस

जांच पूरी होने से पहले पायलटों को दोषी ठहराना अनुचित: FIP

अहमदाबाद हादसे में मृत पायलटों को बदनाम करने पर-"FIP का बड़ा कदम, WSJ और रॉयटर्स को कानूनी नोटिस"

एक साहसी और ज़रूरी कदम उठाते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने पश्चिमी मीडिया संस्थानों रॉयटर्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) पर एअर इंडिया के अहमदाबाद हादसे को लेकर झूठी और भ्रामक रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाया है। पायलटों की इस संस्था ने दोनों मीडिया हाउस को कानूनी नोटिस भेजा है और आरोप लगाया है कि उन्होंने बिना किसी आधिकारिक जांच रिपोर्ट के, काल्पनिक और अपमानजनक सामग्री प्रकाशित की, जिससे भारतीय पायलटों की छवि को नुकसान पहुंचा है।

 पायलट संगठन का जवाब: “बेसलेस रिपोर्टिंग बर्दाश्त नहीं”

12 जून को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया हादसे में 260 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद FIP ने रॉयटर्स और WSJ द्वारा की गई रिपोर्टिंग को “झूठा और मानहानिकारक” बताया है।

इन रिपोर्ट्स में हादसे का कारण बिना किसी आधिकारिक निष्कर्ष के सिर्फ अनाम सूत्रों के हवाले से बताया गया, जिसमें कहा गया कि वरिष्ठ पायलट ने जानबूझकर इंजन का फ्यूल बंद किया हो सकता है। जबकि भारत की आधिकारिक जांच एजेंसी AAIB (एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो) की शुरुआती रिपोर्ट में इस तरह का कोई आरोप नहीं लगाया गया है।

 पश्चिमी मीडिया की गैर-जिम्मेदार बातें

रॉयटर्स ने 17 जुलाई को एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका शीर्षक था: “Air India cockpit recording suggests captain cut fuel to engines before crash, source says.” इस रिपोर्ट में और WSJ की पूर्व रिपोर्ट में कहा गया कि नई जांच जानकारियों ने वरिष्ठ पायलट पर शक को बढ़ाया है। इन रिपोर्ट्स में अमेरिकी जांच एजेंसियों के कथित इनपुट्स का हवाला दिया गया, जो भारतीय जांच का हिस्सा नहीं हैं।

FIP का कहना है कि इस तरह की रिपोर्टिंग न केवल तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करती है, बल्कि मारे गए पायलटों और उनके परिवारों के प्रति भी अनादर दिखाती है।

 पायलट संगठन की सख्त चेतावनी

FIP के कानूनी नोटिस में साफ लिखा गया है “रॉयटर्स और WSJ को किसी भी तरह की अटकलें लगाने या मारे गए पायलटों पर बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के आरोप लगाने से परहेज करना चाहिए।”

FIP अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा कि इन प्रकाशनों ने AAIB रिपोर्ट को सही से समझे बिना गलत धारणाएं बनाई हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की रिपोर्टिंग जारी रही तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। FIP ने इन मीडिया संस्थानों से माफी मांगने, स्पष्टीकरण प्रकाशित करने और ऐसे सभी हिस्से हटाने की मांग की है, जो बिना सबूत किसी पर दोष लगाते हैं।

 AAIB की चेतावनी: विदेशी मीडिया सतर्क रहें

भारत की जांच एजेंसी AAIB ने भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया को चेतावनी दी है कि वे जांच पूरी होने से पहले कोई भी अटकलें या चुनिंदा तथ्य पेश न करें। एजेंसी ने कहा कि अधूरी या असत्यापित जानकारी प्रकाशित करना न केवल जांच प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि सच को दबाने का भी प्रयास है।

यह पहली बार नहीं है कि पश्चिमी मीडिया ने भारतीय एविएशन सेक्टर को निशाना बनाया हो। इससे पहले भी भारतीय एयरस्पेस, पायलट ट्रेनिंग और सुरक्षा को लेकर कई बार बिना तथ्यों के आरोप लगाए गए हैं।

भारतीय पायलटों की इज्जत की रक्षा

FIP द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय पेशेवरों की छवि और सच्चाई की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। ट्रंप के मीडिया केस की तरह, यह मामला सिर्फ एक रिपोर्ट या एक हादसे तक सीमित नहीं है। यह राष्ट्रीय गरिमा, पेशेवर सच्चाई और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए एक जरूरी लड़ाई है।

जैसे-जैसे भारत की जांच एजेंसियां ब्लैक बॉक्स और अन्य डेटा की गहराई से जांच कर रही हैं, सभी मीडिया संस्थानों देशी या विदेशी को चाहिए कि वे सिर्फ पुष्टि किए गए तथ्यों के आधार पर ही रिपोर्ट करें। FIP ने यह साफ संदेश दिया है “सच का सम्मान करो, नहीं तो कानूनी नतीजों के लिए तैयार रहो।”

Exit mobile version