भारत सरकार लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (DBO) सेक्टर में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रणनीतिक सड़क परियोजना को नवंबर 2026 तक पूरा करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। यह 130 किलोमीटर लंबी सड़क विशेष रूप से सेना की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए बनाई जा रही है, जिससे चीन की सीमा से सटे ‘सब-सेक्टर नॉर्थ’ (SSN) तक त्वरित और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
नई वैकल्पिक सड़क: ससोमा से DBO तक
यह निर्माणाधीन सड़क लद्दाख की नुब्रा घाटी में स्थित ससोमा से शुरू होती है और सासेर ला, सासेर ब्रंगसा, मुर्गो और गैपशन जैसे महत्वपूर्ण इलाकों से होकर दौलत बेग ओल्डी तक जाती है। यह मार्ग मौजूदा दरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क के समानांतर बनेगा और सैन्य के साथ-साथ नागरिक आवागमन के लिए भी एक वैकल्पिक और अत्यंत उपयोगी रास्ता बनेगा।
इस सड़क के पूरा होने के बाद, लेह से DBO तक की दूरी 322 किलोमीटर से घटकर लगभग 243 किलोमीटर रह जाएगी। इसके साथ ही यात्रा का समय भी घटकर मात्र 11–12 घंटे हो जाएगा, जबकि वर्तमान में यह सफर कठिन मौसम और सीमित संसाधनों के चलते दो दिन तक का हो सकता है। यह विकास विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित सैन्य तैनाती और रसद की सुविधा के लिहाज से क्रांतिकारी साबित होगा।
बेहतर लोड क्षमता और हर मौसम में संपर्क
इस नई सड़क परियोजना में कुल 9 बड़े पुल शामिल हैं, जिन्हें शुरुआत में 40 टन भार वहन करने की क्षमता के साथ बनाया गया था। अब इन पुलों को 70 टन भार वहन करने लायक अपग्रेड किया जा रहा है ताकि भारी सैन्य उपकरण, टैंक, तोपें और अन्य रसद सामग्री इस मार्ग से आसानी से ले जाई जा सके।
ससोमा से सासेर ब्रंगसा तक का हिस्सा पहले ही पूरा हो चुका है, जबकि मुर्गो और गैपशन की ओर बाकी हिस्से का निर्माण 70% से अधिक पूरा हो चुका है। पूरा मार्ग वर्ष भर कनेक्टिविटी देने में सक्षम होगा, खासकर सर्दियों के कठोर मौसम और ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में, जहां अक्सर रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं।
सासेर ला के नीचे बनेगा 8 किलोमीटर लंबा सुरंग मार्ग
इस मार्ग को हर मौसम में सुचारु बनाए रखने के लिए बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) एक 8 किलोमीटर लंबी सुरंग का निर्माण भी करने जा रही है, जो सासेर ला के नीचे से निकलेगी। इस सुरंग की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा चुकी है और सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद इसका निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। अनुमान है कि सुरंग के निर्माण में करीब 4 से 5 साल का समय लगेगा।
यह सुरंग सर्दियों में बर्फबारी से अवरुद्ध होने वाले पहाड़ी दर्रों की समस्या को समाप्त कर देगी और वर्ष भर निर्बाध आवागमन को सुनिश्चित करेगी, जिससे न केवल रणनीतिक पहुंच बल्कि नागरिक जीवन भी प्रभावित होगा।
LAC के पास संवेदनशील क्षेत्र में रणनीतिक महत्व
यह सड़क परियोजना भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे दौलत बेग ओल्डी सेक्टर और सब-सेक्टर नॉर्थ जैसे संवेदनशील क्षेत्रों तक त्वरित और सुरक्षित सैन्य पहुंच सुनिश्चित करती है। यह वही क्षेत्र है जो चीन की सैन्य तैनाती के बेहद करीब स्थित हैं।
भारत ने इस मार्ग की लोड क्षमता की जांच के लिए इस पर भारी हथियारों, जैसे बोफोर्स तोपों को ले जाकर परीक्षण भी शुरू कर दिए हैं। यह कदम 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए टकराव के बाद भारत द्वारा सीमा पर आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
हालांकि कुछ तनावपूर्ण बिंदुओं से दोनों देशों ने सैनिकों को पीछे हटाया है, लेकिन कई प्रमुख स्थान आज भी संवेदनशील बने हुए हैं। मौजूदा DSDBO सड़क अधिक खुली और दुश्मन की निगरानी के दायरे में आती है, जिससे वह खतरों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है। इसके विपरीत, नया मार्ग अधिक संरक्षित है और सैन्य बलों की तेज और गोपनीय तैनाती की सुविधा प्रदान करता है।
आंकड़ों में देखें
-
कुल सड़क लंबाई: 130 किलोमीटर
-
लेह से DBO की नई दूरी: लगभग 243 किलोमीटर (पहले 322 किमी)
-
अनुमानित यात्रा समय: 11–12 घंटे
-
पुलों की संख्या: 9 (अब 70 टन भार उठाने योग्य)
-
सुरंग: 8 किलोमीटर लंबी (सासेर ला के नीचे प्रस्तावित)
-
परियोजना पूर्ण होने का लक्ष्य: नवंबर 2026
-
उद्देश्य: सैन्य रसद, DBO तक सुरक्षित पहुंच, एलएसी पर रणनीतिक बढ़त
रणनीतिक क्षमता में होगा बड़ा इजाफा
जब यह सड़क पूरी तरह चालू हो जाएगी, तो यह न केवल भारत की रणनीतिक और सैन्य क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी, बल्कि लद्दाख जैसे संवेदनशील और दूरदराज़ इलाके में नागरिक और सैन्य आवागमन को अधिक सुलभ, तेज़ और सुरक्षित बनाएगी। इससे भारत को चीन सीमा के नजदीक अपने महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों तक हर मौसम में भरोसेमंद पहुंच प्राप्त होगी, जो किसी भी प्रकार के आपातकालीन हालात में निर्णायक सिद्ध हो सकता है। यह परियोजना भारत की सुरक्षा रणनीति और सीमावर्ती क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का सशक्त प्रतीक है।