सिर्फ ‘आई लव यू’ कहना यौन उत्पीड़न नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शख्स को किया बरी

साल 2017 में नीचली अदालत ने सुनायी थी सजा

सिर्फ ‘आई लव यू’ कहना यौन उत्पीड़न नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने शख्स को किया बरी

सांकेतिक तस्वीर

केवल ‘आई लव यू’ कह देना यौन उत्पीड़न नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने यह टिप्पणी एक नाबालिग लड़की का पीछा करने और उसके यौन उत्पीड़न को लेकर दर्ज पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के तहत एक दोषी व्यक्ति की सजा रद्द करते हुए की है। अदालत के फैसले में कहा गया है कि आई लव यू शब्द अपने आप में यौन उत्पीड़न के इरादे की श्रेणी के समान नहीं होंगे, जैसा कि विधायिका द्वारा कानून में रखा गया है।

फैसले में अदालत ने क्या कहा?

अपने फैसले में अदालत ने कहा कि केवल आई लव यू कह देने से यौन उत्पीड़न नहीं हो सकता है। इसके लिए कुछ और भी होना चाहिए, जो यह बताए कि वास्तविक इरादा सेक्स के कोण को दर्शाना है. अगर कानूनी तौर पर बोले गए शब्दों को यौन इरादे के रूप में शामिल किया जाता है, यह सही नहीं है। यह आरोपी के काम में दिखना भी चाहिए।

शिकायत के अनुसार, आरोपी ने नागपुर में 17 वर्षीय पीड़िता का हाथ पकड़ा था और कहा ‘मैं तुमसे प्यार करता हूं’। इस मामले में नागपुर की एक सत्र अदालत ने 2017 में व्यक्ति को पोक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया था और तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी। अब हाई कोर्ट ने उसे यह कहते हुए बरी कर दिया कि ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी जो यह बताए कि व्यक्ति का वास्तविक इरादा पीड़िता के साथ यौन संपर्क स्थापित करना था।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले में अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि जब लड़की स्कूल से घर लौट रही थी, तो उस व्यक्ति ने उसका पीछा किया, हाथ पकड़ा, नाम पूछा और कहां था कि मैं तुमसे प्यार करता हूं। लड़की किसी तरह से वहां से निकलकर घर गई और अपने पिता को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद घटना को लेकर केस दर्ज कराया गया।

कोर्ट ने बताया यौन उत्पीड़न का मतलब

हाई कोर्ट ने कहा कि किसी भी यौन कृत्य में अनुचित स्पर्श, जबरन कपड़े उतारना, अभद्र इशारे करना या फिर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई टिप्पणी शामिल है। हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चले कि आरोपी ने यौन इरादे से ‘आई लव यू’ कहा था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अगर कोई कहता है कि वह किसी दूसरे व्यक्ति से प्यार करता है या अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है तो यह अपने आप में किसी तरह का यौन इरादा दिखाने का इरादा नहीं माना जाएगा। इसी के साथ हाई कोर्ट ने व्यक्ति को बरी कर दिया।

केवल ‘आई लव यू’ कह देना यौन उत्पीड़न नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के ने आरोपी की सजा रदृ कर दी।

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बॉम्बे हाईकोर्ट

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