अमरीका के अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन, जिनका भारतीय और यूक्रेनी वंश है, 2026 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर अपनी पहली यात्रा के लिए तैयार हैं। यह उपलब्धि सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि भारतीय डायस्पोरा के वैश्विक विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में योगदान की एक गर्वित कहानी है। एक न्यूरोबायोलॉजी छात्र से इमरजेंसी डॉक्टर और अब अंतरिक्ष यात्री बने मेनन की यह यात्रा दृढ़ निश्चय, उत्कृष्टता और सीमाओं से परे सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
मिशन विवरण: अभियान 75
अनिल मेनन NASA के एक्सपिडिशन 75 में फ्लाइट इंजीनियर के रूप में शामिल होंगे। यह मिशन जून 2026 में क्ज़ाखस्तान के बाइकोनूर कॉस्मोड्रोम से रूस के सोयुज़ MS‑29 यान द्वारा शुरू होगा। मेनन के साथ अनुभवी रोस्कोस्मोस कॉस्मोनॉट्स प्योत्र दुब्रोव और अन्ना किखिना भी यात्रा करेंगे।
तीनों यात्री लगभग आठ महीने तक ISS पर रहेंगे, जहां वे वैज्ञानिक प्रयोग, प्रौद्योगिकी परीक्षण और अंतरिक्ष अन्वेषण के चल रहे लक्ष्य पूरे करने में योगदान देंगे। मेनन का काम अरतिमिस चंद्रमा मिशन और मंगल यात्रा जैसी दूरस्थ मानव मिशन योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे न केवल गहरे अंतरिक्ष की तैयारी होगी, बल्कि पृथ्वी आधारित चुनौतियों के लिए नवाचार भी सामने आएंगे।
अस्पतालों से कक्षा तक: मेनन की पृष्ठभूमि
अनिल मेनन की पृष्ठभूमि उनके मिशन की तरह ही विविध और प्रतिष्ठित है। मिनियापोलिस में जन्मे मेनन के पिता भारतीय और माता यूक्रेनी मूल की हैं। वे यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस फोर्स में कर्नल, अभ्यासरत इमरजेंसी चिकित्सक, और मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं, इस तरह वे NASA के सबसे बहुमुखी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं।
उनकी शैक्षणिक योग्यताएँ:
- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में न्यूरोबायोलॉजी
- स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से मेडिकल डिग्री तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स
- शीर्ष अमेरिकी संस्थानों में इमरजेंसी और एयरस्पेस मेडिसिन में रेजिडेंसी
- मेमोरियल हरमन (टेक्सास) अस्पताल में सेवा और टेक्सास विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य
स्पेसX अध्याय और NASA सहयोग
NASA में शामिल होने से पहले मेनन स्पेसX के पहले फ्लाइट सर्जन थे। उन्होंने कंपनी के मानव अंतरिक्ष चिकित्सा कार्यक्रम की नींव रखी और पहला मानवयुक्त ड्रैगन मिशन डेमो‑2 का समर्थन किया।
NASA और स्पेसX मिशनों के लिए फ्लाइट सर्जन की भूमिका ने उन्हें अंतरिक्ष चिकित्सा, प्रशिक्षण, और सुरक्षा प्रोटोकॉल में व्यवहारिक व क्रियाशील अनुभव दिया जो लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन के लिए अत्यधिक जरूरी है।
NASA के दीर्घकालीन अन्वेषण लक्ष्यों में योगदान
अनिल मेनन का पहला मिशन NASA के Artemis कार्यक्रम के लक्ष्य चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति और मंगल अन्वेषण की तैयारी के अनुरूप है। ISS पर वे जीवविज्ञान से लेकर सामग्री विज्ञान तक के बहु-विषयक शोध करेंगे, और डीप स्पेस में टिकाऊ जीवन-समर्थन प्रणालियों का परीक्षण करेंगे।
लगभग 25 वर्षों से ISS विज्ञान और नवाचार का केंद्र रहा है, और अभिसान 75 में मेनन का योगदान इस उत्कृष्टता की श्रृंखला को आगे बढ़ाएगा। यहां अनुसंधान स्वास्थ्य, कृषि और जलवायु विज्ञान सहित पृथ्वी-आधारित नवाचारों को भी प्रभावित करेगा।
गर्व, विज्ञान और वैश्विक एकता का मिशन
अनिल मेनन का आगामी मिशन सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है, यह वैश्विक सहयोग, वैज्ञानिक विविधता और भारतीय डायस्पोरा की वैज्ञानिक आकांक्षाओं की मिसाल है। जब वे जून 2026 में अपने पहले अंतरिक्ष उड़ान की शुरुआत करेंगे, तो वे सिर्फ अमेरिकन ध्वज को निहार रहे होंगे, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपने भी साथ ले जा रहे होंगे।
उनकी सफलता यह दर्शाती है कि अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी कैसे भविष्य के अंतरिक्ष की दिशा को आकार दे रही है। अनिल मेनन का मिशन आशा, एकता और वैश्विक प्रगति का एक प्रकाशस्तंभ है। जब दुनिया उनकी उड़ान का इंतजार कर रही है, तब जून 2026 की काउंटडाउन सिर्फ एक लॉन्च नहीं, भारत के बढ़ते अंतरिक्ष योगदान की शुरुआत है।