पाकिस्तान में शुरू हुई अंदरुनी लड़ाई: हाफिज को भारत को सौंपने के बिलावल के बयान पर भड़का आतंकी का बेटा

4 जुलाई को अल जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान को हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है

आतंकी हाफिज सईद

आतंकी हाफिज सईद

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो के एक इंटरव्यू में दिए बयान के बाद पाकिस्तान में आपसी लड़ाई शुरु हो गई है और आतंक से जुड़े कट्टरपंथी गुट तिलमिला उठे हैं। दरअसल, 4 जुलाई को अल जज़ीरा को दिए इंटरव्यू में बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान को हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों को भारत को सौंपने में कोई आपत्ति नहीं है अगर यह कदम आपसी सहयोग और सद्भाव के तहत उठाया जाए। यह बयान सुनते ही आतंकियों का खेमा बौखला गया और प्रतिक्रिया में सबसे तीखा हमला आया 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद की ओर से।

मेरे पिता को कैसे सौंप सकते हैं: हाफिज सईद का बेटा

बिलावल भुट्टो के बयान पर सबसे उग्र प्रतिक्रिया आई 26/11 हमलों के गुनहगार हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद की ओर से। तल्हा ने बिलावल को निशाने पर लेते हुए कहा, वो असली मुसलमान नहीं है और उनके इस बयान को पाकिस्तान की खुली बेइज्जती करार दिया। तल्हा ने आरोप लगाया कि बिलावल भुट्टो भारतीय और पश्चिमी एजेंडे की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हाफिज सईद पाकिस्तान के लिए कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक ‘राष्ट्रीय संपत्ति’ हैं, जिन्हें सौंपने की बात करना न केवल विश्वासघात है बल्कि उन जिहादी संगठनों के साथ सीधा धोखा है।

आतंकी संगठनों में बढ़ता गुस्सा

पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में सक्रिय कई कट्टरपंथी संगठनों ने बिलावल के बयान को धोखा बताया है। ये वही संगठन हैं, जिन्हें पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों से लंबे समय तक समर्थन मिलता रहा है। खुफिया सूत्रों का मानना है कि पाकिस्तान की सरकार अब अंतरराष्ट्रीय दबाव में है और उसे FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) से राहत चाहिए, इसलिए ये बयान दिया गया है।

FATF को खुश करने की कोशिश?

खुफिया सूत्रों के मुताबिक, बिलावल भुट्टो का यह बयान अकेला नहीं बल्कि एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान लंबे समय से FATF के रडार पर है, जो आतंकी फंडिंग और आतंकवादियों को संरक्षण देने के लिए उसे चेतावनी देता रहा है। बिलावल ने कथित तौर पर अमेरिका और यूरोपीय देशों को भरोसा दिया है कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने 900 से अधिक कट्टरपंथी संस्थानों को बंद करने, संपत्तियां जब्त करने और सीमित गिरफ्तारियों को प्रगति के रूप में पेश किया है।

सेना-आतंकी गठजोड़ पर चोट

पाकिस्तान ने भले ही लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे संगठनों को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्राधिकरण (NACTA) के तहत प्रतिबंधित किया है, लेकिन इन प्रतिबंधों का पालन हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। हाफिज सईद को भले ही टेरर फंडिंग के मामलों में 33 साल की सजा सुनाई गई हो लेकिन वह अब भी अपने नेटवर्क के जरिए प्रभाव बनाए हुए है। वहीं, मसूद अजहर की मौजूदगी पर पाकिस्तान बार-बार यह कहता रहा है कि वह अफगानिस्तान में है, जबकि भारत इसे झूठ मानता है।

बिलावल ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि भारत की ‘असहयोगिता’ के कारण इन आतंकियों पर मुकदमा चलाना मुश्किल है, क्योंकि भारत से गवाह और सबूत नहीं मिलते। लेकिन इस तर्क को भारत और विशेषज्ञ कमजोर और बहानेबाज़ी मानते हैं, क्योंकि इन आतंकियों का नाम संसद हमले (2001), पठानकोट हमला (2016) और पुलवामा आत्मघाती हमला (2019) जैसे बड़े मामलों में आ चुका है

पाकिस्तान की दोहरी चाल

बिलावल भुट्टो द्वारा आतंकियों को भारत को सौंपने का बयान चाहे ‘शांति का संदेश’ हो, लेकिन इसने पाकिस्तान की राजनीति और जिहादी ताकतों के बीच टकराव को उजागर कर दिया है। एक तरफ राजनेता हैं, जो FATF से राहत और अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं; दूसरी ओर वे जिहादी संगठन हैं जो दशकों से सेना की छाया में पलते रहे हैं

तल्हा सईद जैसे लोग इन नेताओं को ‘विश्वासघाती’ मानते हैं और डर है कि अगर ये बयान सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि असली नीति बन गया, तो पाकिस्तान के अंदर कट्टरपंथी संगठनों और उनकी सोई हुई कोशिकाओं से भयंकर प्रतिक्रिया आ सकती है। बिलावल भुट्टो का बयान सिर्फ भारत से दोस्ती की पहल नहीं, बल्कि पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति, सेना-जिहाद गठजोड़ और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच फंसे देश की असली तस्वीर भी पेश करता है। अब सवाल यह है- क्या पाकिस्तान सच में आतंक से लड़ रहा है, या केवल दिखावा कर रहा है?

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