बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की संसद को संबोधित किया। यह उनके द्वारा विदेशी संसद को दिया गया 17वां भाषण था। इससे पहले किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने इतनी बार विदेशों की संसदों को संबोधित नहीं किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक हर महाद्वीप और हर तरह के देशों की संसद में भारत की बात रखी है। इससे यह साबित होता है कि भारत की छवि अब दुनिया में और ज्यादा मजबूत हो रही है और उसका प्रभाव भी लगातार बढ़ रहा है।
अपनी हाल की पांच देशों की यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने तीन देशों – त्रिनिदाद एवं टोबैगो, घाना और नामीबिया की संसदों को संबोधित किया। खास बात यह रही कि घाना के सांसद भारतीय पारंपरिक कपड़े पहनकर पीएम मोदी का भाषण सुनने पहुंचे।
किन-किन देशों की संसदों को किया संबोधित?
प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक जिन 17 देशों की संसदों को संबोधित किया है, वे इस प्रकार हैं:
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2014: ऑस्ट्रेलिया, फिजी, भूटान, नेपाल
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2015: ब्रिटेन, मंगोलिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मॉरीशस
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2016: अमेरिका (संयुक्त सत्र)
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2018: यूगांडा
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2023: अमेरिका (फिर से संयुक्त सत्र)
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2025: घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, नामीबिया
यह संख्या अब तक कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा किए गए भाषणों के बराबर हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक:
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मनमोहन सिंह – 7 देशों की संसद
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इंदिरा गांधी – 4 देशों की संसद
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जवाहरलाल नेहरू – 3 देशों की संसद
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राजीव गांधी – 2 देशों की संसद
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पी.वी. नरसिम्हा राव – 1 देश की संसद
नामीबिया को क्रिकेट विश्व कप की मेज़बानी पर बधाई
नामीबिया की संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने 2027 क्रिकेट विश्व कप की सह-मेजबानी के लिए देश को बधाई दी। उन्होंने कहा: “मेरी शुभकामना है कि नामीबिया को इसमें बड़ी सफलता मिले। अगर आपके ‘ईगल्स’ (नामीबिया की पुरुष क्रिकेट टीम) को क्रिकेट से जुड़ी कोई जानकारी चाहिए, तो आप जानते हैं किसे कॉल करना है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को मिलकर आगे बढ़ने का संदेश देते हुए कहा: “आइए हम ऐसा भविष्य बनाएं जो शक्ति से नहीं, साझेदारी से, प्रभुत्व से नहीं, संवाद से, और बहिष्कार से नहीं, समता से तय हो। हम प्रतिस्पर्धा नहीं, सहयोग चाहते हैं।”
अफ्रीका के विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत और अफ्रीका की साझेदारी 12 अरब डॉलर से ज्यादा की है। लेकिन इसका असली महत्व साझा विकास और उद्देश्य में है। उन्होंने कहा: “अफ्रीका केवल कच्चे माल का स्रोत नहीं होना चाहिए, उसे विकास और औद्योगीकरण में अग्रणी बनना चाहिए। हम अफ्रीका के एजेंडा 2063 का समर्थन करते हैं।”
पीएम मोदी ने भारत-नामीबिया रिश्तों को और मजबूत करने की बात की। उन्होंने कहा कि हमें नामीबिया के राष्ट्रीय पक्षी अफ्रीकी फिश ईगल से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो हमें साथ मिलकर ऊंची उड़ान भरना सिखाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोजेक्ट चीता में सहयोग के लिए नामीबिया का आभार जताया। उन्होंने कहा: “हमें चीतों को भारत में बसाने में मदद देने के लिए धन्यवाद। मैंने उन्हें खुद कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा। वे अब अच्छी तरह से बस गए हैं, खुश हैं और उनकी संख्या भी बढ़ रही है।”
जन औषधि और स्वास्थ्य सेवा में सहयोग का प्रस्ताव
पीएम मोदी ने जन औषधि कार्यक्रम में नामीबिया को शामिल होने का न्योता दिया, ताकि वहां के लोगों को भी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सकें। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, नामीबिया को भाभाट्रॉन रेडियोथेरेपी मशीन देने को तैयार है। यह मशीन अब तक 15 देशों में इस्तेमाल हो चुकी है और करीब 5 लाख कैंसर मरीजों की मदद कर चुकी है।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि कोरोना महामारी के समय भारत ने अफ्रीका के साथ खड़े होकर उन्हें टीके, दवाएं, उपकरण और प्रशिक्षण दिया, जबकि कई अन्य देशों ने मदद करने से मना कर दिया था।
व्यापार और तकनीकी सहयोग में तेजी
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 800 मिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुका है। साथ ही नामीबिया भारत की UPI तकनीक को अपनाने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने कहा: “यह सिर्फ शुरुआत है, जैसे क्रिकेट में हम रन बनाते हैं, वैसे ही हम व्यापार में भी अब और तेजी से रन बनाएंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सिर्फ अपने पुराने रिश्तों को नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं को भी साथ मिलकर साकार करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि भारत की छात्रवृत्तियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अब तक 1700 से ज्यादा नामीबियाई लोग लाभान्वित हो चुके हैं।