हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग पिछले साल गिरने के बाद इस बार जोरदार वापसी हुई है। भारत आठ स्थान ऊपर चढ़कर 85वें स्थान से 77वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि वीज़ा-फ्री देशों की संख्या में केवल दो की ही बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में भारतीय पासपोर्ट रखने वाले लोगों को 59 देशों में वीज़ा-मुक्त प्रवेश की सुविधा प्राप्त है। यह इंडेक्स दुनिया के देशों को इस आधार पर रैंक करता है कि उनके पासपोर्ट रखने वाले लोग कितने देशों में बिना पहले से वीज़ा लिए प्रवेश कर सकते हैं।
फिलहाल, भारतीय नागरिकों को दुनिया के 59 देशों में वीज़ा-फ्री एंट्री की सुविधा है। इनमें मलेशिया, इंडोनेशिया, मालदीव और थाईलैंड जैसे देश शामिल हैं जो भारतीय पासपोर्ट पर बिना वीज़ा यात्रा की अनुमति देते हैं। इसके अलावा श्रीलंका, मकाओ और म्यांमार जैसे देश वीज़ा-ऑन-अराइवल (VOA) की सुविधा प्रदान करते हैं।
एशियाई देशों का वर्चस्व बढ़ा
वैश्विक स्तर पर यात्रा स्वतंत्रता में एशियाई देशों का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है।सिंगापुर इस साल भी सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट के रूप में पहले स्थान पर है। यहां के नागरिक 227 में से 193 गंतव्यों में वीज़ा-फ्री यात्रा कर सकते हैं। जापान और दक्षिण कोरिया 190 वीज़ा-फ्री गंतव्यों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन तीसरे स्थान पर हैं, जिन्हें 189 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा की सुविधा प्राप्त है।
ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल और स्वीडन संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर हैं। न्यूज़ीलैंड, ग्रीस और स्विट्ज़रलैंड मिलकर पाँचवें स्थान पर हैं। सूची के दूसरे छोर पर अफगानिस्तान सबसे नीचे है। अफगान नागरिकों को केवल 25 देशों में बिना वीज़ा यात्रा की अनुमति है।
अमेरिका और ब्रिटेन की गिरावट जारी
जनवरी 2025 से अब तक अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम दोनों की रैंकिंग में एक-एक स्थान की गिरावट हुई है। यूके अब छठे और अमेरिका दसवें स्थान पर है। जबकि ये दोनों देश पहले दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट के खिताब के हकदार रह चुके हैं। यूके 2015 में और अमेरिका 2014 में। वर्तमान में ब्रिटिश पासपोर्ट धारकों को 186 और अमेरिकी पासपोर्ट धारकों को 182 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा की अनुमति है।
सऊदी अरब ने इस साल की शुरुआत से अब तक अपनी वीज़ा-मुक्त सूची में चार और गंतव्य जोड़े हैं और अब कुल 91 गंतव्यों तक पहुंच रखता है, जो कि इस अवधि की सबसे बड़ी बढ़त है।
चीन ने भी 2015 से अब तक 34 स्थानों की छलांग लगाई है और 94वें स्थान से 60वें स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि, यह उल्लेखनीय है कि यह प्रगति यूरोप के शेंगेन क्षेत्र में वीज़ा-फ्री पहुंच के बिना ही हासिल की गई है।
अमेरिकी और ब्रिटिश नागरिकों में वैकल्पिक नागरिकता की मांग तेज
हेनले एंड पार्टनर्स के सीईओ डॉ. जुएर्ग स्टीफन ने बताया कि अब अमेरिकी नागरिक दुनिया भर में वैकल्पिक निवास और नागरिकता विकल्पों की मांग में सबसे आगे हैं, और ब्रिटिश नागरिक भी इस सूची में शीर्ष पाँच में शामिल हैं। उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “जैसे-जैसे अमेरिका और ब्रिटेन अधिक अंतर्मुखी नीतियों की ओर बढ़ रहे हैं, हम देख रहे हैं कि उनके नागरिक वैश्विक पहुंच और सुरक्षा के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं।”
स्टीफन ने यह भी कहा, “अब पासपोर्ट केवल एक यात्रा दस्तावेज नहीं रह गया है। यह आपके देश की कूटनीतिक शक्ति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रतिबिंब बन गया है।” “आज की असमानता और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में रणनीतिक यात्रा और नागरिकता की योजना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।”