लश्कर के आतंकी की वकील बन रही थीं पाक की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार, लाइव टीवी पर पकड़ा गया झूठ

खार जिस शख्स को 'एक आम पाकिस्तानी नागरिक' बता रही थीं, वह और कोई नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का वरिष्ठ कमांडर हाफिज अब्दुर रऊफ है

हिना रब्बानी खार ने किया लश्कर के आतंकी का बचाव

हिना रब्बानी खार ने किया लश्कर के आतंकी का बचाव

पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार एक बार फिर वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की किरकिरी का कारण बनी हैं। इस बार मामला कहीं ज्यादा शर्मनाक है। दरअसल, खार एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी का खुला बचाव करते हुए वे लाइव टेलीविजन पर बुरी तरह फंस गईं। अल जज़ीरा चैनल के एंकर ने जब तथ्यों के साथ हिना से सवाल पूछे, तो उनका झूठ पल भर में उजागर हो गया। दरअसल, खार जिस शख्स को ‘एक आम पाकिस्तानी नागरिक’ बता रही थीं, वह और कोई नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का वरिष्ठ कमांडर हाफिज अब्दुर रऊफ है, जिसे अमेरिका ने Specially Designated Global Terrorist यानी वैश्विक आतंकी घोषित किया है। खार की इस टीवी बहस की क्लिप सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और पाकिस्तान के आतंकवाद के प्रति दोहरे रवैये की पोल खोल रही है।

पाक सेना के DG ISPR ने खुद उजागर किया पाक का झूठ

पाकिस्तान की सेना के जनसंपर्क महानिदेशक (DG ISPR) मेजर जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने खुद ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के झूठ की पोल खोली थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अहमद शरीफ चौधरी ने आंतकियों के नमाज ए जनाज़ा में शामिल हुए आतंकी को लेकर कहा था कि वो शख्स कोई मौलवी था और पाकिस्तान मरकज़ी मुस्लिम लीग (PMML) का सदस्य था। चौधरी ने बाकायदा उस व्यक्ति का नाम, जन्मतिथि (25 मार्च 1973), पता और Computerized National Identity Card (CNIC) नंबर 35202-5400413-9 भी सार्वजनिक कर दिया।

यही पाकिस्तान के लिए दिक्कत की बात बन गया। दरअसल, ये सभी विवरण अमेरिकी ट्रेजरी विभाग की Office of Foreign Assets Control (OFAC) द्वारा जारी आतंकवादियों की सूची से हूबहू मेल खाते हैं। लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ नेता और Falah-i-Insaniat Foundation के प्रमुख हाफिज अब्दुर रऊफ के पास मौजूद पाकिस्तानी पासपोर्ट, ID और लाहौर स्थित कई पते इसी नाम और पहचान से पंजीकृत हैं।

पाक की आतंकियों को बचाने की पुरानी आदत

पाकिस्तान वर्षों से वैश्विक आतंकवादियों को पनाह देने और बचाने के आरोप झेलता आ रहा है। अब हिना रब्बानी खार की लाइव टीवी पर हुई बेइज्जती उसी कड़ी का ताज़ा उदाहरण है। जब उनसे पूछा गया कि 7 मई को भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों की नमाज़-ए-जनाज़ा का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति क्या वाकई कोई आम नागरिक था, तो खार ने घिसे-पिटे अंदाज़ में कहा कि पाकिस्तान में अब्दुर रऊफ जैसे नाम आम हैं। लेकिन जब एंकर ने उन्हें बीच में रोककर कहा कि पाक सेना ने खुद उस व्यक्ति का CNIC सार्वजनिक किया है जो अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में दर्ज है, तो खार के पास कोई जवाब नहीं बचा।

हिना रब्बानी खार का भारत-विरोध और झूठ फैलाने का इतिहास

हिना रब्बानी खार का यह पहला विवाद नहीं है। भारत-विरोधी बयानबाज़ी और झूठे दावों में वे पहले भी कई बार फंस चुकी हैं। 26/11 मुंबई हमलों के बाद उन्होंने पाक का बचाव करते हुए हाफिज सईद को शह दी थी। उन्होंने बलूचिस्तान में भारत पर अस्थिरता फैलाने का मनगढंत आरोप भी लगाया जिसे न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी खारिज कर दिया। खार की एक बड़ी पहचान उनके महंगे ब्रांडेड हैंडबैग और स्टाइलिश डिप्लोमेसी की रही है, लेकिन हर बार वे पाकिस्तान की आतंक नीति को ‘नरम मुखौटा’ पहनाने की नाकाम कोशिश करती रही हैं।

पाक के रक्षा मंत्री की ‘स्वीकारोक्ति’: आतंक के लिए अमेरिका का एजेंट

सबसे बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की ओर से हुआ, जिन्होंने हाल ही में यह स्वीकार किया कि पाकिस्तान दशकों से अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए ‘गंदा काम’ कर रहा है। यानी, आतंकवादी समूहों को समर्थन देना, उन्हें पनाह देना और बदले में अमेरिका से सहायता लेना। आसिफ के इस बयान ने पाकिस्तान की तथाकथित आतंकवाद विरोधी नीति की धज्जियां उड़ा दीं और यह साफ कर दिया कि हिना रब्बानी खार जैसे नेता केवल दिखावे की राजनीति कर रहे हैं, असल में वे उन लोगों को बचा रहे हैं जिन्हें दुनिया खतरा मानती है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखें अब खुलनी चाहिए

हिना रब्बानी खार का लाइव टीवी पर हुआ यह अपमान अब पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चेतावनी बन चुका है। जब सबूत सामने होते हैं, फिर भी पाकिस्तानी नेतृत्व वैश्विक आतंकियों का बचाव करता है, तो यह वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा है। भारत वर्षों से कहता आया है कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है और हर बार पाकिस्तान के ऐसे कृत्य भारत के इस दावे को और मजबूती देते हैं। अब सवाल ये है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की इस दोहरी नीति पर आंख मूंदे रहेगा, या इस बार सच को स्वीकार कर कोई ठोस कदम उठाएगा? और रही बात हिना रब्बानी खार की तो अब उनकी ‘लिपस्टिक डिप्लोमेसी’ पाकिस्तान के खून से सने सच को ढक नहीं सकती है

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