भारतीय सेना को अमेरिका से मिले पहले AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों का पहला बैच रविवार को दिल्ली के पास हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंच गया है। यह भारतीय सेना की हवाई ताकत को एक बड़ा बढ़ावा देने वाला कदम है। जल्द ही ये हेलीकॉप्टर भारत की पश्चिमी सीमाओं पर तैनात किए जाएंगे, जिससे सेना की आक्रामक तैयारियों में काफी मजबूती आएगी।
$600 मिलियन की डील का हिस्सा
ये हेलीकॉप्टर 2020 में अमेरिका के साथ हुई करीब $600 मिलियन (करीब 5,000 करोड़ रुपये) की डील के तहत भारत को मिले हैं। इस समझौते के तहत भारत ने अमेरिका के फॉरेन मिलिटरी सेल्स (FMS) प्रोग्राम से 6 अत्याधुनिक अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदने का फैसला किया था। पहले मिले अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के लिए थे, लेकिन ये नए हेलीकॉप्टर खासतौर पर भारतीय सेना के एविएशन कॉर्प्स के लिए हैं, जो इन्हें फ्रंटलाइन ऑपरेशनों में इस्तेमाल करेगी।
पहले इन हेलीकॉप्टरों की तैनाती 2024 में होने की योजना थी, लेकिन अमेरिका में सप्लाई चेन और उत्पादन में देरी के कारण इनकी डिलीवरी टल गई। हालांकि सेना ने पिछले साल जोधपुर के नागतालाव एयरबेस पर अपाचे स्क्वाड्रन तैयार कर ली थी, लेकिन हेलीकॉप्टरों की अनुपस्थिति के कारण यह यूनिट अभी तक सक्रिय नहीं हो पाई थी।
जल्द ही जांच के बाद हेलीकॉप्टर सेना में शामिल कर दिए जाएंगे
अब जब हेलीकॉप्टर भारत पहुंच चुके हैं, तो इन्हें जोधपुर ले जाकर एक संयुक्त निरीक्षण (inspection) के बाद औपचारिक रूप से सेना में शामिल किया जाएगा। इसके बाद ये हेलीकॉप्टर वेस्टर्न कमांड के अधीन अपाचे स्क्वाड्रन का हिस्सा बनेंगे, जो पाकिस्तान सीमा से जुड़े इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है।
अपाचे हेलीकॉप्टरों को राजस्थान और पंजाब की सीमा के पास खास जगहों पर रखा जाएगा। ये हेलीकॉप्टर दुश्मन की टैंकों और गाड़ियों पर हमला करने, सही निशाना लगाने और हथियारों के साथ खुफिया मिशन करने के लिए काम आएंगे।
अपाचे: ‘उड़ने वाला टैंक’
AH-64E अपाचे को दुनिया के सबसे घातक अटैक हेलीकॉप्टरों में गिना जाता है। इसमें कई आधुनिक हथियार और तकनीक शामिल हैं:
- 30 मिमी की चेन गन
- हेलफायर मिसाइलें (ज़मीन पर हमला करने के लिए)
- स्टिंगर मिसाइलें (हवाई सुरक्षा के लिए)
- एडवांस सेंसर्स, रडार और नाइट विजन सिस्टम
- ‘लॉन्गबो’ रडार जो हेलीकॉप्टर के ऊपर लगा होता है और 360 डिग्री में दुश्मन को पहचान सकता है, वो भी खराब मौसम या मुश्किल इलाके में
अपाचे की ये खासियतें इसे दिन-रात और हर परिस्थिति में युद्ध के लिए तैयार बनाती हैं।
रणनीतिक दृष्टि से जरूरी
अपाचे हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे, खासकर उन इलाकों में जहां वायुसेना की सहायता देर से पहुंचती है या सीमित होती है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को आधुनिक बनाने की योजना का हिस्सा है।
अब सेना के एविएशन कॉर्प्स के पास अपाचे के साथ-साथ रुद्र, एलसीएच प्रचंड, एएलएच ध्रुव और यूएवी जैसे आधुनिक प्लेटफॉर्म होंगे, जिससे वह ज्यादा ताकतवर और लचीली हवाई यूनिट बन जाएगी।
आगे क्या होगा?
इस डील के तहत बाकी तीन अपाचे हेलीकॉप्टर 2025 के अंत तक भारत पहुंच जाएंगे। इससे भारतीय सेना की पहली अपाचे स्क्वाड्रन पूरी हो जाएगी। पायलट और तकनीकी स्टाफ को पहले से ही इन हेलीकॉप्टरों को उड़ाने और मेंटेन करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है, जिससे ये जल्द ऑपरेशन में तैनात हो सकें। ये हेलीकॉप्टर भारत में बने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH) जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर काम करेंगे, जिससे देशी-विदेशी तकनीक का अच्छा संतुलन बन सकेगा।
AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टरों की तैनाती भारतीय सेना के लिए एक बड़ा बदलाव है। इनकी जबरदस्त मारक क्षमता, सटीकता और तकनीकी खूबियां भारत की सीमाओं पर खासकर पाकिस्तान के साथ लगी पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करेंगी। यह सिर्फ एक नया हथियार नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच की दिशा में बड़ा कदम है- एक आधुनिक, आत्मनिर्भर और हाई-टेक डिफेंस फोर्स की ओर।